छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अडानी मामले में संसद में मोदी सरकार के चर्चा से भागने को शर्मनाक करार देते हुए कहा कि उसे एलआईसी, भारतीय स्टेट बैंक सहित तमाम सरकारी वित्तीय संस्थानों के लगे जनता के पैसे के बारे स्थिति स्पष्ट करना चाहिए। सीएम बघेल ने कहा कि अभी तक इतना बड़ा झटका किसी कम्पनी को नही लगा है। एक सप्ताह में आठ लाख करोड़ रुपये डूब गए। यह पैसा जनता का है जोकि अडानी की कम्पनियों में लगा हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के एनपीएस की राशि को भी अडानी की कम्पनियों में लगाने की खबरें आ रही है। अगर ऐसा है तो राज्यों के कर्मचारियों को सर्वाधिक नुकसान होगा।
उन्होंने कहा कि अगर नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसी कोई घटना हो जाय तो क्या होगा। उन्होंने कहा कि लोगो को अच्छे दिन का सपना दिखाकर सत्ता में भाजपा आ गई लेकिन उसके सत्ता में आने के बाद किसका विकास हुआ। महंगाई और बेरोजगारी चरम पर हैं और नोटबंदी के जरिए लोगो की घरों मे रखी जमा पूंजी भी बैंकों के हवाले हो गई। उन्होंने कहा कि गैर जरूरी मुद्दों पर चीख चीख कर चल्लिाने वाले राष्ट्रीय मीडिया में अजीब खामोशी हैं। जनता का पैसा डूब रहा है, क्या चौथे स्तंभ की इस मामले को सामने लाने को लेकर कोई नैतिक जिम्मेदारी हैं भी या नही।
सीएम बघेल ने कहा कि सेबी का बहाना कर मोदी सरकार अपनी जिम्मेदारी से भागने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सहित लगभग सभी विपक्षी दल इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच करवाने की मांग कर रहे है या फिर उन्होने उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायधीश की निगरानी में जांच करवाने का विकल्प सरकार को दिया है, लेकिन उसका भागना तमाम संदेहों को जन्म दे रहा हैं।