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छत्तीसगढ़ के सुकमा में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों का अवैध हथियार कारखाना किया नष्ट

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छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों का अवैध हथियार कारखाना नष्ट कर दिया है। पुलिस अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिले के गोमगुड़ा इलाके के घने जंगल में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों का हथियार कारखाना नष्ट कर दिया है। उन्होंने बताया कि जिले में जारी नक्सल रोधी अभियान के दौरान सुरक्षाबलों को जंगल में नक्सलियों के हथियार कारखाने के संबंध में जानकारी मिली थी। उन्होंने बताया कि जानकारी मिलने के बाद एक खोजी अभियान के दौरान जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के दल ने सोमवार को जिले के गोमगुड़ा इलाके के घने जंगल क्षेत्र में नक्सलियों द्वारा संचालित अवैध हथियार निर्माण कारखाने को नष्ट कर दिया।

अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षाबलों ने घटनास्थल से 17 राइफल (सभी चालू हालत में), हथियार बनाने के उपकरण, मशीन, हथियार बनाने के पुर्जे तथा हथियार निर्माण का सामान बरामद किया है। उन्होंने बताया कि सुकमा जिले की पुलिस की नयी रणनीति और लगातार नक्सल रोधी अभियान के कारण माओवादियों के नेटवर्क पर लगातार प्रहार हो रहा है। अधिकारियों ने बताया कि सुकमा पुलिस इस बड़ी कार्रवाई के माध्यम से सभी भटके हुए नक्सलियों और उनके समर्थकों से अपील करती है कि आत्मसमर्पण करने वाले हर नक्सली को पूरी सुरक्षा और सम्मान दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों की कार्यवाही का उद्देश्य केवल नक्सलवाद का उन्मूलन ही नहीं, बल्कि क्षेत्र में स्थायी शांति और विकास की स्थापना भी है। उन्होंने कहा कि जो भी माओवादी हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं, उनके लिए शासन की पुनर्वास नीति के अंतर्गत सम्मानजनक जीवन की पूरी गारंटी है।

संस्थानों में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने के संबंध में सात नवंबर को निर्देश जारी करेगा सुप्रीम कोर्ट

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उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों सहित उन संस्थानों में आवारा कुत्तों के खतरे के संबंध में सात नवंबर को निर्देश जारी करेगा, जहां कर्मचारी कुत्तों को सहायता, भोजन और उन्हें प्रश्रय देते हैं जिससे वे उस जगह को छोड़कर नहीं जाते। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने इस मामले में सुनवाई की। न्यायमूर्ति नाथ ने कहा, ”उपस्थिति और हलफनामे आदि दर्ज करने के अलावा हम उन सरकारी संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों और अन्य संस्थानों में संस्थागत खतरों के संबंध में भी कुछ निर्देश जारी करेंगे जहां कर्मचारी कुत्तों को सहायता, भोजन उपलब्ध कराते हैं और उन्हें प्रश्रय देते हैं।

इसके लिए हम निश्चित रूप से कुछ निर्देश जारी करेंगे।” मामले में पेश हुए एक वकील ने पीठ से आग्रह किया कि इस मुद्दे पर निर्देश देने से पहले उनकी बात भी सुनी जाए। इस पर न्यायमूर्ति मेहता ने कहा, ”माफ करिए हम संस्थागत मामलों में कोई दलील नहीं सुनेंगे।” पीठ ने इस बात का संज्ञान लिया कि अधिकतर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव उसके समक्ष उपस्थित थे। न्यायालय ने केरल के मुख्य सचिव द्वारा दायर छूट के अनुरोध वाले आवेदन को अनुमति दे दी और इस बात को संज्ञान में लिया कि प्रधान सचिव अदालत में उपस्थित हैं। पीठ ने कहा कि भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड को इस मामले में पक्षकार बनाया जाए।

सुनवाई शुरू होने पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि अधिकतर राज्यों ने इस मामले में अपने अनुपालन हलफनामे दाखिल कर दिए हैं। पीठ ने कहा, ”फैसले के लिए सात नवंबर की तारीख सूचीबद्ध की जाए।” उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों की प्रत्यक्ष उपस्थिति अब जरूरी नहीं है। हालांकि पीठ ने कहा कि आदेशों के अनुपालन में चूक होने पर मुख्य सचिवों की उपस्थिति फिर से आवश्यक हो जाएगी। शीर्ष अदालत ने 27 अक्टूबर को मामले की सुनवाई करते हुए पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को तीन नवंबर को उसके समक्ष उपस्थित होकर यह बताने का निर्देश दिया था कि अदालत के 22 अगस्त के आदेश के बावजूद अनुपालन हलफनामे क्यों नहीं दायर किए गए।

शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियमों के अनुपालन के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में पूछा था। पीठ ने अपने आदेश का पालन नहीं करने पर नाराजगी व्यक्त की थी और कहा था कि 27 अक्टूबर तक पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को छोड़कर किसी भी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ने अनुपालन हलफनामे दायर नहीं किए थे। न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि मुख्य सचिवों को न्यायालय में उपस्थित होकर यह बताना होगा कि उन्होंने अनुपालन हलफनामा क्यों नहीं दाखिल किया। शीर्ष अदालत ने 27 अक्टूबर को इस मामले में अनुपालन हलफनामा दाखिल नहीं करने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को फटकार लगाई थी और कहा था कि लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं और विदेशों में देश का ”मान” कम हो रहा है।

इससे पहले शीर्ष अदालत ने आवारा कुत्तों के मामले का दायरा दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की सीमाओं से आगे बढ़ाते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था। इसने नगर निगम अधिकारियों को एबीसी नियमों के अनुपालन के लिए कुत्तों के वास्ते उपलब्ध बाड़े, पशु चिकित्सकों, कुत्तों को पकड़ने वाले कर्मियों और विशेष रूप से परिवर्तित वाहनों एवं पिंजरों जैसे संसाधनों के पूर्ण आंकड़ों के साथ अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। पीठ ने इस मामले में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी पक्षकार बनाया था और कहा था कि एबीसी नियमों का पालन पूरे भारत में एक समान तरीके से हो। उच्चतम न्यायालय 28 जुलाई को एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई कर रहा है, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में आवारा कुत्तों के काटने से विशेषकर बच्चों में रेबीज फैलने की बात कही गई थी।

अमेरिका के साथ व्यापार सौदा अब सिरदर्द बन गया है : कांग्रेस

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कांग्रेस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता संबंधी दावा एक बार फिर से किए जाने के बाद सोमवार को सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अमेरिका के साथ व्यापार सौदा अब तक नहीं हो सका और यह अब सिरदर्द बन गया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि ट्रंप ने यह दावा 57 बार किया है। रमेश ने एक अमेरिकी चैनल के साथ ट्रंप के साक्षात्कार से संबंधित एक वीडियो साझा करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “एक समय था जब हमें बताया गया था कि भारत नवंबर, 2025 में क्वाड शिखर सम्मेलन (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत) की मेजबानी करेगा। अब ऐसा नहीं हो रहा है।

उन्होंने कहा कि एक समय था जब बताया गया था कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले शुरुआती पक्षों में से एक होगा, लेकिन यह कथित सौदा एक सिरदर्द की माफिक बन गया है जबकि अमेरिका को निर्यात में गिरावट आई है, जिससे यहां आजीविका का नुकसान हुआ है। कांग्रेस नेता ने कहा, “इस बीच, राष्ट्रपति ट्रंप ने 57वीं बार दोहराया है कि ऑपरेशन सिन्दूर को अचानक और अप्रत्याशित रूप से क्यों और कैसे रोका गया। उस रोक की पहली घोषणा वाशिंगटन से हुई, न कि नई दिल्ली से।

अमेरिकी राष्ट्रपति कई बार यह दावा भी कर चुके हैं कि उन्होंने इस साल मई में शुल्क (टैरिफ़) की धमकी देकर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाया था। भारत लगातार यह स्पष्ट करता रहा है कि इस साल मई में पाकिस्तानी सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) द्वारा संपर्क किए जाने पर सैन्य कार्रवाई रोकने पर विचार हुआ था।

गांवों में पादरियों, धर्मांतरित ईसाइयों के प्रवेश पर रोक संबंधी होर्डिंग असंवैधानिक नहीं: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य के आठ गांवों में पादरियों और ‘धर्मांतरित ईसाइयों’ के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने वाले होर्डिंग को हटाने के अनुरोध वाली दो याचिकाओं का निपटारा कर दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि ये होर्डिंग प्रलोभन या धोखाधड़ी के जरिये धर्मांतरण को रोकने के लिए लगाए गए थे और इन्हें असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि संबंधित ग्राम सभाओं ने ये होर्डिंग स्थानीय जनजातियों और सांस्कृतिक विरासत के हितों की रक्षा के लिए एहतियाती उपाय के रूप में लगाए हैं। खंडपीठ ने कांकेर जिले के दिग्बल टांडी और बस्तर जिले के नरेंद्र भवानी की ओर से दायर याचिकाओं का निपटारा करते हुए 28 अक्टूबर को यह फैसला सुनाया।

