केंद्रीय मंत्रिमंडल ने छत्तीसगढ़ के सुदूर बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जिले में भर्ती रैली के माध्यम से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल सीआरपीएफ में कांस्टेबल के रूप में मूल जनजातीय युवाओं की भर्ती के लिए शैक्षणिक योग्यता में छूट देने के प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी। सरकारी बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस संबंध में गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसमें कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने दक्षिण छत्तीसगढ़ के तीन जिलों बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा से सीआरपीएफ में कांस्टेबल (सामान्य सेवा) के रूप में ऐसे 400 उम्मीदवारों की भर्ती के लिए जरूरी न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता में छूट देकर इसे 10वीं कक्षा उत्तीर्ण से कम करके 8वीं कक्षा उत्तीर्ण करने का प्रस्ताव किया था।
सीआरपीएफ बाद में इन नए भर्ती प्रशिक्षुओं को पर्यवीक्षा अवधि के दौरान औपचारिक शिक्षा प्रदान करेगा। बयान के अनुसार, इसके अलावा इन तीन सुदूर जिलों में ऐसी भर्ती रैलियों के बारे में स्थानीय समाचारपत्र में विज्ञापन सहित व्यापक प्रचार के लिए अन्य माध्यम अपनाने पर जोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि छत्तीसगढ़ राज्य के तीन जिलों बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा के आंतरिक क्षेत्रों के 400 जनजातीय युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। गृह मंत्रालय द्वारा भर्ती के लिए शारीरिक मानकों में भी उचित छूट दी जाएगी।
सीआरपीएफ ने छत्तीसगढ़ के अपेक्षाकृत पिछड़े क्षेत्रों से 400 मूल जनजातीय युवाओं को कांस्टेबल (सामान्य ड्यूटी) के रूप में भर्ती करने का प्रस्ताव रखा है।
बयान के अनुसार, इसके तहत 10वीं उत्तीर्ण की निर्धारित न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता प्राप्त करने के बाद ही उन्हें सेवा में स्थायी पद दिया जाएगा। इस प्रकार इन प्रशिक्षुओं को औपचारिक शिक्षा दी जाएगी और सीआरपीएफ उनकी पर्यवीक्षा अवधि के दौरान अध्ययन सामग्री, किताबें तथा कोचिंग सहायता प्रदान करने जैसी हर संभव मदद करेगा। निर्धारित शैक्षणिक योग्यता हासिल करने में नए प्रशिक्षुओं की सुविधा के लिए, आवश्यक होने पर अवधि में उपयुक्त विस्तार भी किया जा सकता है।
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