अतिरिक्त धान को खुले बाजार में बेचने को लेकर छत्तीसगढ़ विधानसभा में हंगामा, कांग्रेस सदस्य निलंबित

0
19

छत्तीसगढ़ विधानसभा में मंगलवार को मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने दावा किया कि सरकार द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में किसानों से खरीदे गए अतिरिक्त धान को खुले बाजार में नीलामी के जरिए बेचने से राज्य के खजाने को भारी नुकसान होगा। कांग्रेस सदस्यों ने स्थगन प्रस्ताव पेश कर इस मुद्दे पर सदन में चर्चा की मांग की। कांग्रेस के आरोपों का जब राज्य के खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने जवाब दिया और विधानसभा अध्यक्ष ने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराने की मांग को अस्वीकार कर दिया तो कांग्रेस विधायकों ने हंगामा मचाया तथा आसन के समीप आ गए। इसको लेकर नियमों के तहत उन्हें निलंबित कर दिया गया।

शून्यकाल में धान खरीद का मुद्दा उठाते हुए नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने कहा कि खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में राज्य सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर 149.24 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है। महंत ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र सरकार के एजेंट के रूप में धान खरीद का काम करती है। सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, खरीदे गए धान से तैयार चावल को केंद्र और राज्य पूल में आपूर्ति करने के बाद 40 लाख मीट्रिक टन धान अधिशेष रह जाएगा। उन्होंने कहा, ”राज्य सरकार ने निविदा आमंत्रित कर इस अधिशेष धान को खुले बाजार में बेचने का निर्णय लिया है। वहीं, पंजाब में किसानों से समर्थन मूल्य पर 172 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है और उसका सारा चावल केंद्र द्वारा लिया जा रहा है।

फिर छत्तीसगढ़ का अधिशेष धान केंद्र द्वारा क्यों स्वीकार नहीं किया जा रहा है?” कांग्रेस सदस्यों ने यह भी दावा किया कि खुले बाजार में 40 लाख मीट्रिक टन धान बेचने से राज्य के खजाने को कम से कम आठ हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा, जिसके लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है। उन्होंने पूछा कि क्या भारत सरकार ”मोदी की गारंटी” के तहत इस नुकसान की भरपाई करेगी? कांग्रेस ने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव लाकर चर्चा की मांग की। विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए मंत्री दयालदास बघेल ने कहा, ”छत्तीसगढ़ में 2024-25 में किसानों से एमएसपी पर रिकॉर्ड 14,09,24,710 टन धान खरीदा गया है। केंद्र के खाद्य विभाग ने सेंट्रल पूल में 70 लाख मीट्रिक धान चावल खरीदने की अनुमति दी है, जिसमें से 54 लाख मीट्रिक टन भारतीय खाद्य निगम में और 16 लाख मीट्रिक टन नागरिक आपूर्ति निगम में उपार्जित किया जाना है।

उन्होंने कहा कि राज्य पूल के तहत नागरिक आपूर्ति निगम में 13.34 लाख मीट्रिक टन चावल खरीदा जाएगा। मंत्री ने कहा कि भारतीय खाद्य निगम द्वारा खरीदे गए चावल को रेलवे की मालगाड़ियों के माध्यम से लगातार दूसरे राज्यों में भेजा जा रहा है। बघेल ने कहा कि राज्य सरकार ने ”मोदी जी की गारंटी” को पूरा करते हुए किसानों को 3100 रुपये प्रति क्विंटल धान की दर से धान खरीद के एवज में कुल 46,277 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। उन्होंने कहा कि इस राशि में एमएसपी के अलावा कृषक उन्नति योजना के तहत किसानों को दी जाने वाली लागत सहायता भी शामिल है। मंत्री ने बताया कि धान के निपटान को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने 40 एलएमटी की सीमा तक अधिशेष धान को नीलामी के माध्यम से बेचने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में भी राज्य में 8.96 लाख टन धान का निपटान नीलामी के माध्यम से किया गया था। बघेल ने कहा, ”यह कहना गलत है कि सरकार किसानों की मेहनत की अनदेखी कर राज्य के खजाने को नुकसान पहुंचा रही है।” मंत्री के जवाब के बाद विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इसके बाद महंत और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कांग्रेस के सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के निकट आ गए और उन्हें नियमों के तहत स्वतः ही निलंबित कर दिया गया। बाद में विधानसभा अध्यक्ष ने उनका निलंबन रद्द कर दिया।