छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी नक्सली हमले की दसवीं बरसी पर बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि उनकी सरकार नक्सलवाद के खिलाफ सर्वोच्च कुर्बानी देने वाले शहीदों की शहादत को बेकार नहीं जाने देगी और साल वनों के द्वीप बस्तर क्षेत्र को नक्सलवाद से मुक्त कर फिर से शांति का टापू बनाएगी। बघेल ने झीरम घाटी शहादत दिवस के अवसर जगदलपुर के लालबाग स्थित झीरम मेमोरियल में झीरम घाटी के शहीदों को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और उन्हें नमन किया।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा, नक्सलवाद के खिलाफ सर्वोच्च कुर्बानी देने वाले शहीदों की शहादत को हम बेकार नहीं जाने देंगे, साल वनों के द्वीप बस्तर क्षेत्र को नक्सलवाद से मुक्त कर फिर से हम शांति का टापू बनाएंगे। मुख्यमंत्री और अन्य जनप्रतिनिधियों ने इस अवसर झीरम के शहीदों की याद में दो मिनट का मौन रखा और वहां मौजूद सभी लोगों को राज्य को फिर से शांति का टापू बनाने की शपथ दिलाई। इस दौरान मुख्यमंत्री ने झीरम घाटी के शहीदों के परिजनों से मुलाकात की और शॉल-श्रीफल भेंट किया। बघेल ने श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए कहा, झीरम घाटी की घटना को दस बरस हो गए हैं। हर साल हम लोग झीरम के शहीदों को नमन करते है और जब भी 25 मई आता है, हम सब का दिल भर जाता है। जो बच गए उन्होंने घटना को अपनी आंखों से देखा। वे बताते थे कि घटना कितनी भयावह थी।
उन्होंने कहा, इस घटना में शहीद हुए नेताओं ने परिवर्तन की बात कही थी। जिसका शुभारंभ सरगुजा से हुआ था। हमारे नेता कहते थे कि किसानों, आदिवासियों, युवाओं और महिलाओं के जीवन में परिवर्तन लाना है। परिवर्तन का संकल्प लेने वाले हमारे सभी बड़े नेता हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने झीरम में अपनी शहादत दी। मुख्यमंत्री ने कहा, जिस नव निर्माण के पवित्र उद्देश्य के लिए हमारे नेताओं ने परिवर्तन यात्रा की थी, उस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हमने लगातार परिश्रम किया है। हमने विकास, विश्वास और सुरक्षा की नीति से नक्सलियों को चंद इलाकों तक ही समेट दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपनी योजनाओं और नीतियों से बस्तर का विकास सुनिश्चित किया तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, आदिवासी संस्कृति के संरक्षण एवं अन्य विकास कार्यों को गति दी और बेहतर कार्य कर दिखाया है। झीरम घाटी शहादत दिवस की दसवीं बरसी उनके मंत्रिमंडल के सदस्य, क्षेत्र के प्रतिनिधि और वरिष्ठ नेता मौजूद थे।