छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों के बढ़ते प्रभाव के बीच, माओवादी नेता ने कैडर से हथियार छोड़ने का किया आग्रह

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छत्तीसगढ़ में शीर्ष माओवादी नेताओं सहित बड़ी संख्या में माओवादियों के आत्मसमर्पण के बाद, प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के एक प्रमुख नेता ने अपने साथियों से हथियार छोड़कर सशस्त्र संघर्ष समाप्त करने की अपील की है। उदंती एरिया कमेटी के माओवादी नेता सुनील के नाम से जारी एक पृष्ठ के पत्र में ‘कामरेड साथियों’ को संबोधित करते हुए माओवादी कैडर से ”देर होने से पहले सावधानीपूर्वक सोचने और सही निर्णय लेने” का आग्रह किया गया है। गरियाबंद के पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा ने इस घटनाक्रम का स्वागत करते हुए सभी सक्रिय माओवादी कैडर से मुख्यधारा में लौटने और शांतिपूर्ण जीवन जीने की अपील की है।

उदंती एरिया कमेटी, गरियाबंद के कुछ हिस्सों और छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा से सटे क्षेत्रों में सक्रिय है। कथित माओवादी नेता द्वारा जारी पत्र में लिखा गया, ”आप सब कामरेड्स कैसे हो, मेरे हिसाब से आप अच्छे होंगे। कामरेड, आप सभी से अपील है कि 16 अक्टूबर 2025 को सोनू दादा (मलोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति) ने महाराष्ट्र में 61 कामरेड के साथ हथियार त्याग कर सशस्त्र आंदोलन को विराम दिया है। और 17 अक्टूबर 2025 को बस्तर में रूपेश दादा उर्फ सतीश दादा ने 210 साथियों सहित आत्मसमर्पण किया। इन सभी कामरेड्स ने सरकार को अपने हथियार सौंप दिए हैं।

सोनू दादा ने एक बुकलेट में लिखा, ”वर्तमान परिस्थितियों में सशस्त्र आंदोलन मुश्किल हो गया है। सुरक्षा बलों का दबाव बहुत बढ़ गया है। जिस तरह से क्रांति को चलाना था, वह नहीं हो पाया। सीसी (केंद्रीय समिति) सही समय पर निर्णय नहीं ले सकी—यह एक बड़ी भूल रही है।” इसमें लिखा, ”इसलिए, हम सभी को अब हथियारबंद संघर्ष को विराम देकर जन आंदोलनों के साथ मिलकर जनता की समस्याओं को हल करने का प्रयास करना चाहिए। हमारी उदंती टीम अब गरियाबंद में सशस्त्र आंदोलन को समाप्त करने जा रही है।” बुकलेट में लिखा गया, ”आप सभी यूनिट के साथी—गोबरा, सीनापाली, एसडीके, सीतानदी भी इस दिशा में सोचें और सही फैसला लें, ऐसा न हो कि बहुत देर हो जाए। हमने पहले ही कई प्रमुख कामरेड खो दिए हैं। हमारी यूनिट, सोनू दादा और रूपेश दादा द्वारा लिए गए फैसले का समर्थन करती है।

आप भी अपने पूरे दलम सहित हथियार लेकर आएं।” इसमें लिखा गया, ”जनता से भी मेरी अपील है कि कृपया इस पत्र को जल्द से जल्द हमारे अन्य कामरेड तक पहुंचाएं।” पत्र में एक मोबाइल नंबर भी दिया गया है, जिसके माध्यम से माओवादी कार्यकर्ता उनसे संपर्क कर सकते हैं। पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा ने पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ”हम इस पत्र का स्वागत करते हैं। यह एक सकारात्मक पहल है। मैं उदंती, गोबरा, सीनापाली, एसडीके और सीतानदी क्षेत्रों में सक्रिय नक्सलियों से जल्द से जल्द आत्मसमर्पण की अपील करता हूं। वे बिना किसी हिचकिचाहट के मुझसे सीधे संपर्क कर सकते हैं। हम उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करेंगे।” शुक्रवार को बस्तर जिले में केंद्रीय समिति के सदस्य रूपेश और 111 महिला कैडर सहित कुल 210 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था। पुलिस के अनुसार, इन सभी पर कुल मिलाकर 9.18 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। दक्षिणी छत्तीसगढ़ (बस्तर) से लेकर ओडिशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश तक फैला दंडकारण्य क्षेत्र लंबे समय से माओवादियों का प्रमुख गढ़ रहा है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने 16 अक्टूबर को बताया था कि राज्य में पिछले 22 महीनों में 477 नक्सली मारे गए, 2,110 ने आत्मसमर्पण किया, और 1,785 गिरफ्तार किए गए हैं। उन्होंने इसे छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त बनाने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता बताया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल में घोषणा की थी कि केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त करने का संकल्प लिया है। उन्होंने अपने बस्तर प्रवास के दौरान माओवादियों से हथियार छोड़ने की अपील भी की थी। बृहस्पतिवार को गृह मंत्री शाह ने छत्तीसगढ़ के दो सबसे अधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों अबूझमाड़ और उत्तरी बस्तर को नक्सल मुक्त घोषित करते हुए स्पष्ट किया था, ”जो आत्मसमर्पण करना चाहते हैं, उनका स्वागत है; लेकिन जो बंदूक उठाएंगे, उन्हें सुरक्षाबलों की कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।