छत्तीसगढ़ में एआई तकनीक से हाथियों की गतिविधियों की हो रही हाईटेक निगरानी

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छत्तीसगढ़ में मानव-हाथी द्वंद को रोकने के लिए ‘छत्तीसगढ़ एलीफेंट ट्रैकिंग एंड अलर्ट ऐप’ का सहारा लिया जा रहा है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेली​जेंस) पर अधारित इस तकनीक से अब ग्रामीणों को जंगली हाथियों की गतिवधि की सटीक जानकारी दी जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ के जंगलों में हाथियों की गतिविधियों की हाईटेक निगरानी शुरू कर दी गई है। इसके लिए एआई आधारित ‘छत्तीसगढ़ एलीफेंट ट्रैकिंग एंड अलर्ट ऐप’ विकसित किया गया है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन महीनों से उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में इस ऐप का उपयोग किया जा रहा है एवं दस किलोमीटर के दायरे में हाथियों की वास्तविक समय में गतिविधि (रियल टाइम मूवमेंट) की सूचना ग्रामीणों के मोबाइल फोन पर सफलतापूर्वक भेजी जा रही है।

अधिकारियों ने बताया कि इस ऐप में ग्रामीणों के मोबाइल नंबर और जीपीएस लोकेशन का पंजीयन किया जाता है। जब एलीफैंट ट्रैकर्स द्वारा हाथियों की गतिविधियों का इनपुट ऐप पर दर्ज किया जाता है तब ऐप स्वत: ग्रामीणों के मोबाइल फोन पर संदेश भेज देता है। उन्होंने बताया कि राज्य के हाथी प्रभावित इलाकों में ग्रामीणों को सतर्क करने के लिए वन प्रबंधन सूचना प्रणाली (एफएमआईएस) और वन्यजीव विंग द्वारा संयुक्त रूप से इस ऐप को विकसित किया गया है। यह ऐप एलीफैंट ट्रैकर्स (हाथी मित्र दल) से प्राप्त इनपुट के आधार पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर काम करता है। इस ऐप का उद्देश्य हाथी ट्रैकर्स द्वारा की जाने वाली मुनादी के अलावा प्रभावित गांव के प्रत्येक व्यक्ति को मोबाइल पर कॉल, एसएमएस और व्हाट्सऐप अलर्ट भेजकर हाथियों की उपस्थिति के बारे में सूचना पहुंचाना है।

अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व (गरियाबंद, धमतरी) के लगभग चार सौ ग्रामीणों को इस अलर्ट प्रणाली में पंजीकृत किया गया है और पिछले तीन महीनों से यह काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि अन्य वन प्रभाग भी ऐप का उपयोग कर सकते हैं और अपने संबंधित ग्रामीणों को पंजीकृत कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि ​हाथी प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीणों के मोबाइल नंबर और जीपीएस लोकेशन को अलर्ट और ट्रैकिंग ऐप पर पंजीकृत किया जा रहा है। इससे जब भी हाथी ग्रामीणों से 10 किलोमीटर के करीब होगा तब उन्हें एआई अलर्ट के माध्यम से कॉल, एसएमएस, व्हाट्सएप अलर्ट भेजे जाएंगे।

अधिकारियों ने बताया कि ग्रामीणों को ऐप इंस्टॉल करने की आवश्यकता नहीं है, उन्हें अपना मोबाइल नंबर संबंधित बीट गार्ड या रेंज कार्यालय के माध्यम से जीपीएस लोकेशन के साथ पंजीकृत करना होगा। उन्होंने बताया कि यह ऐप हाथी के अलावा तेंदुआ, भालू, जंगली भैंसों की उपस्थिति का भी अलर्ट भेजने में सक्षम है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के उत्तरी महासमुंद, बलौदाबाजार, गरियाबंद और धमतरी जिलों में हाथियों के उत्पात की घटनाएं होती हैं। राज्य में हाथी और मानव के बीच द्वंद में कई लोगों की मृत्यु हुई है तथा सैकड़ों एकड़ फसलों को नुकसान पहुंचा है।

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