छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में महुआ बोर्ड की स्थापना करने तथा कलार समाज की माता बहादुर कलारिन के महिला सशक्तीकरण के योगदान को देखते हुए उनकी जयंती पर ऐच्छिक अवकाश की घोषणा की है। सीएम बघेल ने छत्तीसगढ़ कलार महासभा के द्वारा आयोजित कलार महासम्मेलन में यह घोषणा करते हुए कहा कि उद्योग व्यापार में कलार समाज को कोई नकार नहीं सकता है, लेकिन बिना शक्षिा के कोई भी समाज हो आगे नहीं बढ़ सकता है। प्रत्येक समाज के लिए शक्षिा जरूरी है और जिसने भी शक्षिा से नाता तोड़ा है वो समाज पिछड़ गया है।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक समाज की इकाई व्यक्ति होता है और राज्य सरकार ने पिछले चार वर्षों में व्यक्ति को ही केंद्र में रखकर योजनाएं शुरू की हैं ताकि हर समाज के लोग लाभांवित हो सकें। उन्होंने कहा कि यदि योजनाओं का लाभ लोगों को नही मिले, लोग बीमार रहें तो मजबूत छत्तीसगढ़ की कल्पना कभी नहीं हो सकती है, इसीलिए समाज के अंतिम व्यक्ति की जेब में भी पैसा जाए इसका प्रावधान छत्तीसगढ़ शासन ने किया है ताकि प्रदेश की प्रगति निरंतर होती रहे।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में अलग-अलग समाज के लोग मिलजुल कर रहते हैं, जाति वैमनस्यता की यहां कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोगों का सामाजित ताना-बाना बेहद मजबूत है और इससे छत्तीसगढ़ को मजबूती मिलती है। सीएम बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में शक्षिा का स्तर पिछले चार वर्षों में काफी बढ़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खुले हैं और नक्सल क्षेत्रों में लंबे समय से बंद पड़े स्कूलों को भी खोला गया है। छात्रों को गुणवत्ता पूर्ण शक्षिा मिले इसके लिए राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है और इसीलिए शक्षिा पर 17 हजार करोड़ रूपए खर्च किए जाने का प्रावधान बजट में रखा गया है। युवाओं को रोजगार मिले इसके लिए आधुनिक मांग के आधार पर आईटीआई कालेजों मे नए ट्रेड खोले जा रहे हैं ताकि समय की मांग के अनुसार युवा प्रशक्षिति हो सकें।