याचिकाकर्ताओं ने ईसाइयों और उनके धर्म गुरुओं को मुख्यधारा के ग्रामीण समुदाय से कथित तौर पर अलग-थलग किए जाने का मुद्दा उठाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि पंचायत विभाग ने जिला पंचायत, जनपद पंचायत और ग्राम पंचायत को ”हमारी परंपरा, हमारी विरासत” नाम से प्रस्ताव/शपथ पारित करने का निर्देश दिया था। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि ग्राम पंचायत को भेजे गए परिपत्र का वास्तविक उद्देश्य उन्हें गांवों में पादरियों और ‘धर्मांतरित ईसाइयों’ के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने वाला प्रस्ताव पारित करने का निर्देश देना था। उन्होंने अदालत को बताया था कि कांकेर की भानुप्रतापपुर तहसील में घोटिया ग्राम पंचायत ने एक होर्डिंग लगाकर कहा है कि गांव 5वीं अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां पंचायत (अनुसूचित क्षेत्र तक विस्तार) अधिनियम 1996 (पेसा अधिनियम) के प्रावधान लागू हैं और ग्राम सभा गांव की पहचान एवं संस्कृति की रक्षा करने में सक्षम है।

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ग्राम सभा के होर्डिंग के आधार पर, अन्य गांवों के पादरियों और ‘धर्मांतरित ईसाइयों’ को धार्मिक कार्यक्रमों के लिए घोटिया में प्रवेश करने से रोका जाता है, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में भय की भावना पैदा होती है। उन्होंने दावा किया था कि कुडाल, पारवी, जुनवानी, घोटा, हवेचुर, मुसुरपुट्टा और सुलंगी गांवों में भी इसी तरह के होर्डिंग लगाए गए हैं। याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने दलील दी कि ग्राम सभाएं ऐसे प्रस्ताव पारित नहीं कर सकतीं, जो संविधान और कानून के खिलाफ हों। उन्होंने कहा कि ग्राम सभा के प्रस्ताव और ये होर्डिंग भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन करते हैं, जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है।

अतिरिक्त महाधिवक्ता वाईएस ठाकुर ने अदालत को बताया कि पेसा नियम ग्राम सभा को स्थानीय सांस्कृतिक विरासत को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी गतिविधि से रक्षा करने का अधिकार देता है, जिसमें देवी-देवताओं के स्थान, पूजा पद्धति, संस्थान (गोटुल और धुमकुड़िया) और मानवतावादी सामाजिक प्रथाएं शामिल हैं। ठाकुर ने कहा कि उक्त होर्डिंग में इस बात का जिक्र किया गया है कि गांव में रहने वाले अनुसूचित जनजातियों के लोगों को लालच देकर धर्मांतरण कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे स्थानीय सांस्कृतिक विरासत और आदिवासी संस्कृति को नुकसान पहुंच रहा है, जो पेसा नियमों का पूर्णतः उल्लंघन है।

ठाकुर ने दलील दी कि होर्डिंग का उद्देश्य केवल अन्य क्षेत्रों के उन ईसाई पादरियों को रोकना है, जो आदिवासियों के अवैध धर्मांतरण के लिए गांव में प्रवेश कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति ग्राम सभा के फैसले से संतुष्ट नहीं है, तो वह उपमंडल अधिकारी (राजस्व) के समक्ष अपील कर सकता है, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने इस विकल्प का इस्तेमाल किए बिना ही ‘प्रो बोनो पब्लिको’ (जनता की भलाई के लिए) की प्रकृति में याचिकाएं दायर कीं और इसलिए यह विचारणीय नहीं है तथा इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए। खंडपीठ ने उच्चतम न्यायालय के फैसलों का हवाला देते हुए कहा, ”प्रलोभन या धोखाधड़ी के माध्यम से धर्मांतरण को रोकने के लिए होर्डिंग लगाना असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता।” इसने कहा कि याचिकाकर्ताओं को निवारण के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने से पहले उपलब्ध वैधानिक वैकल्पिक उपाय का इस्तेमाल कर लेना चाहिए था। खंडपीठ ने कहा कि अगर याचिकाकर्ताओं को आशंका है कि उन्हें अपने गांवों में प्रवेश करने से रोका जाएगा या उन्हें कोई खतरा है, तो वे पुलिस से सुरक्षा मांग सकते हैं।

भारत विश्व शांति के लिए अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी से निभाने का प्रयास कर रहा: प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत विश्व शांति के लिए अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी से निभाने का प्रयास कर रहा है, आज पूरी दुनिया में कहीं भी कोई भी संकट आता है, कोई आपदा आती है तो भारत एक भरोसेमंद साथी के तौर पर मदद के लिए आगे आता है। प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को नवा रायपुर में नवनिर्मित ब्रह्माकुमारी संस्थान का भव्य शांति शिखर रिट्रीट सेंटर ‘एकेडमी फॉर ए पीसफुल वर्ल्ड’ को समाज के नाम समर्पित किया। उन्होंने इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ”वैश्विक शांति के मिशन में जितनी अहमियत विचारों की होती है उतनी ही बड़ी भूमिका व्यावहारिक नीतियों और प्रयासों की भी होती है।

