रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षा-2021 में कथित अनियमितताओं की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का फैसला किया। यह फैसला आज यहां ‘मंत्रालय’ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान लिया गया। उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि युवाओं के हित में, राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग (सीजीपीएससी) परीक्षा-2021 के जरिए की गई भर्ती में अनियमितताओं से संबंधित शिकायतों को देखते हुए इसकी जांच सीबीआई से कराने का फैसला किया है।
सीजीपीएससी ने अपनी परीक्षा-2021 के तहत राज्य सरकार के 12 विभिन्न विभागों के 170 पदों के लिए चयन सूची जारी की थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने हाल में हुए विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान सीजीपीएससी भर्ती में कथित घोटाले को लेकर पिछली कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा था और पार्टी के सत्ता में आने पर इसकी जांच कराने का वादा किया था। पार्टी ने यह भी वादा किया था कि राज्य में पीएससी परीक्षा में पारदर्शिता रखी जाएगी और सीजीपीएससी परीक्षाएं संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) की तर्ज पर आयोजित की जाएंगी। भाजपा के पूर्व विधायक नकीराम कंवर ने पिछले साल छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर सीजीपीएससी परीक्षा-2021 के संबंध में सीबीआई से जांच कराने का आदेश देने की मांग की थी।
पिछले साल सितंबर में, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को एक याचिका में लगाए गए आरोपों को सत्यापित करने का निर्देश दिया था कि क्या सीजीपीएससी परीक्षा 2021 में चयनित 18 उम्मीदवार आयोग के पदाधिकारियों, उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारियों, राजनीतिक नेताओं और बड़े व्यवसायी के रिश्तेदार हैं? याचिका के अनुसार, 2021 में सीजीपीएससी द्वारा 20 श्रेणियों की सेवाओं के लिए कुल 171 पदों का विज्ञापन दिया गया था। प्रारंभिक परीक्षा 13 फरवरी 2022 को आयोजित की गई थी, जबकि मुख्य परीक्षा 26, 27, 28 और 29 मई 2022 को आयोजित की गई थी। 509 उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए चुना गया।
साक्षात्कार 20 सितंबर 2022 से 30 सितंबर 2022 तक आयोजित किया गया था। 170 पदों पर चयनित अभ्यर्थियों की सूची पिछले साल 11 मई को जारी की गई थी। याचिका में दावा किया गया था कि सीजीपीएससी परीक्षा 2021 के परिणाम से पता चलता है कि तत्कालीन सीजीपीएससी अधिकारियों के रिश्तेदारों और प्रभावशाली राजनीतिक नेताओं, नौकरशाहों और उद्योगपतियों के रिश्तेदारों को भ्रष्टाचार व पक्षपात के कारण चुना गया है। पिछली कांग्रेस सरकार ने तब एक बयान में कहा था कि मामले की गहन जांच की जाएगी और जांच के आधार पर उच्च न्यायालय को जवाब सौंपा जाएगा।