रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला लेवी घोटाले में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के तीनों निलंबित अधिकारी रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी और सौम्या चौरसिया को उच्चतम न्यायालय ने सशर्त अंतरिम जमानत दी है। शीर्ष अदालत की ओर से गुरुवार को जमानत के आदेश की प्रति प्राप्त हुई है। कोयला लेवी मामला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में सामने आया कि कुछ लोगों ने राज्य के वरिष्ठ राजनेताओं और नौकरशाहों से मिलीभगत के बाद ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन कर कोयला ट्रांसपोर्ट करने वालों से अवैध वसूली की। जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच कोयले के प्रति टन पर 25 रुपए की अवैध लेवी वसूली जाती थी।
कोयला लेवी मामले में आरोपियों की याचिका पर न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की डबल बैंच ने सुनवाई करने के बाद अंतरिम जमानत दी, लेकिन साथ में गवाहों को प्रभावित करने की आशंका के चलते इनके छत्तीसगढ़ में रहने पर पाबंदी लगाई है। इन आरोपियों को हालांकि ईओडब्ल्यू में कई अन्य मामलों की वजह से जेल में ही रहना होगा। उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, याचिकाकर्ताओं को अगले आदेश तक अंतरिम जमानत पर रिहा करने का नर्दिेश दिया जाता है, बशर्ते कि वे निचली अदालत की संतुष्टि के लिए जमानत बांड प्रस्तुत करें। आरोपी सूर्यकांत तिवारी, रानू साहू, समीर वश्निोई और सौम्या चौरसिया के मामले में यह निर्देश दिया जाता है कि वे अगले आदेश तक छत्तीसगढ़ में नहीं रहेंगे, सिवाय इसके कि तीनों आवश्यकतानुसार जांच एजेंसी या निचली अदालत के समक्ष उपस्थित रहेंगे।
न्यायालय ने आगे निर्देश दिया है कि वे अपनी रिहाई के एक सप्ताह के भीतर राज्य के बाहर अपने रहने के पते प्रस्तुत करें। वे अपने रहने के स्थान की सूचना अधिकार क्षेत्र के थाने को दें। यदि याचिकाकर्ता गवाहों से संपर्क करने या फिर उन्हें किसी भी तरह से प्रभावित करने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास करते पाए जाते हैं, तो इसे अंतरिम जमानत की रियायत का दुरुपयोग माना जाएगा। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे अंतरिम जमानत पर रिहा होने के तुरंत बाद अपने पासपोर्ट विशेष अदालतों में जमा करें और समय पर जांच में शामिल होंगे और पूरा सहयोग करेंगे।