भारत इस दिशा में आज अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी से निभाने का प्रयास कर रहा है। आज पूरी दुनिया में कहीं भी कोई भी संकट आता है, कोई आपदा आती है तो भारत एक भरोसेमंद साथी के तौर पर मदद के लिए आगे आता है और तुरंत पहुंचता है।” प्रधानमंत्री ने कहा, ”आज पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों के बीच भारत पूरे विश्व में प्रकृति संरक्षण की प्रमुख आवाज बना हुआ है। बहुत आवश्यक है कि हमें प्रकृति ने जो दिया है हम उसका संरक्षण करें, उसका संवर्धन करें और यह तभी होगा जब हम प्रकृति के साथ मिलकर जीना सीखेंगे।” उन्होंने कहा, ”हमारे शास्त्रों ने प्रजापिता ने यही सिखाया है।

हम नदियों को मां मानते हैं, हम जल को देवता मानते हैं, हम पौधे में परमात्मा के दर्शन करते हैं। इसी भाव से प्रकृति और उसके संसाधनों का उपयोग करते हैं। प्रकृति से केवल लेने का भाव नहीं बल्कि उसे लौटने की सोच भी होनी चाहिए, आज यही जीवन जीने का तरीका दुनिया को सुरक्षित भविष्य का भरोसा देता है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अभी से भविष्य के प्रति अपनी इन जिम्मेदारियों को समझ भी रहा है और उन्हें निभा भी रहा है। ‘वन सन, वन वर्ड, वन ग्रिड’ जैसी भारत की पहल, ‘वन अर्थ-वन फैमिली-वन फ्यूचर’ जैसे भारत के दृष्टिकोण से आज दुनिया जुड़ रही है।

उन्होंने कहा कि भारत ने भू-राजनीतिक सीमा से अलग मानव मात्र के लिए ‘मिशन लाइफ’ भी शुरू किया है। प्रधानमंत्री ने कहा, ”समाज को निरंतर सशक्त करने में ब्रह्मकुमारीज जैसी संस्थाओं की अहम भूमिका है। मुझे विश्वास है शांति शिखर जैसे संस्थान भारत के प्रयासों को नयी ऊर्जा देंगे और इस संस्थान से निकली ऊर्जा देश और दुनिया के लाखों करोड़ों लोगों को विश्व शांति के विचार से जोड़ेगी।” प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस की बधाई दी और कहा, ”आज छत्तीसगढ़ अपनी स्थापना के 25 साल पूरी कर रहा है। छत्तीसगढ़ के साथ झारखंड और उत्तराखंड की स्थापना के भी 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं।

आज देश के और भी कई राज्य अपना स्थापना दिवस मना रहे हैं। मैं इन सभी राज्यों के निवासियों को स्थापना दिवस की बहुत-बहुत बधाई देता हूं।” उन्होंने कहा, ”राज्य के विकास से देश का विकास, इसी मंत्र पर चलते हुए हम भारत को विकसित बनाने के अभियान में जुटे हैं। विकसित भारत की इस यात्रा में ब्रह्मकुमारीज जैसी संस्था की बहुत बड़ी भूमिका है। मेरा सौभाग्य रहा है कि मैं बीते कई दशकों से आप सबके साथ जुड़ा हुआ हूं। मैं यहां अतिथि नहीं हूं मैं आप ही का हूं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे यहां हर धार्मिक अनुष्ठान जिस उद्घोष के साथ पूरा होता है वह उद्घोष है, ‘विश्व का कल्याण हो, प्राणियों में सद्भावना हो’। ऐसी उदार सोच, ऐसा उदार चिंतन और विश्व कल्याण की भावना का आस्था से ऐसा संगम, यह हमारी सभ्यता, हमारी परंपरा का सहज स्वभाव है। उन्होंने विश्वास जताया कि शांति शिखर जैसे संस्थान भारत के प्रयासों को नयी ऊर्जा देंगे। कार्यक्रम के दौरान विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय भी मौजूद रहे। वहीं संस्थान की ओर से अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती दीदी और अतिरिक्त महासचिव डॉक्टर राजयोगी बीके मृत्युंजय भाई भी मौजूद थे।

प्रधानमंत्री मोदी ने छत्तीसगढ़ के नये विधानसभा भवन का किया उद्घाटन

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छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के दौरान रायपुर के एक निजी विद्यालय के सभागार से शुरू हुआ विधानसभा का सफर 25 वर्ष बाद 51 एकड़ में फैले विशाल भवन तक पहुंच गया, जिसका उद्घाटन शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। मोदी ने इस दौरान विधानसभा के नए भवन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा का अनावरण भी किया। अधिकारियों ने बताया कि नया रायपुर, अटल नगर में मंत्रालय के करीब निर्मित विधानसभा भवन अपनी शानदार, आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल इमारत के लिए जाना जाएगा।

