पुलिस को गुमराह करने के लिए नक्सलियों ने वर्दी उतारकर धारण की ग्रामीणों की वेशभूषा

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बीजापुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में शुक्रवार को सुरक्षाबलों से मुठभेड़ के बाद नक्सलियों ने खुद को ग्रामीण दिखाने के लिए कथित तौर पर वर्दी उतारकर ग्रामीणों की वेशभूषा धारण कर लिया और पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की। पुलिस अधिकारियों ने यह जानकारी दी। पुलिस के अनुसार, शुक्रवार को गंगालूर थाना क्षेत्र में पीड़िया गांव के पास जंगल में 12 घंटे तक चले अभियान के दौरान सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच 9-10 बार गोलीबारी हुई, जिसमें 12 नक्सली मारे गए। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आज सुबह नक्सलियों के शव बीजापुर जिला मुख्यालय लाए गए। बीजापुर जिले के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र कुमार यादव ने शनिवार को संवाददाताओं को बताया कि मारे गए सभी नक्सलियों की पहचान कर ली गई है और उनके सिर पर कुल 31 लाख रुपये का नकद इनाम था। यादव ने बताया कि इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने आठ-आठ लाख रुपए के इनामी, मिलिट्री नंबर दो के सदस्य बुधु ओयाम, कल्लू पूनेम तथा पांच-पांच लाख रुपये के इनामी गंगालूर एरिया कमेटी सदस्य लक्खे कुंजाम और मिलिट्री प्लाटून नंबर 12 के सदस्य भीमा कारम समेत 12 नक्सलियों को मार गिराया है।

उन्होंने बताया कि मारे गए नक्सलियों में दो-दो लाख रुपए के इनामी सन्नु लकोम और सुखराम अवलाम भी शामिल हैं। अन्य नक्सलियों पर 10—10 हजार रूपए का इनाम घोषित हैं। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पीड़िया गांव के जंगलों में स्पेशल जोनल कमेटी के सदस्य चैतु, लेंगु और पापाराव, पीएलजीए कंपनी नंबर दो के कमांडर वेल्ला, डिविजनल कमेटी सचिव हुंगा, प्लाटून नम्बर 13 का कमांडर झीतरू, प्लाटून नम्बर 12 का कमांडर सुखराम और अन्य लगभग 150 सशस्त्र माओवादियों की उपस्थिति की सूचना पर आठ मई को डीआरजी बीजापुर, डीआरजी दंतेवाड़ा, डीआरजी सुकमा, बस्तर फाइटर, एसटीएफ और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के कोबरा बटालियन के संयुक्त दल को नक्सल विरोधी अभियान में रवाना किया गया था। यादव ने बताया कि अभियान के दौरान 10 मई की सुबह लगभग छह बजे पीड़िया के जंगल में पुलिस और माओवादियों के बीच अलग-अलग स्थानों पर नौ बार मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ सुबह छह बजे से शाम पांच बजे बजे तक लगभग 12 घंटे तक चली। उन्होंने बताया, “इस अभियान के दौरान एक अनोखी बात जो हमने पहली बार देखी, वह यह थी कि पहली बार गोलीबारी के बाद नक्सलियों ने अपनी वर्दी को उतारकर सिविल ड्रेस पहन लिया और फिर पुलिस को गुमराह करने के लिए स्थानीय ग्रामीणों के बीच घुलमिल गए।” पुलिस अधिकारी ने बताया कि इसलिए मुठभेड़ के बाद इलाके से कई लोगों को हिरासत में लिया गया है और उनकी पहचान की जा रही है। जिसके बाद उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने बताया कि इलाके की तलाशी के दौरान भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटकों के साथ माओवादियों के 12 शव बरामद किए गए। यादव ने बताया, ”मुठभेड़ में घायल हुए तीन नक्सलियों को भी मौके से पकड़ लिया गया। इसके अलावा, गोलीबारी में एक नागरिक भी घायल हो गया।” उन्होंने बताया कि घायलों को प्रारंभिक उपचार दिया गया और उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनकी हालत खतरे से बाहर बताई गई है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि अभियान के दौरान कई अन्य माओवादी या तो घायल हो गए या मारे गए जिन्हें उनके सहयोगी घने जंगल और पहाड़ियों का फायदा उठाकर अपने साथ जंगल में ले गए। उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों ने अभियान के दौरान पीड़िया के जंगल में माओवादियों द्वारा स्थापित अस्थाई कैम्प को ध्वस्त कर दिया। जिले के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस अभियान के दौरान माओवादियों द्वारा लगाए गए बारूदी सुरंग में विस्फोट होने से दो जवान भी मामूली रूप से घायल हो गए। पुलिस के अनुसार, इस घटना के साथ, राज्य के बीजापुर सहित सात जिलों वाले बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों के साथ अलग-अलग मुठभेड़ों में इस साल अब तक 103 नक्सली मारे गए हैं। पुलिस ने बताया कि 16 अप्रैल को राज्य के कांकेर जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में 29 नक्सली मारे गये थे. 30 अप्रैल को नारायणपुर और कांकेर जिलों की सीमा पर एक जंगल में सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में तीन महिलाओं सहित 10 नक्सली मारे गए थे।

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