छत्तीसगढ़ विधानसभा के मॉनसून सत्र का पहला दिन हंगामेदार रहा। सदन की कार्यवाही सोमवार को शुरू होने पर विपक्षी दल कांग्रेस ने पिछले महीने बालौदाबाजार में हुई हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा के इस्तीफे की मांग की। विपक्ष ने दावा किया कि राज्य में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। विधानसभा में कांग्रेस ने बालौदाबाजार हिंसा को लेकर स्थगन प्रस्ताव पेश किया जिसे विधानसभाध्यक्ष ने अस्वीकार कर दिया। इसके बाद सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विपक्षी सदस्य आसन के सामने आ गए जिसके कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया। बालौदाबाजार-भाटापारा जिले के गिरौदपुरी धाम में 15 और 16 मई की मध्यरात्रि पवित्र अमर गुफा के पास स्थित सतनामियों द्वारा पूजे जाने वाले पवित्र प्रतीक ‘जैतखाम’ या ‘विजय स्तंभ’ को क्षतिग्रस्त किए जाने के बाद समुदाय ने 10 जून को विरोध प्रदर्शन किया। समुदाय के इस प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया और भीड़ ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के कार्यालयों के साथ-साथ 150 वाहनों में आग लगा दी।
पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस विधायक भूपेश बघेल ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि हिंसा और आगजनी खराब कानून व्यवस्था और लचर खुफिया तंत्र की वजह से हुई और प्रशासन ‘जैतखाम’ के क्षतिग्रस्त करने के प्रकरण को गंभीरता से नहीं ले रहा है। बघेल का इस मुद्दे पर अन्य कांग्रेस विधायकों ने भी समर्थन किया जबकि भाजपा विधायकों ने यह दावा करते हुए विरोध किया कि मामले की पहले ही न्यायिक जांच जारी है और इसपर चर्चा सदन के नियमों का उल्लंघन होगा। विधानसभाध्यक्ष रमन सिंह ने कहा कि विपक्षी सदस्य न्यायिक जांच के अंतर्गत आने वाले बिंदुओं का उल्लेख किए बिना अपने मुद्दे को सदन में रख सकते हैं। बघेल ने कहा कि पुलिसकर्मियों को प्रदर्शन के दौरान अपनी जान बचाकर भागते देखा गया और करोड़ों रुपये की संपत्ति, जिला कार्यालय, पुलिस अधीक्षक एवं अन्य कार्यालयों में अहम दस्तावेज नष्ट कर दिए गए और इससे शांतिप्रिय छत्तीसगढ़ की छवि धूमिल हुई। कांग्रेस विधायक ने आरोप लगाया कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और निर्दोष लोगों को मामले में गिरफ्तार किया जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की।
कांग्रेस विधेयक के आरोपों का जवाब देते हुए शर्मा ने कहा कि यह कहना गलत है कि सरकार बालौदाबाजार की स्थिति को संभालने में नाकाम रही। उन्होंने सदन को सूचित किया कि विभिन्न पुलिस थानों में 14 मामले दर्ज किए गए हैं और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है। शर्मा ने बताया कि जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को निलंबित कर दिया गया है। शर्मा के जवाब देने के बाद विधानसभाध्यक्ष ने स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। हालांकि, कांग्रेस विधायक स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की मांग पर अड़े रहे। विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही अपराह्न तीन बजे तक भोजनावकाश के लिए स्थगित कर दी। जब कार्यवाही शुरू हुई तो कांग्रेस विधायक आसन के सामने आ गए और सदन की कार्यवाही स्वत: स्थगित हो गई। विधानसभा अध्यक्ष ने इसके बाद विपक्षी सदस्यों को निलंबित करने की घोषणा की और सूचीबद्ध कार्यों का निस्तारण कराया।