उन्होंने कहा कि 51 एकड़ में फैली और 324 करोड़ रुपये की लागत से बना नया विधानसभा भवन सिर्फ एक इमारत नहीं है, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान और प्रगतिशील भावना का प्रतीक है। अधिकारियों ने बताया कि पारंपरिक कला और आधुनिक इंजीनियरिंग के मिश्रण के रूप में तैयार की गई यह संरचना परंपरा और नवोन्मेष से भरपूर है। नए विधानसभा भवन के वास्तुविद संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि विधानसभा भवन का निर्माण वर्तमान और भविष्य की सुविधाओं को ध्यान में रखकर किया गया है। श्रीवास्तव ने बताया कि विधानसभा भवन का निर्माण ऐसा किया गया है कि कभी यहां दिन में बिजली बंद होने पर अंधेरा नहीं होगा तथा प्राकृतिक रौशनी यहां हमेशा रहेगी।

उन्होंने बताया कि सदन में बने गलियारों का निर्माण करने के दौरान ध्यान रखा गया है कि उनके किसी भी कोने से सदन की कार्यवाही को देखा जा सकता है और यदि सदन का विस्तार करने की भविष्य में जरूरत होगी तो बगैर किसी तोड़फोड़ के आसानी से इसका विस्तार किया जा सकेगा। श्रीवास्तव ने बताया कि ‘धान का कटोरा’ के नाम प्रख्यात छत्तीसगढ़ में विधानसभा भवन की छत पर धान की बालियों और पत्तियों को उकेरा गया है। यहां के ज्यादातर दरवाजे और फर्नीचर बस्तर के काष्ठ शिल्पियों द्वारा बनाए गए हैं। विधानसभा का नया भवन आधुनिकता और परंपरा का संगम है।

राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि नए विधानसभा भवन को वर्तमान और भविष्य की जरूरत के हिसाब से बनाया गया है। आधुनिक, सर्वसुविधायुक्त, सुसज्जित सदन को 200 सदस्यों के बैठने के लिए विस्तारित किया जा सकता है। भविष्य में कागजरहित विधानसभा संचालित हो सके, इसके लिए जरुरी व्यवस्थाओं और प्रौद्योगिकी का समावेश किया गया है। उन्होंने बताया कि विधानसभा भवन को तीन हिस्सों में बनाया गया है। ‘विंग-ए’ में विधानसभा का सचिवालय है, ‘विंग-बी’ में सदन, सेंट्रल हॉल, मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष का कार्यालय है। ‘विंग-सी’ में सभी मंत्रियों के कार्यालय बने हुए हैं। आधुनिकतम सुविधाओं से लैस यह भवन पूर्णतः ऊर्जा-कुशल और हरित निर्माण प्रौद्योगिकी से बना है। सौर संयंत्र के साथ ही वर्षा जल के संचयन के लिए दो सरोवर भी बनाए जा रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि विधानसभा भवन में 500 दर्शक क्षमता का आधुनिक ऑडिटोरियम और 100 लोगों के बैठने की क्षमता वाला सेंट्रल हॉल भी है। पूरे भवन की वास्तुकला को आधुनिक और पारंपरिक शैलियों का मिला-जुला रूप दिया गया है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और शिल्प से सजे-संवरे विधानसभा के इस नए भवन में राज्य के तीन करोड़ लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को आकार मिलेगा। छत्तीसगढ़ के एक नवंबर, 2000 को अस्तित्व में आने के साथ ही राज्य विधानसभा का भी गठन हुआ। छत्तीसगढ़ की प्रथम विधान सभा में 91 सदस्य थे, जिनमें से 90 जनता द्वारा निर्वाचित तथा एक नामांकित सदस्य (एंग्लो इंडियन समुदाय) थे। छत्तीसगढ़ विधानसभा का पहला सत्र रायपुर के राजकुमार कॉलेज (एक निजी स्कूल) के जशपुर हॉल में हुआ था। बाद में विधानसभा को राजधानी के बाहरी इलाके में रायपुर-बलौदाबाजार मार्ग पर एक नयी बनी सरकारी भवन में स्थानांतरित कर दिया गया था।

जिस विचारधारा का आजादी में योगदान नहीं, वह महापुरुषों की विरासत हथियाने की कोशिश में : कांग्रेस

