कानपुर देहात। कंचौसी बाजार में चल रही श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन कथा व्यास आचार्य शांतनु जी महाराज ने कहा कि आज का समय केवल वैचारिक नहीं बल्कि संख्यात्मक संघर्ष का भी है। शांतनु जी महाराज जी ने हिंसा और मांसाहार पर भी प्रहार किया। उन्होंने कहा कि किसी भी निर्दोष प्राणी की हत्या केवल जीभ के स्वाद के लिए करना पाप है। शाकाहार ही स्वास्थ्य और साधना दोनों का आधार है। मांसाहार से मनुष्य का हृदय कठोर और आत्मा अपवित्र हो जाती है। आचार्य महाराज ने आगे कहा कि आधुनिकता और भौतिक सुख-सुविधाओं की अंधी दौड़ में लोग अपने मूल धर्म और संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया — “बच्चे ही भविष्य की नींव हैं। यदि भविष्य मजबूत चाहिए तो अधिक बच्चों को जन्म देना ही होगा। यदि हिंदू समाज को अपनी संस्कृति और अस्तित्व को सुरक्षित रखना है तो हर परिवार को कम से कम तीन बच्चे उत्पन्न करने चाहिए। यह केवल पारिवारिक विस्तार का विषय नहीं है, बल्कि धर्म रक्षा का संकल्प है। संख्या की महत्ता को समझना समय की मांग है।
कृष्ण जन्मोत्सव का अद्भुत दृश्य
कथा के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य की कथा सुनाई गई। जैसे ही आचार्य जी ने “मध्यरात्रि के समय देवकी के गर्भ से कृष्ण अवतरित हुए” का प्रसंग सुनाया, पूरा पंडाल “हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की” के नारों से गूंज उठा। भक्तों पर मानो भक्ति का सागर उमड़ पड़ा। महिलाएँ मंगलगीत गाने लगीं और युवक ढोलक-झांझ की ताल पर नृत्य करने लगे। उसी बीच मंच से पुष्पों की वर्षा हुई और आचार्य शांतनु जी महाराज ने बालकृष्ण के रूप में सजे शिशु को अपनी गोद में उठाकर नंदबाबा की भूमिका निभाई। यह दृश्य देख श्रद्धालुओं की आँखें श्रद्धा से नम हो गईं।
श्रीराम के आदर्श और श्रीकृष्ण की लीलाएँ
कथा के दौरान आचार्य जी ने भगवान श्रीराम की जीवनगाथा को भी श्रद्धालुओं के सामने रखा। उन्होंने कहा कि श्रीराम केवल राजा ही नहीं, बल्कि आदर्श पुत्र, आदर्श पति और आदर्श शासक का प्रतीक हैं। इसके साथ ही उन्होंने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का विस्तार से वर्णन किया — माखन चोरी, बांसुरी की मोहक तान और गोपियों के साथ उनके हृदयस्पर्शी प्रसंगों ने श्रोताओं को गोकुल और वृंदावन की गलियों की सैर करा दी।
सनातन संस्कृति की महिमा
आचार्य शांतनु महाराज ने कहा कि सनातन धर्म विश्व का सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक धर्म है। उन्होंने समझाया कि जैन, बौद्ध और अनेक अन्य पंथ इसी मूलधारा से निकले हैं। “भारत केवल भू-भाग का नाम नहीं, यह ऋषियों और महापुरुषों की तपोभूमि है। हमारे पूर्वजों की आस्था और त्याग ही इसकी पहचान है. यह कथा सप्ताह स्वर्गीय माता कनकरानी और स्वर्गीय पिता दर्शन सिंह की पुण्य स्मृति में आयोजित किया गया है। आयोजन की अगुवाई कर रहे अकबरपुर के सांसद श्री देवेन्द्र सिंह भोले,स्वामी विवेकानंद युवा समिति के अध्यक्ष विकास सिंह भोले और डॉक्टर अमित सिंह ने परिवार के साथ विधिवत पूजन-अर्चन कर कथा का शुभारंभ कराया। प्रतिदिन भजन-कीर्तन और प्रसाद वितरण के साथ श्रद्धालुओं की सेवा की जा रही है।
विशेष अतिथियों की उपस्थिति
कमलावती सिंह, पूर्व मेयर जगतवीर सिंह द्रोंड, कालपी के पूर्व विधायक नरेंद्र जादौन, बिल्हौर विधायक राहुल (काला बच्चा) सोनकर, पप्पू पांडे (पार्षद), उमेश निगम, विभाग प्रचारक कानपुर प्रांत बैरिस्टर जी भाईसाहब सहित सैकड़ों श्रद्धालु कथा में सम्मिलित हुए।