छत्तीसगढ़ पुलिस ने हाल में मुठभेड़ में छह नक्सलियों के मारे जाने के माओवादियों के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि यह सुरक्षा बलों की विश्वसनीयता को कम करने की रणनीति है और अपने स्वयं के हिंसक कृत्यों को छिपाने का तरीका है। पुलिस महानिरीक्षक (बस्तर रेंज) सुंदरराज पी ने इस बात पर जोर दिया कि माओवादी अक्सर अपने हिंसक कृत्यों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे दावों का सहारा लेते हैं। वह प्रतिबंधित संगठन भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के एक बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। बयान में दावा किया गया था कि राज्य के बीजापुर जिले में बुधवार को हुई मुठभेड़ फर्जी थी और पुलिस ने छह लोगों की पकड़ने के बाद हत्या कर दी। इस बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर सार्वजनिक हुई है जिसमें एक व्यक्ति दिखाई दे रहा है जिसके हाथ बंधे हैं और वह पुलिस कर्मियों से घिरा हुआ है।
तस्वीर में दिख रहे व्यक्ति का चेहरा कथित तौर पर उन छह नक्सलियों में से एक नक्सली जैसा दिख रहा है, जो पुलिस के अनुसार मुठभेड़ में मारे गए थे। पुलिस अधिकारी ने कहा, संबंधित इकाइयों से इसकी प्रामाणिकता और तथ्यों के बारे में जानकारी जुटाएंगे। माओवादियों की दक्षिण बस्तर डिवीजनल कमेटी के सचिव गंगा के नाम से जारी एक पेज के कथित बयान में दावा किया गया है कि 27 मार्च को उनके संगठन के दो लोगों और चार ग्रामीणों को हत्या से पहले पुलिस द्वारा यातना दी गई और पूछताछ की गई। बाद में इसे एक मुठभेड़ का रूप दिया गया।
माओवादियों ने दावा किया है कि इस फर्जी मुठभेड़ के दौरान कोई भी सशस्त्र कैडर मौजूद नहीं था और कोई गोलीबारी नहीं हुई। आरोपों का खंडन करते हुए बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा, ”सुरक्षा बलों के खिलाफ आरोप लगाना नक्सलियों की कार्यप्रणाली है। माओवादी आसानी से भूल जाते हैं कि वे सैकड़ों निर्दोष नागरिकों की क्रूर हत्याओं के लिए जिम्मेदार हैं। अपने अमानवीय कृत्य से ध्यान भटकाने के लिए ही वे इस तरह के बयान जारी करते हैं। लोग इस वास्तविकता को समझते हैं कि माओवादी अपने खात्मे का सामना कर रहे हैं।
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