मादक पदार्थों का अवैध कारोबार भारत के लिए चुनौती एवं अंतरराष्ट्रीय समस्या : गृहमंत्री शाह

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रायपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मादक पदार्थों का अवैध कारोबार ना केवल भारत के लिए चुनौती है, बल्कि यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है। उन्होंने कहा कि दृढ़ संकल्प एवं रणनीति के साथ देश इस समस्या से पार पा सकता है। शाह ने आज नवा रायपुर के एक होटल में छत्तीसगढ़ में मादक पदार्थों के परिदृश्य पर एक बैठक को संबोधित किया। इस दौरान शाह ने मादक पदार्थों के अवैध कारोबार के खिलाफ लड़ाई में सफलता प्राप्त करने के लिए ‘मादक पदार्थों का पता लगाने, नेटवर्क को नष्ट करने, अपराधी को हिरासत में लेने और नशे के आदी लोगों का पुनर्वास’ करने के चार सूत्रों पर जोर दिया। शाह ने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2047 तक देश को नशा मुक्त बनाने का संकल्प किया है, जब देश की आजादी का 100 वां वर्ष मनाया जाएगा। धीरे-धीरे यह संकल्प 130 करोड़ आबादी का संकल्प बन गया है। मेरा मानना है कि नशा मुक्त भारत का संकल्प एक समृद्ध, सुरक्षित और गौरवशाली भारत बनाने में बहुत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, अवैध मादक पदार्थों का कारोबार ना केवल भारत के लिए एक चुनौती है, बल्कि यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है। मेरा मानना है कि देश में लोगों को इसके प्रति जागरूक करने की ज्यादा जरूरत है। अगर हम दृढ़ संकल्प और रणनीति के साथ लड़े तो हम यह लड़ाई जीत सकते हैं। मुझे कहने में झिझक नहीं है कि कई देश इसके खिलाफ अपनी लड़ाई हार चुके हैं।” शाह ने कहा,”मादक पदार्थों के अवैध व्यापार का उद्देश्य ना केवल युवाओं को बर्बाद करना है बल्कि मादक पदार्थों के व्यापार से उत्पन्न अवैध धन का उपयोग राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में भी किया जाता है। यह हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी भी है कि कतई बर्दाश्त नहीं करने (जीरो टॉलरेंस) की नीति के साथ देश को नशा मुक्त बनाया जाए।” केंद्रीय मंत्री ने छत्तीसगढ़ में मादक पदार्थों के उपयोग पर भी चिंता व्यक्त की और कहा, ”छत्तीसगढ़ में मादक पदार्थों के दुरुपयोग का प्रतिशत 1.45 है जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। छत्तीसगढ़ की सीमा ओड़िशा और आंध्र प्रदेश सहित सात राज्यों से लगती है, जहां से मादक पदार्थों की तस्करी की जाती है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 4.98 प्रतिशत गांजे का नशे के लिए उपयोग किया जाता है जो राष्ट्रीय औसत 2.83 प्रतिशत से अधिक है, जो हमारे लिए चिंता का विषय है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ड्रग तस्कर अपना तरीका बदल रहे हैं और प्राकृतिक दवाओं से सिंथेटिक दवाओं की ओर जा रहे हैं, जिससे सबसे अधिक नुकसान होता है। उन्होंने मादक पदार्थों के व्यापार नेटवर्क को खत्म करने के लिए ‘ऊपर से नीचे’ और ‘नीचे से ऊपर’ दृष्टिकोण के साथ वैज्ञानिक जांच पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया। शाह ने कहा, ”यदि किसी छोटी सी दुकान में मादक पदार्थ का एक पैकेट मिलता है, तो हमें जांच करनी होगी कि यह कहां से आया और कहां बनाया गया। इस पूरी व्यवस्था की पृष्ठभूमि को खत्म करने के लिए हमें वैज्ञानिक तरीके से जांच करने की आदत डालनी होगी। हमें ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर का दृष्टिकोण अपनाना होगा। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि सभी पुनर्वास और नशा मुक्ति केंद्रों को हमारी लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। जो ड्रग्स लेता है, वह इस सिस्टम का शिकार है और जो ड्रग्स का कारोबार करता है, वह अपराधी है। इसे ध्यान में रखते हुए हमें नशीले पदार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी।” केंद्रीय मंत्री ने ड्रग डिटेक्शन रणनीति को मजबूत करने की बात कही और कहा कि ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, ड्रोन के जरिए डिलीवरी और टेली हेल्थ सर्विस का इस्तेमाल नशीले पदार्थों के कारोबार में किया गया।

उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में एनसीबी के प्रदर्शन में काफी सुधार हुआ है और ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई मजबूत हुई है। शाह ने कहा कि हम लड़ाई को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने में सफल रहे हैं, लेकिन अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है। राज्य के तीन दिवसीय दौरे पर आए शाह ने बैठक की शुरुआत में नवा रायपुर में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल कार्यालय का वर्चुअल उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि जोनल कार्यालय न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे क्षेत्र में अवैध ड्रग व्यापार की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हमने हर राज्य में एनसीबी स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। अधिकारियों ने बताया कि इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय तथा विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे।