रायपुर। छत्तीसगढ़ से जुड़ी भगवान श्रीराम के वनवास काल की स्मृतियों को सहेजने तथा संस्कृति एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना शुरू की गई है। इसके अंतर्गत प्रथम चरण में चयनित 9 पर्यटन तीर्थों का तेजी से कायाकल्प कराया जा रहा है। इस परियोजना के अंतर्गत इन सभी पर्यटन तीर्थों की आकर्षक लैण्ड स्कैपिंग के साथ-साथ पर्यटकों के लिए सुविधाओं का विकास भी किया जा रहा है। 139 करोड़ रुपये की लागत से बन रही इस परियोजना में उत्तर छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले से लेकर दक्षिण छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले तक भगवान राम के वनवास काल से जुड़े स्थलों का संरक्षण एवं विकास किया जा रहा है। चंदखुरी के बाद अब शिवरीनारायण में भी विकास कार्य पूरा हो चुका है, जिसका लोकार्पण 10 अप्रैल को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल करेंगे। इसके लिए तीन दिवसीय भव्य समारोह की शुरुआत 08 अप्रैल से हो जाएगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर में वर्ष 2019 में भूमिपूजन कर राम वनगमन पर्यटन परिपथ के निर्माण की शुरूआत की थी। इस परिपथ में आने वाले स्थानों को रामायणकालीन थीम के अनुरूप सजाया और संवारा जा रहा है। छत्तीसगढ़ शासन की इस महात्वाकांक्षी योजना से भावी पीढ़ी को अपनी सनातन संस्कृति से परिचित होने के अवसर के साथ ही देश-विदेश के पर्यटकों को उच्च स्तर की सुविधाएं भी प्राप्त होगी। 07 अक्टूबर 2021 को तीन दिवसीय भव्य राष्ट्रीय आयोजन के साथ माता कौशल्या मंदिर, चंदखुरी के सौंदर्यीकरण एवं जीर्णोद्धार कार्यों का लोकार्पण मुख्यमंत्री की ओर से किया गया है, जिसके पश्चात् पर्यटकों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई है, जो कि राम वनगमन पर्यटन परिपथ निर्माण की सफलता का परिचायक है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति एवं परम्परा में प्रभु श्री राम रचे-बसे है। जय सिया राम के उद्घोष के साथ यहां दिन की शुरूआत होती है। इसका मुख्य कारण है कि छत्तीसगढ़ वासियों के लिए श्री राम केवल आस्था ही नहीं है बल्कि वे जीवन की एक अवस्था और आदर्श व्यवस्था भी हैं। छत्तीसगढ़ में उनकी पूजा भांजे के रूप में होती है।