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नक्सल विरोधी अभियान का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए,पारदर्शी तरीके से संचालित किए जाएं : पायलट

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रायपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने सोमवार को कहा कि नक्सल विरोधी अभियान पारदर्शी तरीके से और प्रभावी ढंग से संचालित किए जाने चाहिए तथा इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। पायलट दो दिवसीय दौरे पर रायपुर पहुंचने के बाद यहां स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। कांग्रेस नेता ने बताया कि वह राज्य में पार्टी के नेताओं के साथ बैठक करेंगे तथा संगठन के नेताओं से बातचीत करेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कि बरसात के मौसम में भी नक्सल विरोधी अभियान जारी रहेंगे पायलट ने कहा, ”कांग्रेस पार्टी हमेशा से हिंसा और उग्रवाद के खिलाफ रही है। हमारे नेताओं ने इस देश और राज्य को सुरक्षित रखने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। जो भी प्रभावी कार्रवाई है, वह की जानी चाहिए।कार्रवाई पारदर्शी तरीके से की जानी चाहिए और इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ”यह आंतरिक सुरक्षा का मामला है। इसमें किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए। जो भी कार्रवाई की जाए, वह सभी को विश्वास में लेकर की जानी चाहिए।” कांग्रेस नेता ने कहा कि कार्रवाई प्रभावी और पारदर्शी होना चाहिए और इसका कोई राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि अन्य राज्य जो नक्सलवाद से जूझ रहे हैं उन्हें इस समस्या को खत्म करने के लिए साथ आना चाहिए। पायलट ने कहा, ”काफी विचार-विमर्श के बाद सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। कार्रवाई पारदर्शी होनी चाहिए और जवाबदेही तय होनी चाहिए। इसका जो भी निष्कर्ष निकले, उसका लाभ जनता को मिलना चाहिए। कार्रवाई जमीनी स्तर पर होनी चाहिए सिर्फ भाषणबाजी न हो।

अपने दौरे के बारे में जानकारी देते हुए पायलट ने कहा कि पार्टी की राज्य इकाई के विभिन्न प्रकोष्ठों द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी लेने और भविष्य की कार्रवाई का खाका तैयार करने के लिए दो दिनों (सोमवार और मंगलवार) तक बैठकें होंगी। उन्होंने कहा, ”मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने वर्ष 2025 को संगठन को समर्पित किया है। इसलिए हम बूथ से लेकर राज्य स्तर तक संगठन को मजबूत करना चाहते हैं। हम दो दिन तक लगातार बैठकें करके पार्टी को नई दिशा देने का काम करेंगे।” पायलट ने कहा कि वह सोमवार रात को कांग्रेस विधायकों के साथ बैठक करेंगे और विधानसभा के अगले महीने होने वाले मानसून सत्र में सत्तारूढ़ पार्टी को घेरने की रणनीति तैयार करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योग को दिलाई वैश्विक पहचान : साय

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शनिवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योग को वैश्विक पहचान दिलाई है और लोग स्वस्थ जीवन के लिए इसे दिनचर्या का अभिन्न अंग बनाएं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री साय ने आज जशपुर जिला मुख्यालय में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में हजारों लोगों के साथ योगाभ्यास किया और सभी को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा, ”योग कोई नयी पद्धति नहीं, बल्कि हमारी प्राचीन सनातन परंपरा का अभिन्न अंग है, जिसे ऋषि-मुनियों ने विकसित किया।

मुख्यमंत्री ने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया, जिसके परिणामस्वरूप 2015 से प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में विश्वभर में मनाया जा रहा है। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि आज 175 से अधिक देशों में योग की गूंज सुनाई देती है।” अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री के साथ जनप्रतिनिधियों, स्कूली छात्र-छात्राओं, अधिकारियों, कर्मचारियों और आम नागरिकों ने उत्साहपूर्वक योगाभ्यास कार्यक्रम में भाग लिया। योग प्रशिक्षकों ने चक्रासन, अर्धचक्रासन, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, प्राणायाम, वज्रासन सहित विभिन्न आसनों का अभ्यास कराया। अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कुल 107.81 करोड़ रुपये के 64 कार्यों का भूमिपूजन और लोकार्पण किया। इसमें जशपुर विधानसभा क्षेत्र में 61.20 करोड़ रुपये के 85 कार्यों का भूमिपूजन और 15.80 करोड़ रुपये के छह कार्यों का लोकार्पण शामिल है।

