विधानसभा के विशेष सत्र में आरक्षण से संबंधित विधेयक कर सकती है पेश छत्तीसगढ़ सरकार

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छत्तीसगढ़ विधानसभा के अगले महीने बुलाये गये विशेष सत्र में राज्य सरकार द्वारा एक विधेयक पेश करने की संभावना है, जो विभिन्न वर्गों की आबादी के अनुपात में नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में दाखिले में आरक्षण मुहैया करेगा। अधिकारियों ने बताया कि बृहस्पतिवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान विधेयक के मसौदे पर चर्चा होने की संभावना है। एक अधिकारी ने बताया कि राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) से संबंधित लोगों की गणना के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित ‘छत्तीसगढ़ क्वांटिफिएबल डेटा कमीशन (सीजीक्यूडीसी) ने 21 नवंबर को अपनी रिपोर्ट सौंपी है।

उन्होंने बताया कि विधेयक का मसौदा आयोग की रिपोर्ट पर आधारित होगा। मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद एक और दो दिसंबर को होने वाले विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र के दौरान यह विधेयक पेश किया जा सकता है। अगस्त 2019 में राज्य मंत्रिमंडल ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण) अधिनियम-1994 में संशोधन करने के लिए छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण) अधिनियम संशोधन अध्यादेश, 2019 के प्रस्ताव का अनुमोदन किया था। इसके तहत मंत्रिमंडल ने अनुसूचित जाति का आरक्षण 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 13 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का अनुमोदन किया था। इसके अलावा, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को भी मंजूरी दी गई थी, जबकि अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 32 प्रतिशत आरक्षण में कोई बदलाव नहीं किया गया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि राज्य में अनुसूचित जाति (एससी) को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। राज्य की आबादी में इस समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 12.8 प्रतिशत है। अधिकारियों ने बताया कि इस प्रस्ताव के अनुमोदन के बाद, अक्टूबर 2019 में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने भूपेश बघेल सरकार के फैसले पर रोक लगा दी और कहा कि संबंधित जनसंख्या का कोई मात्रात्मक डेटा उपलब्ध नहीं है। तब, राज्य सरकार ने सीजीक्यूडीसी का गठन किया, जिसने सोमवार को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी।

राज्य में आदिवासियों की नाराजगी के बाद इस महीने की शुरुआत में छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आदिवासियों को 32 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा था। इसके बाद, बघेल ने विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत को पत्र लिखकर आरक्षण के मुद्दे पर एक और दो दिसंबर को राज्य का विशेष सत्र बुलाने का आग्रह किया।

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