गरीब भूमिहीन परिवारों को सीधे आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना लगभग 3 लाख 55 हजार परिवारों का सहारा बन रही है। ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों के अंतर्गत चरवाहा, बढ़ई, लोहार, मोची, नाई, धोबी और पुरोहित जैसे पौनी-पसारी व्यवस्था से जुड़े परिवार, वनोपज संग्राहक तथा समय-समय पर अन्य वर्ग भी योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों केे कृषि भूमिहीन मजदूर परिवारों को छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से प्रति वर्ष 7 हजार रूपए की आर्थिक मदद दी जा रही है। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के नाम से शुरू इस नई अभिनव योजना का शुभारंभ सांसद राहुल गांधी ने 3 फरवरी 2022 को रायपुर में किया था। वित्तीय वर्ष 2022-23 में इस योजना के अंतर्गत 21 मई को 71 करोड़ 8 लाख 4 हजार रूपए की राशि जारी की गई है।
छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने भूमिहीन कृषि मजदूरों के लिए ऐसी योजना लागू की है। इस तरह की योजना देश के अन्य राज्यों में कहीं नहीं है। कोरोना संक्रमण काल में कई लोगों का रोजी-रोजगार के प्रभावित हुआ, जिसके कारण कमजोर तबके के लोगों ने सरकार से सीधी मदद देने की बात कही । छत्तीसगढ़ राज्य में आम जनता की मांग और समाज में आर्थिक रूप से कमजोर ऐसे परिवारों की सीधी मदद के उद्देश्य से यह योजना शुरू की, जिनका जीवन-यापन खेतिहर मजदूर के रूप में होने वाली आय पर निर्भर है। छत्तीसगढ़ राज्य में राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के अंतर्गत लगभग 3 लाख 55 हजार 354 ऐसे परिवार पंजीकृत हुए हैं, जिनके पास कृषि भूमि नहीं है और वह मजदूरी कर जीवन-यापन करते हैं।
राज्य की आबादी में लगभग 70 फीसदी आबादी का जीवन-यापन खेती है। खेती के काम में बड़ी संख्या में भूमिहीन श्रमिक जुड़े हैं। इनमें से कई ऐसे कृषि मजदूर हैं जिनके पास स्वयं की कृषि भूमि नहीं है और वे दूसरों के यहां खेती-मजदूरी कर जीवन-यापन करते हैं। ऐसे सभी वर्गों को राजीव गांधी ग्रामीण कृषि मजदूर न्याय योजना के माध्यम से सहायता दी जा रही है।