प्रवर्तन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ के धनशोधन मामले से जुड़े 2,000 करोड़ रुपए के कथित शराब सिंडिकेट घोटाले में एक और गिरफ्तारी की है। आधिकारिक सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। राज्य की राजधानी रायपुर स्थित गिरिराज होटल के प्रवर्तक नितेश पुरोहित को बुधवार दोपहर को गिरफ्तार किया गया। एजेंसी ने पिछले सप्ताह रायपुर के महापौर एवं कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया था, जो इस मामले में की गई पहली गिरफ्तारी है। ऐसा बताया जा रहा है कि इस मामले में निदेशालय ने एक अन्य व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया है, जो राज्य का एक प्रमुख शराब कारोबारी है, लेकिन इस तीसरी गिरफ्तारी के संबंध में अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
एजेंसी ने बुधवार को अदालत से कहा कि पुरोहित अनवर ढेबर के अवैध कामों से अवगत थे और अनिल टुटेजा (छत्तीसगढ़ काडर के आईएएस अधिकारी) एवं एक अन्य व्यक्ति को अपराध से होने वाली आय के लेन-देन में स्वेच्छा” से सहायता करते थे। सूत्रों ने बताया कि अनवर की चार दिन की हिरासत की अवधि समाप्त होने पर उन्हें बुधवार को रायपुर में एक विशेष धनशोधन निवारण कानून (पीएमएलए) अदालत के समक्ष पेश किया गया था, जिसने हिरासत पांच दिन के लिए और बढ़ा दी। अनवर के वकील राहुल त्यागी ने बुधवार को कहा कि अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत ने उनके मुवक्किल की हिरासत की अवधि पांच दिन बढ़ा दी है। उन्होंने बताया कि अदालत ने जांच एजेंसी को निर्देश दिया कि आरोपी को किसी भी तरह से परेशान न किया जाए। उन्होंने बताया कि अदालत ने एजेंसी को यह भी निर्देश दिया कि आरोपी से की जाने वाली पूछताछ की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखा जाए, ताकि यह पता लगाया जा सके कि आरोपी को किसी तरह से परेशान या प्रताड़ित तो नहीं किया गया।
त्यागी ने बताया कि अदालत ने उन्हें अपने मुवक्किल से रोजाना मिलने की अनुमति दी है। प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया था कि छत्तीसगढ़ में बेची गई शराब की ”हर बोतल” पर ”अवैध रूप” से धन एकत्रित किया गया और अनवर ढेबर की अगुवाई वाले शराब सिंडिकेट द्वारा दो हजार करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार और धनशोधन किए जाने के सबूत एकत्र किये गए हैं। निदेशालय ने आरोप लगाया था कि उसने आयकर विभाग की ओर से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी अनिल टुटेजा और अन्य के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में दायर आरोप पत्र के आधार पर धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएएल) के तहत मामले की जांच के लिए पिछले साल एक मामला दर्ज किया था।