छत्तीसगढ़ में अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी गिरोह का भंडाफोड़, चार गिरफ्तार

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छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने शनिवार को बताया कि आरोपियों ने कथित तौर पर कंबोडिया स्थित घोटालेबाजों को कई ‘म्यूल’ बैंक खाते उपलब्ध कराए और वे साइबर अपराध के पीड़ितों से ठगे गए लगभग 10 करोड़ रुपये के अवैध हस्तांतरण में शामिल थे। पुलिस के मुताबिक, धोखाधड़ी, साइबर अपराध या अन्य अवैध गतिविधियों से कमाया गया धन ‘मनी म्यूल’, जबकि इसके लेन-देन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला खाता ‘म्यूल अकाउंट’ कहलाता है।

राजनांदगांव जिले के पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में शामिल वलसाड (गुजरात) निवासी श्रेणिक कुमार सांघवी (24) कथित तौर पर ‘म्यूल’ खातों को संभाल रहा था और उनमें जमा धन को हवाला और क्रिप्टोकरेंसी (आभासी मुद्रा) के जरिये अंतरराष्ट्रीय घोटालेबाजों को हस्तांतरित करता था। गर्ग के अनुसार, गिरफ्तार किए गए तीन अन्य आरोपियों की पहचान राजनांदगांव जिले के रहने वाले आशुतोष शर्मा, शुभम तिवारी (26) और दीपक नरेडी (27) के रूप में की गई है। उन्होंने बताया कि यह मामला तब सामने आया, जब राजनांदगांव के नागरिक सेवा वितरण केंद्र संचालक रूपेश साहू के बैंक खाते का इस्तेमाल घोटालेबाजों ने अवैध लेन-देन के लिए किया।

गर्ग के मुताबिक, 23 जनवरी को साहू ने पुलिस में शिकायत की कि उसके दोस्त आशुतोष शर्मा द्वारा धोखाधड़ी के जरिये एकत्रित धन से संबंधित कई लेन-देन के लिए उसके खाते का इस्तेमाल किए जाने के बाद एक राष्ट्रीयकृत बैंक में उसके खाते को फ्रीज कर दिया गया। उन्होंने बताया कि इसके बाद शर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और उसे पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया। गर्ग के अनुसार, पूछताछ में शर्मा ने पुलिस को बताया कि गुजरात के सांघवी के कहने पर उसने, तिवारी, नरेडी और अन्य सहयोगियों ने प्रार्थी साहू, उसके परिवार के सदस्यों तथा अन्य परिचितों के बैंक खाते सांघवी को धोखाधड़ी की गतिविधियों के लिए उपलब्ध कराए। गर्ग ने बताया कि शर्मा के बयान के आधार पर सांघवी को 25 जनवरी को वलसाड से गिरफ्तार किया गया और राजनांदगांव लाया गया।

उन्होंने कहा कि पूछताछ के दौरान सांघवी ने पुलिस को बताया कि वह जून 2024 में अपने अन्य भारतीय सहयोगियों के साथ कंबोडिया गया था, जहां उसे एक कैसीनो में चलाए जा रहे कॉल सेंटर में जाने का मौका मिला था। गर्ग के मुताबिक, सांघवी और उसके सहयोगी एक हफ्ते तक कंबोडिया में रहे और घोटालेबाजों को धोखाधड़ी की गतिविधियों के लिए भारतीयों के बैंक खाते उपलब्ध कराए, जो कुछ चीनी लोगों के साथ मिलकर भारतीयों को ठगने में लिप्त हैं। उन्होंने बताया कि सांघवी जब भारत लौटा, तब वह तिवारी, शर्मा और नरेडी के संपर्क में आया, जिन्होंने उसे कई बैंक खातों, चेकबुक, एटीएम कार्ड, पंजीकृत मोबाइल नंबरों का विवरण दिया।

गर्ग ने कहा, “कंबोडिया के घोटालेबाज आम लोगों को ऑनलाइन ठगने के बाद इन ‘म्यूल’ खातों में पैसे हस्तांरित करते थे। सांघवी नकद, चेक और यूपीआई के जरिये इन खातों से पैसे निकालता था और उन्हें क्रिप्टोकरेंसी में बदलता था या फिर हवाला के जरिये कंबोडिया स्थित हैंडलरों को स्थानांतरित करता था। अपराध में भूमिका के लिए सांघवी को स्थानांतरित की गई राशि पर आठ से नौ फीसदी कमीशन मिल रहा था, जबकि शर्मा को चार प्रतिशत कमीशन प्राप्त होता था।” उन्होंने बताया कि तिवारी और नरेडी को हर ‘म्यूल’ खाते के लिए 35 हजार रुपये तक कमीशन मिलता था। गर्ग के मुताबिक, जांच से पता चला है कि इस गिरोह की ओर से संचालित करीब 50 ‘म्यूल’ बैंक खातों में लोगों से 10 करोड़ रुपये की ठगी की गई है, जिसकी पुष्टि राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल और भारत के गृह मंत्रालय के समन्वय पोर्टल ने भी की है।

उन्होंने बताया कि इन बैंक खातों का इस्तेमाल कर देश के अलग-अलग हिस्सों से ऑनलाइन काम पूरा करने, नौकरी दिलाने, फर्जी कंपनियों में निवेश करने तथा विवाह वेबसाइट के नाम पर करोड़ों रुपये की साइबर धोखाधड़ी की भी जानकारी मिली है। गर्ग के अनुसार, मामले में आगे की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि उन खाताधारकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने जानबूझकर अपने खाते को धोखाधड़ी की गतिविधियों के लिए उपलब्ध कराया।