रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को कांग्रेस सरकार पर राज्य में अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया और कहा कि इनकी लापरवाही के कारण आदिवासियों का आरक्षण कोटा 32 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। भाजपा नेताओं ने इस संबंध में राज्यपाल अनुसुइया उइके को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें राज्य सरकार को आदिवासियों के लिए आरक्षण लाभ बहाल करने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। भाजपा सांसद, विधायक और पार्टी के नेताओं ने आज जिला कार्यालय एकात्म परिसर से राजभवन तक पैदल मार्च किया और राजभवन पहुंचकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।
राजभवन के बाहर संवाददाताओं से बातचीत के दौरान भाजपा विधायक दल के नेता नारायण चंदेल ने कहा कि 2011 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने आदिवासियों का आरक्षण कोटा 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 32 प्रतिशत कर दिया था और 2012 से इसका लाभ उठाया जा रहा था। चंदेल ने आरोप लगाया कि भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण पिछले महीने से 32 प्रतिशत आरक्षण का लाभ बंद कर दिया गया और अब इसका खामियाजा आदिवासी युवा भुगत रहे हैं। उन्होंने कहा,मामला (आरक्षण वृद्धि का) अदालत में लंबित था और कांग्रेस सरकार को अपनी पूरी तैयारी के साथ बहस करनी चाहिए थी। बघेल सरकार ने मामले को हल्के में लिया और मामले का बचाव करने के लिए वरिष्ठ वकील को नहीं रखा। कांग्रेस सरकार की लापरवाही का नतीजा है कि अब आदिवासियों को 12 फीसदी आरक्षण के लाभ का नुकसान हो रहा है। विभिन्न रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया रोके जाने से सरगुजा और बस्तर संभाग में आदिवासियों में भारी रोष है।
भाजपा नेता ने बताया कि ज्ञापन में पार्टी ने राज्यपाल से राज्य सरकार को आरक्षण का लाभ बहाल करने के लिए उचित कदम उठाने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने पिछले महीने राज्य सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण को 58 प्रतिशत तक बढ़ाने के आदेश को खारिज कर दिया था और कहा था कि 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक आरक्षण असंवैधानिक है। इस फैसले के बाद राज्य में आदिवासियों के लिए आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत हो गया है। राज्य में लगभग 32 प्रतिशत जनसंख्या आदिवासियों की है। भाजपा के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि विपक्ष आदिवासी आरक्षण को लेकर घड़ियाली आंसू बहा रहा है।
मरकाम ने कहा, जब आरक्षण की सीमा को 50 से बढ़ाकर 58 करने के खिलाफ अदालत में याचिका लगी, तो तत्कालीन रमन सरकार ने आरक्षण बढ़ाने के तर्कसंगत कारणों को अदालत के समक्ष क्यों नहीं रखा? आरक्षण बढ़ाने के लिए तत्कालीन गृहमंत्री ननकी राम कंवर की अध्यक्षता में बनाई गयी कमेटी की सिफारिशों को अदालत के समक्ष क्यों नहीं रखा गया? तथा तत्कालीन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी की सिफारिशों को अदालत में क्यों छुपाया गया? कांग्रेस नेता ने कहा, ”जब रमन सरकार आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 58 प्रतिशत कर रही थी तो अनुसूचित जाति के आरक्षण में चार प्रतिशत की कटौती करने के बजाय आरक्षण सीमा को 58 प्रतिशत से 62 क्यों नहीं किया? इससे लोग अदालत नहीं जाते, बढ़ाया गया आरक्षण यथावत रहता। आज भी देश के अनेक राज्यों में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण है, रमन सरकार ने जानबूझकर यह चूक की है। मरकाम ने कहा है कि भाजपा में साहस है तो इन सवालों का जवाब दे।