छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर में शुक्रवार को वरिष्ठ पुलिस और अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों की मौजूदगी में माओवादियों के केंद्रीय समिति के एक सदस्य सहित 210 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इस घटनाक्रम की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि आज का दिन न केवल बस्तर के लिए, बल्कि छत्तीसगढ़ और पूरे देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। अधिकारियों ने कहा कि यह सामूहिक आत्मसमर्पण नक्सल विरोधी अभियानों के इतिहास में सबसे बड़ा है तथा यह वामपंथी उग्रवाद को खत्म करने के सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान में एक निर्णायक मोड़ है। सभी आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों का आदिवासी समुदाय के नेताओं और पुजारियों ने मुख्यधारा में लौटने पर औपचारिक रूप से स्वागत किया और उन्हें प्रेम, शांति और एक नई शुरुआत के प्रतीक लाल गुलाब भेंट किए।
बाद में, आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों, पुलिस और अर्धसैनिक बल के वरिष्ठ अधिकारियों और आदिवासी समुदाय के नेताओं ने तस्वीरें खिंचवाईं। मंच पर माओवादियों ने भी तस्वीरें खिंचवाईं। मंच के पीछे लगे बैनर पर लिखा था, ”पूना मार्गेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन – माओवादी कैडर्स का मुख्यधारा में पुनरागमन।” इस दौरान आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी संविधान की प्रति भी थामे हुए थे। ‘पूना मार्गेम’ बस्तर रेंज पुलिस द्वारा नक्सलियों के आत्मसमर्पण के लिए शुरू की गई एक पुनर्वास पहल है। बाद में, एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री साय ने कहा कि गुमराह और समाज से कटे हुए 210 भाई-बहन आज संविधान, गांधी की अहिंसा और पुनर्वास नीति में विश्वास दिखाते हुए मुख्यधारा में वापस आ गए हैं। उन्होंने कहा कि शीर्ष नेताओं से लेकर निचले स्तर के सदस्य भी आत्मसमर्पण करने वाले कार्यकर्ताओं में शामिल हैं।
साय ने इस दौरान उन्हें बधाई दी और उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने बताया कि राज्य की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति में वित्तीय सहायता, भूमि लाभ, नई औद्योगिक नीति में लाभ और उन्हें रोजगार से जोड़ने सहित कई प्रावधान हैं। साय ने कहा कि इस ऐतिहासिक घटना को केंद्र और राज्य सरकारों की व्यापक नक्सल-विरोधी रणनीति का परिणाम माना जा रहा है, जिसे पुलिस, सुरक्षा बलों, स्थानीय प्रशासन के निरंतर प्रयासों और जागरूक तथा सतर्क समुदायों की सक्रिय भागीदारी का समर्थन प्राप्त है।
अधिकारियों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले वरिष्ठ माओवादी नेताओं में केंद्रीय समिति के सदस्य रूपेश उर्फ सतीश, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) के चार सदस्य – भास्कर उर्फ राजमन मंडावी, रनिता, राजू सलाम, धन्नू वेट्टी उर्फ संतू और एरिया कमेटी सदस्य रतन एलम शामिल हैं। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों ने 153 हथियार सौंपे, जिनमें 19 एके-47 राइफलें, 17 सेल्फ-लोडिंग राइफल, 23 इंसास राइफलें, एक इंसास एलएमजी (लाइट मशीन गन), 36 .303 राइफल, चार कार्बाइन और 11 बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (बीजीएल) शामिल हैं। दो अक्टूबर को बस्तर क्षेत्र के बीजापुर जिले में 103 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था, जिनमें से 49 पर कुल 1.06 करोड़ रुपये से अधिक का इनाम था। गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि केंद्र सरकार ने 31 मार्च, 2026 तक देश से नक्सल समस्या की समाप्ति का संकल्प लिया है। उन्होंने हाल ही में अपने बस्तर प्रवास के दौरान नक्सलियों से हथियार छोड़ने की अपील की थी। शाह ने बृहस्पतिवार को छत्तीसगढ़ के दो सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों, अबूझमाड़ और उत्तरी बस्तर को नक्सली आतंक से मुक्त घोषित किया और स्पष्ट किया कि जो लोग आत्मसमर्पण करने को तैयार हैं, उनका स्वागत है लेकिन जो लोग बंदूक चलाना जारी रखेंगे उन्हें सुरक्षा बलों की कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।