इस अवसर पर कुनकुरी विधानसभा क्षेत्र के फरसाबहार विकासखंड में 24.90 करोड़ रुपए के 15 कार्यों का भूमिपूजन और 5.91 करोड़ रुपए के चार कार्यों का लोकार्पण किया गया। अधिकारियों ने बताया कि राजधानी रायपुर में हुए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम में राज्यपाल रमेन डेका शामिल हुए। डेका ने इस अवसर पर कहा कि योग हमें केवल शारीरिक रूप से ही नहीं, मानसिक और भावनात्मक रूप से भी मजबूत बनाता है। उन्होंने कहा कि आजकल की भाग दौड़ और तनावपूर्ण जिंदगी में खुद को स्वस्थ रखने का योग सबसे आसान उपाय है।

छत्तीसगढ़ के कांकेर में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में एक महिला नक्सली को मार गिराया

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कांकेर। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में एक महिला नक्सली को मार गिराया है। पुलिस अधिकारियों ने यह जानकारी दी। कांकेर जिले के पुलिस अधीक्षक इंदिरा कल्याण एलेसेला ने बताया कि जिले के छोटेबेठिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत आमाटोला और कलपर गांव के मध्य जंगल में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में एक महिला नक्सली को मार गिराया है।

एलेसेला ने बताया कि छोटेबेठिया क्षेत्र के अंतर्गत कोटरी नदी के किनारे आमाटोला और कलपर गांव के मध्य जंगल में नक्सलियों की उपस्थिति की सूचना मिलने के बाद जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के संयुक्त दल को नक्सल विरोधी अभियान में रवाना किया गया था। उन्होंने बताया कि आज सुबह जब सुरक्षाबल के जवान आमाटोला-कलपर गांव के मध्य जंगल में थे तब उनके और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई। अधिकारी ने बताया कि सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में एक महिला नक्सली को मार गिराया है। घटनास्थल से उसका शव और हथियार बरामद किये गये हैं। अधिकारी ने बताया कि क्षेत्र में दोनों ओर से गोलीबारी जारी है तथा सुरक्षाबल के जवान तलाशी अभियान चला रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में नदी में बहे दो महिलाएं और दो बच्चे

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छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में एक नदी में बाढ़ आ जाने के बाद दो महिलाएं और दो बच्चे बह गए हैं। पुलिस अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पुलिस और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के जवानों ने चारों की तलाश शुरू कर दी है। अधिकारियों ने बताया कि जिले के केरजु पुलिस चौकी क्षेत्र में ढोड़ागांव के पास मैनी नदी में बृहस्पतिवार शाम महिला सोमारी (45), बिनावती नागवंशी (30), बिनावती का तीन वर्षीय बेटा आरयस नागवंशी तथा आठ वर्षीय बालिका अनिता लकड़ा बह गए।

उन्होंने बताया कि ढोड़ागांव के निवासी महिला और बच्चे बृहस्पतिवार शाम नदी के किनारे जंगली मशरूम एकत्र करने गए थे, उसी बीच नदी में अचानक बाढ़ आ गई, जिससे चारों नदी के तेज बहाव में बह गए। अधिकारियों ने बताया कि पुलिस को जब घटना की जानकारी मिली तब घटनास्थल के लिए पुलिस दल और एसडीआरएफ के दल को रवाना किया गया तथा महिलाओं और बच्चों की खोज शुरू की गई। उन्होंने बताया कि सरगुजा जिले में पिछले 24 घंटे से लगातार बारिश हो रही है जिससे नदी-नाले उफान पर हैं। अधिकारियों का कहना है कि पुलिस और एसडीआरएफ के जवान लगातार नदी और आसपास के इलाकों में नदी में बहे महिलाओं और बच्चों की खोज कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में इनामी नक्सली दंपति ने किया आत्मसमर्पण

