छत्तीसगढ़ के कागेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में 25 फरवरी से शुरू होगा पक्षियों का सर्वेक्षण

0
65

रायपुर। छत्तीसगढ़ के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में नौ राज्यों के 70 से अधिक पक्षी विशेषज्ञ और शोधकर्ता मिलकर 25 से 27 फरवरी तक पक्षियों का सर्वेक्षण करेंगे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक धम्मशील गणवीर ने बताया कि पिछले साल किए गए पक्षी सर्वेक्षण के नतीजों से उत्साहित होकर वन प्राधिकरण ने इस संरक्षित जंगल में फिर से सर्वेक्षण कराने का फैसला किया है। गणवीर ने बताया कि राज्य की राजधानी रायपुर से लगभग तीन सौ किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित बस्तर जिले में स्थित इस राष्ट्रीय उद्यान में होने वाले सर्वेक्षण में नौ राज्यों के 70 से अधिक विशेषज्ञ शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि 200 वर्ग किलोमीटर में फैला यह पार्क अपनी प्राकृतिक सुंदरता, जैव विविधता और गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है और इसमें भारत के पश्चिमी घाट तथा पूर्वी हिमालय में पाए जाने वाले पक्षी भी रहते हैं।

निदेशक ने कहा, राष्ट्रीय उद्यान की विविध वनस्पतियां और जीव-जंतु भी अपने अस्तित्व के लिए एक आरामदायक और सामंजस्यपूर्ण पर्यावरण बनाए रखते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल इसी तरह का एक सर्वेक्षण किया गया था जिसमें पक्षियों की 201 प्रजातियां की पहचान की गई थी। इनमें पहाड़ी मैना, ब्लैक हुडेड ओरियोल, भृंगराज, जंगली मुर्गी, कठफोड़वा, रैकेट टेल, सरपेंटाईगर, आदि शामिल हैं। गणवीर ने कहा, इस अध्ययन से यह स्पष्ट हो रहा है कि राष्ट्रीय उद्यान पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है और देश के पक्षी प्रेमियों के लिए एक प्रमुख स्थल के रूप में उभर कर आ रहा है। उन्होंने कहा कि नवीनतम सर्वेक्षण से पार्क में पक्षियों की और अधिक प्रजातियों की पहचान करने और उनकी आदतों तथा आबादी का पता लगाने में मदद मिलेगी, जिससे उनका संरक्षण करना भी आसान होगा।

अधिकारी ने बताया कि ‘बर्ड काउंट इंडिया’ और ‘बर्ड एंड वाइल्डलाइफ छत्तीसगढ़’ के सहयोग से आयोजित होने वाले इस सर्वेक्षण में छत्तीसगढ़ के अलावा पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के 70 से अधिक पक्षी विशेषज्ञ, शोधकर्ता और स्वयंसेवक शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय उद्यान में मैना मित्र योजना चलाई जा रही है जिसमें स्थानीय युवा और गांव के सदस्य पक्षियों के संरक्षण में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा इको विकास समिति के सदस्य भी सहायता प्रदान कर रहे हैं, जिससे सामुदायिक सहयोग से प्राकृतिक संरक्षण में सुधार हो रहा है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ का राज्य पक्षी पहाड़ी मैना अब राष्ट्रीय उद्यान से सटे 15 से अधिक गांवों में देखा जाता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here