सीएम बघेल ने भाजपा को बताया आरक्षण विरोधी; पूछा- केंद्र सरकार क्यों नहीं करा रही जनगणना

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरक्षण के खिलाफ होने का आरोप लगाया और पूछा कि केंद्र सरकार जनगणना क्यों नहीं करा रही है। आगामी चुनावों के लिए भाजपा उम्मीदवारों की एक कथित सूची सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस पर कटाक्ष करते हुए बघेल ने कहा कि वायरल सूची से भाजपा की अंदरूनी कलह का पता चलता है। संवाददाताओं ने बातचीत के दौरान उनसे पूछा गया कि भाजपा सवाल उठा रही है कि राज्य सरकार ने सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की है, इसपर बघेल ने कहा, भाजपा आरक्षण के खिलाफ है। जब अदालत ने पूछा कि राज्य सरकार ने किस आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है, तब ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए गणना की गई।

बघेल ने कहा, ”गणना में पाया गया कि राज्य में 43.5 प्रतिशत ओबीसी और 3.5 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस हैं, जिसके आधार पर उनके लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया। क्या भाजपा नहीं मानती कि राज्य में 43 फीसदी से ज्यादा ओबीसी हैं? अगर उन्हें विश्वास नहीं है तो वे 2021 की जनगणना क्यों नहीं कराते। जब हम सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कर सकते हैं, बिहार सर्वेक्षण कर सकता है तो भाजपा (केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार) ऐसा क्यों नहीं कर सकती। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा कि अगर कांग्रेस छत्तीसगढ़ में सत्ता बरकरार रखती है तो राज्य में जाति जनगणना कराई जाएगी।

सोशल मीडिया पर भाजपा के लगभग 50 उम्मीदवारों की वायरल सूची के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ”यह सूची भाजपा के भीतर आंतरिक गुटबाजी के परिणामस्वरूप लीक हुई है। अन्यथा यह संभव नहीं है कि सूची लीक हो जाये। भाजपा की अंदरूनी लड़ाई खुलकर सामने आ गई है। महादेव ऑनलाइन बुक नामक अवैध सट्टेबाजी ऐप की प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को पहले यह बताना चाहिए कि वह इस ऐप को कब बंद करने जा रही है और वह इसकी निष्पक्ष जांच क्यों नहीं करा रही है। राज्य सरकार ने चार सितंबर, 2019 को एक अध्यादेश जारी करके ओबीसी का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया था। इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान भी किया गया।

कुछ लोगों ने राज्य सरकार के इस फैसले को अदालत में चुनौती दी थी, जिसके बाद छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के आदेश के कार्यान्वयन पर रोक लगाते हुए, संबंधित जनसंख्या का आंकड़ा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। इसके बाद राज्य सरकार ने ‘क्वांटिफायबल डाटा आयोग’ का गठन कर आंकडा जुटाना शुरू किया। ‘क्वांटिफायबल डेटा आयोग’ की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने राज्य में विभिन्न श्रेणियों की आबादी के अनुपात में सरकारी नौकरियों में आरक्षण और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश से संबंधित दो संशोधन विधेयक पेश किए। विधेयक राज्य विधानसभा द्वारा पारित कर दिए गए लेकिन अभी तक राज्यपाल की सहमति नहीं मिली है। विधेयकों के अनुसार अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए चार प्रतिशत का प्रावधान किया गया है। इससे राज्य में कुल आरक्षण 76 प्रतिशत हो जाएगा।

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