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कांग्रेस ने सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जिस विचारधारा की आजादी की लड़ाई और संविधान के निर्माण में कोई भूमिका नहीं थी वह अपना हित साधने के लिए महापुरुषों की विरासत को हथियाने की कोशिश कर रही है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “आज जब राष्ट्र सरदार पटेल की 150वीं जयंती मना रहा है, तब हमें यह भी याद करना चाहिए कि 13 फ़रवरी 1949 को जवाहरलाल नेहरू ने गोधरा में सरदार पटेल की एक प्रतिमा का अनावरण किया था।

गोधरा से ही भारत के लौह पुरुष ने अपनी वकालत शुरू की थी।” उन्होंने कहा कि उस अवसर पर पंडित नेहरू का दिया गया भाषण बार-बार पढ़ा जाना चाहिए, क्योंकि उससे दोनों नेताओं की तीन दशकों से भी अधिक समय तक चली गहरी और मजबूत सहयात्रा की जानकारी मिलती है। रमेश का कहना है, ” सरदार पटेल की 75वीं जयंती की पूर्व संध्या पर पंडित नेहरू ने अपने संदेश में कहा था : ‘बहुत कम लोगों के पास सरदार पटेल जैसा इतना लंबा और उल्लेखनीय सेवा-कार्य का इतिहास है’। ” उनके मुताबिक, नेहरू ने यह भी कहा था, “…मैं राष्ट्रीय गतिविधियों में उनके साथ तीस वर्षों की मित्रता और घनिष्ठ सहयोग को याद करता हूँ। यह समय उतार-चढ़ाव और बड़े घटनाक्रमों से भरा रहा है और इससे हम सबकी कड़ी परीक्षा हुई है।

सरदार पटेल इन परीक्षाओं से निकलकर भारतीय परिदृश्य पर एक प्रभावशाली और मार्गदर्शक व्यक्तित्व के रूप में उभरे हैं, असंख्य लोग जिनकी ओर मार्गदर्शन पाने के लिए देखते हैं। ईश्वर करे कि वह हमारे और देश के लिए दीर्घायु हों।” रमेश ने कहा, “19 सितंबर 1963 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने नई दिल्ली में संसद भवन और चुनाव आयोग के कार्यालय के पास स्थित एक प्रमुख चौराहे पर सरदार पटेल की प्रतिमा का अनावरण किया। उस समय जवाहरलाल नेहरू भी उपस्थित थे, और प्रतिमा पर अंकित होने वाले शिलालेख के लिए सरल लेकिन अत्यंत प्रभावशाली यह वाक्य उन्होंने स्वयं चुना था: “भारत की एकता के शिल्पकार।

कांग्रेस नेता ने इस बात का उल्लेख भी किया कि 31 अक्टूबर 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने सरदार वल्लभभाई पटेल जन्म शताब्दी वर्ष के समापन समारोह की अध्यक्षता की थी। उनके अनुसार, उस अवसर पर इंदिरा गांधी ने सरदार पटेल के अनेक विशिष्ट कार्यों और योगदानों को रेखांकित करते हुए उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। उनका वह वक्तव्य आज भी उतना ही अर्थपूर्ण माना जाता है। रमेश ने सरदार पटेल द्वारा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लिखे गए एक पत्र की प्रति साझा करते हुए कहा, “2014 के बाद, इतिहास को विशेष रूप से “जी 2″ और उनके तंत्र द्वारा खुलेआम तोड़ा-मरोड़ा और विकृत किया गया है। निस्वार्थ राष्ट्र-निर्माताओं के इन महान व्यक्तित्वों को उस विचारधारा द्वारा अपने हित में इस्तेमाल करना, निश्चय ही उन्हें (पटेल) व्यथित करता। ” उन्होंने दावा किया, “यह एक ऐसी विचारधारा है जिसका न तो स्वतंत्रता संग्राम में कोई योगदान था, न संविधान निर्माण में, और जिसने, स्वयं सरदार पटेल के शब्दों में, ऐसा माहौल बनाया जिसने 30 जनवरी, 1948 (महात्मा गांधी की हत्या) की भीषण त्रासदी को संभव बनाया।

सुप्रीम कोर्ट ने बीसीआई को दिया पंजाब, हरियाणा बार काउंसिल चुनावों की अधिसूचना जारी करने का निर्देश

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उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ को निर्देश दिया कि वह पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल चुनावों की अधिसूचना दस दिन के भीतर जारी करे और 31 दिसंबर, 2025 तक चुनाव कराए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने शीर्ष बार निकाय ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ (बीसीआई) को 31 जनवरी 2026 तक उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के चुनाव कराने और मतदाताओं की शिकायतों का समाधान करने का भी निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने यह निर्देश तब दिया जब उसे बताया गया कि पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल के चुनाव अधिसूचित नहीं किए गए हैं और उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची वेबसाइट पर अपलोड नहीं की गई है।

वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि नियमों के अनुसार चुनाव होने और इसकी अधिसूचना के बीच 180 दिन का समय होना चाहिए और पंजाब तथा हरियाणा के मामले में उन्हें कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी हैं। न्यायमूर्ति कांत ने मिश्रा से विभिन्न राज्यों में बार काउंसिल के चुनाव कराने के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने को कहा। मिश्रा ने कहा कि ऐसा किया जा चुका है और उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक पैनल गठित किया गया है। शीर्ष अदालत ने उनसे पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल चुनाव कराने के लिए कहा।

साथ ही कहा कि बीसीआई को उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में और पैनल नियुक्त करना चाहिए। पीठ ने उनसे कहा कि कम से कम 31 दिसंबर 2025 तक चुनाव कराने का प्रयास करें और किसी भी कठिनाई की स्थिति में उस पर विचार किया जा सकता है। पीठ ने अधिवक्ता प्रदीप यादव से कहा, “बार काउंसिल के चुनाव काफी समय से नहीं हुए थे, लेकिन अब बार काउंसिल ऑफ इंडिया चुनाव कराने पर सहमत हो गया है। आइए हम इसमें सहयोग करें और लोकतांत्रिक संस्था को मजबूत करें। हमें निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए अपनी लोकतांत्रिक संस्थाओं पर भरोसा करने की जरूरत है।” यादव ने शिकायत की थी कि उत्तर प्रदेश बार काउंसिल की मतदाता सूची वेबसाइट पर अपलोड नहीं की गई है।

वरिष्ठ अधिवक्ता नरेन्द्र हुड्डा ने कहा कि नियमों के अनुसार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया का वर्तमान निकाय सात वर्ष के कार्यकाल से अधिक कार्य नहीं कर सकता। शीर्ष अदालत ने 24 सितंबर को कहा था कि लंबित मामलों को ध्यान में रखते हुए राज्य बार काउंसिल के चुनाव 31 जनवरी 2026 तक करा लिए जाने चाहिए। न्यायालय ने कहा था कि वकीलों के एलएलबी प्रमाणपत्रों के सत्यापन अभियान को चुनाव स्थगित करने का आधार नहीं बनाया जा सकता। शीर्ष अदालत ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस’ (सत्यापन) नियम, 2015 के नियम 32 को रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जो बीसीआई को एडवोकेट्स एक्ट 1961 के तहत निर्धारित वैधानिक सीमाओं से परे राज्य बार काउंसिल के सदस्यों का कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार देता है।

पटेल पूरे कश्मीर को भारत में मिलाना चाहते थे लेकिन नेहरू ने इसकी अनुमति नहीं दी: मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि सरदार पटेल अन्य रियासतों की तरह पूरे कश्मीर को भी भारत में मिलाना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ऐसा नहीं होने दिया। गुजरात के एकता नगर में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के पास राष्ट्रीय एकता दिवस परेड के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ”सरदार पटेल का मानना था कि इतिहास लिखने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए बल्कि इतिहास बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।” मोदी ने कहा, ”सरदार पटेल पूरे कश्मीर का एकीकरण करना चाहते थे जैसा उन्होंने अन्य रियासतों के साथ किया था। लेकिन नेहरू जी ने उनकी इच्छा पूरी नहीं होने दी।

कश्मीर का विभाजन हुआ, उसे अलग संविधान और अलग झंडा दिया गया और कांग्रेस की इस गलती का खामियाजा देश को दशकों तक भुगतना पड़ा।” मोदी ने कहा, ”आजादी के बाद सरदार पटेल ने 550 से अधिक रियासतों का भारत संघ में विलय कराने का असंभव सा लगने वाला कार्य पूरा किया। एक भारत, श्रेष्ठ भारत का विचार उनके लिए सर्वोपरि था।” उन्होंने कहा, ”सरदार पटेल ने एक बार कहा था कि उन्हें सबसे ज्यादा खुशी राष्ट्र की सेवा करने से मिलती है। मैं अपने देशवासियों को यह संदेश देना चाहता हूं कि राष्ट्र की सेवा में खुद को समर्पित करने से बढ़कर खुशी का और कोई स्रोत नहीं है।

‘ मोदी ने कहा, ”देश ने घुसपैठियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का फैसला कर लिया है। राष्ट्रीय एकता दिवस पर हमें देश से हर घुसपैठिए को बाहर निकालने का संकल्प लेना चाहिए।” उन्होंने कहा, ”आज हमारे देश की एकता और आंतरिक सुरक्षा घुसपैठियों से गंभीर खतरे का सामना कर रही है। दशकों से घुसपैठिए हमारे देश में घुसकर इसके जनसांख्यिकीय संतुलन को बिगाड़ रहे हैं।” नक्सलवाद के खिलाफ किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डालते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार तब तक चैन से नहीं बैठेगी जब तक नक्सलवाद और माओवाद को देश से जड़ से उखाड़ नहीं दिया जाता। उन्होंने कांग्रेस की निंदा करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी को भारत पर राज करने वाले अंग्रेजों से ‘गुलामी की मानसिकता’ विरासत में मिली है।

