राष्ट्रीय रामायण महोत्सव में महाकाव्य विभिन्न रूपों में नजर आएगा छत्तीसगढ़

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छत्तीसगढ़ में ‘राष्ट्रीय रामायण महोत्सव’ में प्रस्तुति देने आई इंडोनेशियाई नृत्यांगना नी वायन श्रीयानी का कहना है कि ‘रामायण’ की कहानी भारत और इंडोनेशिया में एक जैसी है, लेकिन सांस्कृतिक कारकों के चलते महाकाव्य के विभिन्न रूप सामने आते हैं। श्रीयानी भगवान राम का चरित्र निभाती हैं और उन्हें यह तथ्य पसंद है कि राम ने अपनी प्यारी पत्नी सीता को परिवार में वापस लाने के लिए बहुत संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि राम के चरित्र में ढलने के लिये कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, क्योंकि इस किरदार की अभिव्यक्ति में बहुत सारे हावभाव शामिल हैं। रायगढ़ शहर के रामलीला मैदान में आयोजित तीन दिवसीय महोत्सव के इतर श्रीयानी ने बताया, रामायण की कहानी भारत और बाली में एक ही है, लेकिन सांस्कृतिक कारक इसे अलग रूप दे देते हैं।

उन्होंने कहा कि इंडोनेशियाई व्याख्या में तीन प्रकार के पात्र हैं-पुरुष, महिला और एक मध्यम श्रेणी का किरदार। श्रीयानी ने कहा, राम का चरित्र मध्यम श्रेणी में आता है, क्योंकि यह अति पुरुष रूप नहीं है। महिलाएं भी राम का किरदार निभा सकती हैं, क्योंकि उनकी अभिव्यक्तियां रावण की तरह चरम नहीं हैं। इस महाकाव्य के प्रति वह कैसे आकर्षित हुईं? इस बारे में उन्होंने कहा कि, “रामायण” अच्छाई, बुराई, प्रेम और जीवन के कई अन्य पहलुओं के बारे में बहुत कुछ सिखाती है। कम्बोडियाई नृत्य मंडली के प्रमुख पेन्ह चुनित ने कहा कि कंबोडिया में 27 क्षेत्र हैं और प्रत्येक ने ‘रीमकर’ (कम्बोडियाई रामायण) में कुछ अद्वितीय कारक जोड़े हैं।

अन्य राज्यों के कलाकारों में, कर्नाटक के यक्षगान समूह का नेतृत्व करने वाले के.एस. हेगड़े ने कहा कि यह संभवत: पहली बार है कि “रामायण” पर इतने व्यापक स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। यक्षगान कर्नाटक में लोक रंगमंच का एक लोकप्रिय रूप है, जिसकी उत्पत्ति 500 साल से भी पहले हुई थी। हेगड़े का दल अमेरिका, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, इंडोनेशिया और अन्य देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुका है। उन्होंने कहा ”रामायण सांस्कृतिक आदान प्रदान का एक बेहतरीन माध्यम है। बृहस्पतिवार को शुरू हुए इस ”राष्ट्रीय रामायण महोत्सव” में 12 राज्यों के कलाकार तथा कंबोडिया एवं इंडोनेशिया के दो अंतरराष्ट्रीय दल अपनी प्रस्तुति देंगे।

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