ईडी का बड़ा बयान, छत्तीसगढ़ सरकार के अधिकारियों ने कोयला लेवी ‘घोटाले’ में ‘बेनामी’ बनाई संपत्ति

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव सौम्या चौरसिया और आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई सहित राज्य सरकार के शीर्ष नौकरशाहों और उनसे कथित रूप से जुड़े कुछ कोयला कारोबारियों ने ‘बेनामी’ संपत्ति बनाने के लिए अपने रिश्तेदारों का ‘इस्तेमाल’ किया। मामले में ईडी ने 150 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की है। संघीय जांच एजेंसी ने एक बयान में आरोप लगाया कि कोयला लेवी ‘घोटाला’ करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध राज्य में एक ”बड़ी साजिश” रची गई, जिसमें पिछले दो वर्षों में 540 करोड़ रुपये की ‘उगाही’ की गई।

ईडी ने छत्तीसगढ़ इन्फोटेक प्रमोशन सोसाइटी (चिप्स) के सीईओ के रूप में काम कर रहे 2009 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी विश्नोई के खिलाफ छापेमारी के बाद अक्टूबर में कथित घोटाले में धन शोधन की जांच शुरू की। विश्नोई ने पूर्व में भूतत्व और खनन विभाग के निदेशक के रूप में कार्य किया था और मुख्यमंत्री बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम (सीएमडीसी) के प्रबंध निदेशक थे। ईडी ने ‘घोटाले के मुख्य सरगना’ सूर्यकांत तिवारी, उनके रिश्तेदारों और कुछ अन्य कोयला व्यापारियों के परिसरों समेत छत्तीसगढ़ में कई शहरों में छापेमारी की थी। ईडी ने कहा कि एजेंसी ने धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत शुक्रवार को कुछ चल और 91 अचल संपत्तियों को कुर्क करने के लिए एक अस्थायी आदेश जारी किया। ईडी ने एक बयान में कहा कि कुल 152.31 करोड़ रुपयेकी संपत्ति कुर्क की गई है।

ईडी के अनुसार, कुर्क की गई संपत्तियों में सूर्यकांत तिवारी की 65 संपत्ति, चौरसिया की 21 संपत्ति और विश्नोई की पांच संपत्ति शामिल हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के एक अन्य कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल तथा कुछ और लोगों की संपत्तियां शामिल हैं। ईडी ने कहा कि इनमें दुर्ग जिले में हिर्री, पोटिया और सेवती में 63.38 एकड़ कृषि भूमि, रायपुर में रासनी और आरंग में 10 एकड़ कृषि भूमि तथा ठाकुरैनटोला (दुर्ग जिले) में 12 एकड़ व्यावसायिक भूमि तथा कुछ फार्महाउस शामिल हैं। ईडी इस मामले में एक अन्य कारोबारी लक्ष्मीकांत तिवारी (सूर्यकांत तिवारी के रिश्तेदार) के अलावा सभी चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। जून में आयकर विभाग के मामले के बाद धन शोधन की जांच शुरू हुई थी। एजेंसी ने कहा कि ईडी की जांच एक बड़े घोटाले से जुड़ी है, जिसमें वरिष्ठ नौकरशाहों, कारोबारियों, नेताओं और बिचौलियों के एक गिरोह द्वारा छत्तीसगढ़ में प्रत्येक टन कोयले पर 25 रुपये की अवैध उगाही की जा रही थी।

ईडी के मुताबिक जांच में पाया गया कि पिछले दो वर्षों में कम से कम 540 करोड़ रुपये की ”उगाही” की गई। जांच एजेंसी ने कहा, ”ईडी ने हजारों हस्तलिखित डायरी प्रविष्टियों का विश्लेषण किया है। ईडी ने न केवल डायरी प्रविष्टियों की, बल्कि विस्तृत जांच की है, जिसमें बैंक खाते का विश्लेषण, व्हाट्सएप चैट का विश्लेषण, बयानों की रिकॉर्डिंग (लगभग 100 व्यक्तियों के) शामिल हैं। बयान के मुताबिक, ईडी ने उस कार्य-प्रणाली का पर्दाफाश किया है, जहां जबरन वसूली गिरोह के प्रभावशाली सदस्य जैसे सूर्यकांत तिवारी, सौम्या चौरसिया, समीर विश्नोई समेत अन्य ने बेनामी संपत्ति बनाने के लिए अपने रिश्तेदारों का इस्तेमाल किया।

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