छत्तीसगढ़ में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी, भाजपा सरकार पर कांग्रेस का हमला

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रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्य में कानून-व्यवस्था ध्वस्त होने और आपराधिक मामले बढ़ने का आरोप लगाया और इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की। विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए राज्य के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि पिछले छह माह में आपराधिक घटनाओं में कमी आई है और उनकी सरकार राज्य में सुशासन लाना चाहती है। शर्मा के पास गृह विभाग भी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शून्यकाल में कानून-व्यवस्था का मुद्दा उठाया और इस विषय पर काम रोककर चर्चा कराने की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने विपक्ष के स्थगन प्रस्ताव की स्वीकार्यता पर चर्चा की अनुमति दी। चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत सहित कांग्रेस सदस्यों ने आरोप लगाया कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती जा रही है।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि पिछले छह माह में राज्य में हत्या की 562, यौन शोषण के 859, डकैती के 29, लूट के 215, दुष्कर्म के 1576 मामले, गांजा तस्करी के 713 और साइबर अपराध के कई मामले सामने आए हैं। आपराधिक मामलों में छत्तीसगढ़ की ऊपरी पायदान पर पहुंच रहा है। उन्होंने आरंग (रायपुर जिला) में भीड़ द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के तीन लोगों की हत्या की घटना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पिछले छह माह में गृह मंत्री के गृह जिले कबीरधाम में अन्य जिलों की तुलना में हत्या सहित अन्य अपराध सबसे अधिक हुए हैं। राजधानी रायपुर मादक पदार्थ तस्करी का केंद्र बन गई है। उन्होंने कहा कि अपराध पर राज्य सरकार का नियंत्रण नहीं है। उन्होंने चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार करने की मांग की।

अपने जवाब में उपमुख्यमंत्री शर्मा ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में हुई दुष्कर्म, हत्या और अन्य आपराधिक घटनाओं का ब्योरा दिया और कहा कि भाजपा सरकार के छह माह के कार्यकाल में अपराध की घटनाओं में कमी आई है। शर्मा ने कहा कि कोयला घोटाले और अन्य मामलों की जांच सख्ती से की जा रही है। उन्होंने कहा कि कोयला परिवहन पर (पूर्ववर्ती कांग्रेस कार्यकाल में) 25 रुपये प्रति टन की कथित अवैध शुल्क वसूली पर अंकुश लगाने के लिए साय सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार द्वारा शुरू की गई ऑफलाइन प्रक्रिया को समाप्त कर दिया। उप मुख्यमंत्री के जवाब के बाद अध्यक्ष रमन सिंह ने स्थगन प्रस्ताव को प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं दी तब कांग्रेस सदस्यों ने सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन कर दिया।