केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने बृहस्पतिवार को कहा कि छत्तीसगढ़ के सबसे सुदूर एवं नक्सल प्रभावित जिलों में से एक सुकमा में सशस्त्र बलों का एक ‘फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस’ बनाया है। इससे न केवल 17 वर्ष बाद इमली व्यापार मार्ग को फिर से शुरू किेए जाने की राह प्रशस्त हुई है, बल्कि नक्सलियों के पारगमन गलियारे पर भी अंकुश लगेगा। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण एफओबी बस्तर क्षेत्र के सुकमा जिले में बेडरे में बनाया गया है, जो छत्तीसगढ़, तेलंगाना और ओडिशा सीमा के त्रि-जंक्शन पर स्थित है। बेडरे छत्तीसगढ़ के दक्षिणी सिरे पर स्थित है।
सीआरपीएफ के एक प्रवक्ता ने कहा, यह एफओबी जगरगुंडा में इमली बाजार को पास के जिलों बीजापुर और दंतेवाड़ा से जोड़ने वाले पुराने व्यापार मार्ग को फिर से खोलने में प्रभावी रूप से मदद करेगा। साथ ही यह उस पारगमन गलियारे को भी बंद कर देगा जिसका इस्तेमाल नक्सली पश्चिम बस्तर और दक्षिण बस्तर के बीच आवाजाही के लिए करते थे। इस एफओबी की स्थापना सीआरपीएफ की 165वीं बटालियन और छत्तीसगढ़ पुलिस के संयुक्त प्रयास से की गई है। अधिकारी ने कहा, बेडरे एफओबी की स्थापना को ऐतिहासिक कहा जा सकता है क्योंकि यह 17 वर्षों के बाद उस पुराने मार्ग को नक्सलियों के प्रभाव से मुक्त करता है जो 2006 में नक्सली खतरा उत्पन्न होने से पहले तक भारत के प्रमुख इमली बाजार – जगरगुंडा से इमली और वन उपज के व्यापार की सुविधा प्रदान करता था।
अधिकारी ने कहा, ”इसके अलावा, एफओबी नक्सलियों के भय को दूर करके विकास गतिविधियों का मार्ग प्रशस्त करेगा। अर्धसैनिक बल ने कुछ समय पहले राज्य की राजधानी रायपुर से 400 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित इस दूरस्थ नक्सल हिंसा प्रभावित जिले में कुछ अन्य एफओबी स्थापित किए हैं, जैसे कुंदर और सिलगर और जगरगुंडा। छत्तीसगढ़ में पिछले तीन वर्षों में बल द्वारा लगभग 14-15 एफओबी स्थापित किए गए हैं। अधिकारियों ने पूर्व में बताया था कि एफओबी में सीआरपीएफ कर्मियों की एक छोटी लेकिन मजबूत और सशस्त्र टुकड़ी होती है, जो न केवल गुणवत्तापूर्ण संचालन करके बल्कि नागरिकों के साथ बातचीत करके सुदूर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सलियों की आपूर्ति श्रृंखला को काटने का काम करते हैं।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल देश का प्रमुख नक्सल रोधी अभियान बल है और इसने नक्सली हिंसा प्रभावित विभिन्न जिलों में इस कार्य के लिए करीब एक लाख कर्मियों को तैनात किया है जिसमें छत्तीसगढ़ के जिले भी शामिल हैं। केंद्र सरकार ने दिसंबर, 2022 में संसद को सूचित किया था कि नक्सलियों का भौगोलिक प्रसार काफी कम हो गया है और 2010 में 96 जिलों के 465 पुलिस थानों की तुलना में 2021 में 46 जिलों के केवल 191 पुलिस थानों ने नक्सली हिंसा संबंधित सूचना दी।
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