छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल बीजापुर जिले में एक सरकारी आवासीय विद्यालय में आग लगने से चार वर्ष की एक बालिका की मृत्यु हो गई। बीजापुर के जिलाधिकारी अनुराग पांडेय ने बताया कि आवापल्ली थाना क्षेत्र के चिंताकोंटा गांव में छात्राओं के पोर्टा केबिन (पूर्वनिर्मित पोर्टेबल संरचना) स्कूल में देर रात करीब एक बजे आग लग गई और इस घटना में एक बालिका लिपाक्षी की मृत्यु हो गई। पांडेय ने बताया कि लिपाक्षी इस स्कूल की छात्रा नहीं थी और वह पिछले कुछ दिनों से अपनी एक रिश्तेदार के साथ वहां रह रही थी। लिपाक्षी की रिश्तेदार स्कूल में आठवीं कक्षा की छात्रा है। पांडेय और अन्य अधिकारियों ने घटनास्थल पर जाकर घटना का जायजा लिया है। उन्होंने बताया कि रात करीब एक बजे आवासीय विद्यालय की एक महिला कर्मचारी ने एक कमरे से आग की लपटें उठते देखीं और अपने सहकर्मियों को सूचित किया। इसके बाद उन्होंने बच्चों को उनके कमरों से बाहर निकाला। जिलाधिकारी ने बताया कि आवासीय विद्यालय में तीन ब्लॉक हैं जिन्हें बांस का उपयोग कर बनाया गया था। उनके मुताबिक आग तेजी से सभी ब्लॉक में फैल गई और संरचनाएं जलकर खाक हो गईं।
पांडेय ने बताया कि आवासीय विद्यालय में कक्षा पहली से आठवीं तक की लगभग 308 और 10वीं एवं 12वीं कक्षाओं की कुछ बच्चियां हैं। जिलाधिकारी ने बताया कि कर्मचारियों ने विद्यालय की सभी छात्राओं को बाहर निकाल लिया। उनके अनुसार इस दौरान आठवीं कक्षा की एक छात्रा ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से उसके साथ रह रही उसकी चार वर्ष भतीजी कमरे के अंदर है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और उसे बचाया नहीं जा सका। पांडेय ने बताया कि लिपाक्षी जब कुछ दिनों पहले अपने परिवार के साथ छात्रा से मिलने आई थी तब अपनी बुआ (छात्रा) के पास रुक गई थी। उनके मुताबिक सोमवार को बालिका के माता-पिता उसे वापस लेने आए लेकिन उसने जाने से इनकार कर दिया था।
पांडेय ने बताया कि लिपाक्षी के परिजनों ने कहा था कि वे उसे बृहस्पतिवार को अपने साथ ले जाएंगे। उन्होंने बताया, प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि बोरवेल पंप के स्टार्टर स्विच में इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी होगी, लेकिन सही कारणों के बारे में फॉरेंसिक जांच के बाद ही जानकारी मिल सकेगी।” पांडेय ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि सूचना मिलने के बाद दमकल विभाग का दल मौके पर पहुंचा और ग्रामीणों की मदद से आग पर काबू पाया गया। राज्य के नक्सल प्रभावित कुछ क्षेत्रों में स्कूल के बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए पोर्टा केबिन का उपयोग किया जाता है।