MCD Chunav के बाद हुए उप महापौर के लिये हुये चुनाव में आम आदमी पार्टी के आले मोहम्मद इकबाल ने भारतीय जनता पार्टी के कमल बागड़ी को 31 मतों से पराजित किया। नगर निगम में हुये चुनाव में इकबाल को 147 वोट मिले जबकि बागड़ी को 116 मत प्राप्त हुए। वहीं भाजपा सांसद गौतम गंभीर उपमहापौर चुनाव में वोट डालने से वंचित रह गए। इससे पहले दिन में, आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय ने भारतीय जनता पार्टी की रेखा गुप्ता को हरा कर दिल्ली के महापौर पद पर कब्जा कर लिया।
दिल्ली नगर निगम के महापौर और उप महापौर के निर्वाचन के लिये एमसीडी का यह चौथा प्रयास था। मनोनीत सदस्यों को वोट देने के अधिकार को लेकर हंगामे के बीच पिछले तीन चुनाव नहीं हो पाये थे। इसके बाद यह मामला उच्चतम न्यायालय में गया जिसमें शीर्ष अदालत ने यह फैसला दिया कि उप राज्यपाल द्वारा मनोनीत सदस्य महापौर के चुनाव में वोट नहीं दे सकते हैं। दिल्ली का उपमहापौर निर्वाचित होने के बाद इकबाल ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, ”हमें बहुत काम करना है और पार्टी की दस गारंटी को पूरा करना हमारी प्राथमिकता है।
डिप्टी मेयर चुनाव में वोट नहीं डाल पाए भाजपा सांसद
पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद गौतम गंभीर बुधवार को दिल्ली नगर निगम हाउस में उप महापौर के चुनाव में मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए समय पर नहीं आ सके। क्रिकेटर से सांसद बने गंभीर के एक सहयोगी ने बताया कि महापौर के चुनाव में वोट डालने के बाद बाद वह अपने एक संबंधी को देखने अस्पताल चले गये। गंभीर के सहयोगी ने कहा, उन्होंने नव निर्वाचित महापौर को अपनी स्थिति के बारे में बताया था और उप महापौर के चुनाव में वोटिंग में शामिल होने के लिये शाम साढे चार बजे तक का समय मांगा था। लेकिन जब वह अपने संबंधी से अस्पताल में मिल कर वापस लौटे तब तक वोटिंग का समय समाप्त हो चुका था।
दिल्ली के सात लोकसभा और तीन राज्यसभा सदस्य के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष द्वारा नामित 14 विधायकों सहित निर्वाचित प्रतिनिधि, एमसीडी के विचार-विमर्श शाखा के पदाधिकारियों के चुनाव में मतदान कर सकते हैं। उप महापौर के चुनाव के बाद जब स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया में देरी हुई, तो भाजपा पार्षद शिखा राय ने कहा कि गंभीर को सिर्फ थोड़ी देर होने के कारण उनके मतदान के अधिकार से वंचित कर दिया गया और पूछा कि अब ऐसी जल्दी क्यों नहीं है। राय ने नगरपालिका सचिव को बताया कि गंभीर ने अपना वोट डालने के लिए थोड़ा अतिरिक्त समय मांगा था, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई, जबकि स्थायी समिति के सदस्यों के लिए चुनाव कराने में ऐसी कोई तेजी नहीं दिखाई गई।