यह चुनाव रेवड़ी और रबड़ी के बीच के मुकाबले का है : श्रीनेत

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रायपुर। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने बुधवार को कहा कि भाजपा गरीबों और जरूरतमंदों के लिए कल्याणकारी पहल को रेवड़ी कहती है, लेकिन उद्योगपति अडानी को परोसी गई रबड़ी के बारे में नहीं बोलती है। श्रीनेत ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को रेवड़ी और रबड़ी के बीच की लड़ाई करार देते हुए कहा कि यदि भाजपा जनकल्याण के कार्यों को रेवड़ी बांटना कहती है तो कांग्रेस ऐसा करती रहेगी। उन्होंने यहां प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि शराबबंदी (2018 के चुनावों में कांग्रेस द्वारा किया गया वादा) को राज्य में कैसे लागू किया जा सकता है, यह विचार-विमर्श और आम सहमति के बाद अगली निर्वाचित सरकार द्वारा तय किया जाएगा।

उन्होंने कहा, आज जब छत्तीसगढ़ का चुनाव मुहाने पर है तो कांग्रेस सरकार अपने काम के दम पर और अपने रिपोर्ट कार्ड पर जनता से वोट मांग रही है। हमारी प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से जुमलों की बारिश कर रही है। और नीरज चोपड़ा (भाला फेंक एथलीट) से अधिक लंबा फेंकने में माहिर मोदी जी और उनके परम चेले अमित शाह जी का तो कोई जवाब ही नहीं है। उन्होंने कहा, जुमले फेंकना कोई नई बात नहीं है, यह हर चुनाव के दौरान शुरू होता है। श्रीनेत ने कहा, लेकिन वास्तविकता यह है कि यह चुनाव अंततः रेवड़ी और रबड़ी के बीच मुकाबला बन गया है.. जब आदिवासियों, मजदूरों, दलितों, शोषितों, वंचितों और किसानों के लिए कल्याण का कार्य किया जा रहा है, तो भाजपा और प्रधानमंत्री इसे रेवड़ी कहते हैं। लेकिन अडानी जी को थाली में परोसी जाने वाली रबड़ी पर कोई चर्चा नहीं हुई। यदि वे जनकल्याण के कार्यों को रेवड़ी कहते हैं तो हम इसे बांटना जारी रखेंगे।

उन्होंने इस दौरान भूपेश बघेल सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और कहा कि पांच वर्षों में 40 लाख लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने पांच साल में 85 हजार नौकरियां दीं और रोजगार के पांच लाख अवसर पैदा किए। उन्होंने छत्तीसगढ़ चुनावों में कांग्रेस की जीत का विश्वास प्रकट हुए कहा, भाजपा के पास उठाने के लिए कोई मुद्दा नहीं है और वह राज्य में अपना अस्तित्व खो चुकी है। न तो उसमें ऊर्जा है और न ही उत्साह। यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस शराबबंदी और संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण के वादे को पूरा करने में विफल रही, श्रीनेत ने कहा, कुछ विषयों पर अधिक विचार-विमर्श, आम सहमति और समन्वय की आवश्यकता होती है। यह (शराबबंदी) भी ऐसा ही मुद्दा है। राज्य शराब के सेवन से होने वाले उपद्रव से जूझ रहा है और हमारी सरकार की राय है कि इस उपद्रव को रोका जाए। इसकी आगे की रूपरेखा क्या होगी- यह चुनी हुई सरकार तय करेगी।

उन्होंने कहा, राज्य में संविदा कर्मचारियों के वेतन में 27 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, लेकिन इसे और अधिक बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि संविदा कर्मचारियों के पास सामाजिक सुरक्षा नहीं है। वेतन में बढ़ोतरी एक कदम है और अगर कांग्रेस दोबारा सत्ता में आई तो आगे भी कदम उठाए जाएंगे। दोनों मुद्दों पर विचार-विमर्श और आम सहमति की जरूरत है। राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान दो चरणों में सात और 17 नवंबर को होगा।

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