छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में अंधवश्विास के कारण हेड-कॉन्स्टेबल समेत उसके परिवार के पांच लोगों की सामूहिक हत्याकांड के मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा करते हुए इस मामले में एक महिला समेत 17 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा रहा है कि गिरफ़्तार आरोपियों में एक महिला भी शामिल हैं। पुलिस ने अब सभी आरोपियों को गिरफ्तार पूछताछ कर रही है। जानकारी के अनुसार, रविवार शाम को हेड-कॉन्स्टेबल समेत पूरे परिवार को जादू-टोने के शक में मार दिया गया। गांव वालों ने परिवार के पांच लोगों की लाठी-डंडों से पीट-पीटकर की हत्या कर दी। इस मामले में अब तक पुलिस ने 17 आरोपियों को हिरासत में लिया है। पुलिस सभी को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर रही हैं।
घटना कोंटा के मुरलीगुड़ा कैंप के नजदीक इटकल गांव की है। इस गांव के ही रहने वाले कुछ लोगों को शक था कि इन लोगों ने हेड कांस्टेबल के परिवार ने गांव के ही एक व्यक्ति के ऊपर जादू-टोना किया है। जिसके बाद गांव वालों ने पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया। घटना के बाद आसपास इलाके में दहशत का माहौल बना हुआ है। आदिवासी अंचल चाहे वो सरगुजा हो जशपुर हो या बस्तर जहां आज भी ‘झाड़ फूंक’ व ‘बैगा गुनिया’ बहुत प्रासंगिक है। अनपढ़ तो अनपढ़ पढ़े लिखे लोग भी इनके माया जाल में उलझे हुए हैं। बस्तर में झाड़ फूंक और तंत्र मंत्र की गहरी पैठ आज भी बस्तर संभाग के गांवों में बनी हुई है। संभाग के सुकमा जिले में दो दिन पहले दिल दहलाने वाली जो घटना हुई है, उसके पीछे भी यही कारण रहा है। सुकमा के कोंटा विकासखंड की ग्राम पंचायत मुरलीगुड़ा के इतकल गांव में रविवार को एक ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या के मामले में अंधविश्वास जिम्मेदार है। मृतक परिवार का एक सदस्य वड्डे का काम करता था।
झाड़ फूंक से उपचार करने वाले तांत्रिक को कहि बैगा कहीं गुनिया कहीं तो बस्तर में वड्डे कहते हैं। इतकल गांव के लोग बीमार पड़ने पर इसी वड्डे के पास झाड़ फूंक कराने जाया करते थे। उसकी झाड़ फूंक के बाद भी जब बीमारी दूर नहीं हुई और मौतों का क्रम जारी रहा, तो कुछ ग्रामीणों ने पड़ोसी राज्य ओड़िशा के एक गांव में जाकर वहां के वड्डे से संपर्क किया तो उस वड्डे ने मौतों के लिए इतकल के वड्डे को जिम्मेदार ठहरा दिया। इसके बाद गांव लौटकर ग्रामीणों ने आम बैठक बुलाई और गांव के वड्डे परिवार की हत्या की योजना बना ली गई। इतकल गांव में पिछले चार वर्ष में 30 पुरुषों और पिछले 18 माह में 14 मासूम बच्चों की मृत्यु हुई है। इतनी बड़ी संख्या में गांव में होने वाली मौतों से गांव के लोग हताश-परेशान थे और गांव में ही झाड़-फूंक कर अपनी समस्या का उपचार ढूंढते रहे। आखिरकार गांव में हो रही लगातार मृत्यु से उपजी ग्रामीणों की हताशा ने इस जघन्य हत्याकांड को जन्म दे दिया। इस बैठक में एक आपराधिक निर्णय लेते हुए वड्डे परिवार को मृत्युदंड की सजा सुना दी गई।