उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप-सचिव सौम्या चौरसिया को अंतरिम जमानत दे दी, जो कथित ‘कोयला लेवी घोटाले’ से जुड़े धन शोधन मामले में आरोपी हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्जवल भुइयां की पीठ ने कहा कि चौरसिया एक साल और नौ महीने से अधिक समय से हिरासत में हैं, उनके खिलाफ आरोप तय होना बाकी है और सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है। शीर्ष अदालत ने छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिया कि अगले आदेश तक चौरसिया को सेवा में बहाल नहीं किया जाए। पीठ ने चौरसिया को निर्देश दिया कि जब भी जरूरत हो, वह अधीनस्थ अदालत में पेश हों और गवाहों को प्रभावित न करें।
पीठ चौरसिया की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उच्च न्यायालय के 28 अगस्त के आदेश को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय ने चौरसिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था। पीठ ने कहा, चूंकि चौरसिया की याचिका पर सुनवाई में कुछ समय लगेगा, इसलिए वह उन्हें अंतरिम जमानत दे रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से अदालत में पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने जमानत का विरोध किया और कहा कि चौरसिया बहुत प्रभावशाली नौकरशाह हैं तथा उन्हें रिहा करने से मुकदमे पर असर पड़ेगा। पीठ ने राजू से पूछा कि ईडी किसी आरोपी को कितने समय तक हिरासत में रख सकती है, खासकर जब अपराध के लिए अधिकतम सजा सात साल है और एक साल व नौ महीने तक भी आरोप तय नहीं हुए हैं। चौरसिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि मामले में सभी सह-आरोपियों को जमानत मिल गई है और इस बात की कोई निश्चितता नहीं है कि मामले में सुनवाई कब शुरू होगी। संघीय जांच एजेंसी ने 2022 में आरोप लगाया था कि कोयला लेवी ‘घोटाले’ को अंजाम देने के लिए प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध राज्य में ”बड़ी साजिश” रची गयी थी।
एजेंसी ने दावा किया था कि इस कथित घोटाले में पिछले दो साल में 540 करोड़ रुपये वसूल किए गए थे। धन शोधन का मामला आयकर विभाग की एक शिकायत पर आधारित है। एजेंसी ने कहा था कि ईडी की जांच ”एक बड़े घोटाले से जुड़ी है जिसमें वरिष्ठ नौकरशाह, कारोबारी, नेता और बिचौलियों से जुड़े एक गिरोह द्वारा छत्तीसगढ़ में कोयला की ढुलाई पर प्रति टन 25 रुपये की अवैध उगाही की जा रही थी।