उन्होंने कहा कि देश औपनिवेशिक मानसिकता के हर निशान को मिटा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, ”हमारे देश की एकता को कमजोर करने वाले हर विचार या कार्य का हर नागरिक को त्याग करना चाहिए। यह हमारे देश के लिए समय की मांग है।” अपने संबोधन से पहले मोदी ने राष्ट्रीय एकता दिवस परेड का अवलोकन किया जिसमें पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों की टुकड़ियों ने भाग लिया। सभी टुकड़ियों की कमान महिला अधिकारियों ने संभाली, जिनमें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) जैसे अर्द्धसैनिक बल और जम्मू कश्मीर, पंजाब, असम, त्रिपुरा, ओडिशा, छत्तीसगढ़, केरल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश की पुलिस टुकड़ियां शामिल थीं।

राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) की एक टुकड़ी ने भी परेड में हिस्सा लिया। परेड में बीएसएफ के 16 जवानों ने भाग लिया जिन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में उनकी भागीदारी के लिए वीरता पदक से सम्मानित किया गया था। परेड में बीएसएफ के भारतीय नस्ल के कुत्तों का एक मार्चिंग दस्ता भी शामिल था, जिसमें प्रसिद्ध मुधोल हाउंड नस्ल की रिया भी शामिल थी, जिसने हाल में अखिल भारतीय पुलिस श्वान प्रतियोगिता जीती थी। रामपुर हाउंड और मुधोल हाउंड ने इस कार्यक्रम में अपने कौशल का प्रदर्शन किया जिसमें भारतीय वायु सेना की सूर्य किरण टीम का एक शानदार ‘एयर शो’ भी शामिल था। ‘सूर्य किरण एरोबैटिक टीम’ का गठन 1996 में किया गया था और यह दुनिया की कुछ चुनिंदा नौ-विमान एरोबैटिक टीम में से एक है तथा एशिया में अपनी तरह की एकमात्र टीम है। परेड में असम पुलिस द्वारा एक मोटरसाइकिल ‘डेयरडेविल शो’ और बीएसएफ का ऊंट पर सवार दस्ता और बैंड भी शामिल था। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) सहित विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की दस झांकियां विविधता में एकता के विषय की पुष्टि करती नजर आईं।

सरदार पटेल राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने वाले युगपुरुष, उन्होंने अखंड भारत की नींव रखी: सीएम साय

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शुक्रवार को कहा कि सरदार पटेल राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने वाले ऐसे युगपुरुष थे जिन्होंने अपने अदम्य साहस और दृढ़ निष्ठा से देश की रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत की नींव रखी। साय ने राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर आज राजधानी रायपुर के देवेंद्र नगर में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर साय ने कहा, ”सरदार पटेल केवल स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि वे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने वाले ऐसे युगपुरुष थे जिन्होंने अपने अदम्य साहस और दृढ़ निष्ठा से देश की रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत की नींव रखी।” इस दौरान साय ने स्कूली बच्चों, जनप्रतिनिधियों और आमजनों के साथ राजधानी रायपुर के शास्त्री चौक से शारदा चौक तक आयोजित ‘एकता दौड़’ में शामिल होकर ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का संदेश दिया।

साय ने कहा, ”सरदार पटेल को उनकी दूरदृष्टि और अद्भुत नेतृत्व क्षमता के कारण ही ‘भारत का लौह पुरुष’ कहा जाता है। राष्ट्र को एकजुट करने के उनके प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए सदैव प्रेरणास्रोत बने रहेंगे।” उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर आज पूरे देश में ‘रन फॉर यूनिटी’ का आयोजन किया जा रहा है, जो राष्ट्रीय एकता और अखंडता का प्रतीक है।” मुख्यमंत्री ने कहा, ”भारत विविधताओं से परिपूर्ण देश है, और ‘विविधता में एकता’ की भावना हमारी सबसे बड़ी शक्ति है।” उन्होंने कार्यक्रम में शामिल सभी प्रतिभागियों के उत्साह और अनुशासन की सराहना करते हुए कहा कि उनका यह जोश सरदार पटेल के प्रति श्रद्धा और राष्ट्र के प्रति समर्पण का प्रतीक है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने सभी को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को साकार करने का प्रण लेने का आह्वान किया और सभी को राष्ट्रीय एकता की शपथ दिलाई। अधिकारियों ने बताया कि कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम, वन मंत्री केदार कश्यप, बड़ी संख्या में विद्यार्थी और जनप्रतिनिधि मौजूद थे।