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मोहला। छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में बुधवार को इनामी नक्सली दंपति ने सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। पुलिस अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि डिविजनल कमेटी सदस्य जीवन उर्फ राम तुलावी (45) और उसकी पत्नी एवं एरिया कमेटी सदस्य अगासा उर्फ आरती (38) ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय मोहला में राजनांदगांव क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक अभिषेक शांडिल्य के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। उन्होंने बताया कि जीवन के ऊपर आठ लाख रुपये तथा उसकी पत्नी आरती पर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित है। दोनों अबूझमाड़ क्षेत्र में सक्रिय थे। अधिकारियों ने बताया कि दोनों नक्सली पिछले 25 वर्ष से माओवादी संगठन में सक्रिय रहे।

उन्होंने नक्सल संगठन में हो रहे भेदभाव एवं शोषण से परेशान होकर तथा छत्तीसगढ़ सरकार की नयी पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण करने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि मोहला-मानपुर-अंबागढ़ पुलिस द्वारा नक्सलियों के घर वापसी के लिए ‘ऑपरेशन प्रयास’ चलाया जा रहा है। इसी अभियान के तहत नक्सली दंपति ने आत्मसमर्पण किया है। अधिकारियों ने बताया, ”जीवन 2000 में पारिवारिक लड़ाई झगड़े से परेशान होकर तथा नक्सली विचारधारा से प्रभावित होकर नक्सली संगठन में शामिल हुआ था। नक्सली संगठन में जुड़ने से पहले वह राजीव गांधी शिक्षा मिशन में शिक्षाकर्मी था।

नक्सली संगठन में जुड़ने के बाद वह अबूझमाड़ क्षेत्र में नक्सलियों के स्कूल में पढ़ाता था।” उन्होंने बताया कि जीवन की पत्नी आरती नक्सलियों के संगठन चेतना नाट्य मंडली में शामिल हुई थी। उसने वर्ष 2007 में जीवन से विवाह किया था। माड़ क्षेत्र में रहने के दौरान उसने प्रेस टीम में काम किया तथा कम्प्यूटर चलाना सीखा। अधिकारियों ने बताया कि नक्सली दंपति को तत्काल राहत राशि के रूप में 50-50 हजार रुपये प्रदान किए गए हैं और उन्हें अन्य सुविधाओं का भी लाभ दिया जाएगा।

साय मंत्रिपरिषद फैसला : छत्तीसगढ़ टाइगर फाउंडेशन सोसायटी का होगा गठन

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रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में वन्यजीव, खासकर बाघों के संरक्षण और पारिस्थितिकी-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘छत्तीसगढ़ टाइगर फाउंडेशन सोसायटी’ का गठन करने का फैसला किया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में यहां उनके आधिकारिक निवास कार्यालय में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये गए। उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद ने राज्य में वन्यजीव, खासकर बाघों के संरक्षण और पारिस्थितिकी-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पहल करते हुए ‘छत्तीसगढ़ टाइगर फाउंडेशन सोसायटी’ का गठन करने का फैसला किया है।

अधिकारियों ने बताया कि यह सोसायटी वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत काम करेगी। मध्य प्रदेश में यह 1996 से संचालित है। इसका मुख्य लक्ष्य छत्तीसगढ़ में बाघों आबादी में लगातार गिरावट पर विराम लगाना है। यह संस्था स्व-वित्तपोषित होगी, जिससे सरकारी खजाने पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। यह सहयोग देने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं से फंड जुटाएगी। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या 18 से 20 के बीच है। उन्होंने बताया कि यह सोसायटी बाघों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण से जुड़ी गतिविधियों में सीधे शामिल होगी। अधिकारियों के अनुसार, यह सोसायटी स्थानीय समुदाय की भागीदारी से पारिस्थितिकी-पर्यटन को बढ़ावा देगी, जिससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आय के अवसर भी पैदा होंगे।

साथ ही, यह पर्यावरणीय शिक्षा, अनुसंधान और प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करेगी, जिससे भविष्य के लिए पर्यावरण संरक्षणवादी भी तैयार होंगे। अधिकारियों ने बताया कि इस पहल से संरक्षण के लिए बाहरी धन, विशेषज्ञता और संसाधन मिलेंगे, जिससे स्थानीय समुदायों को रोजगार के नये अवसर मिलेंगे और राज्य का पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला छत्तीसगढ़ में वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा, जो जैव विविधता की रक्षा के साथ-साथ पारिस्थितिकी-पर्यटन को भी मजबूत आधार देगा। अधिकारियों ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने शहीद पुलिसकर्मियों के सर्वोच्च बलिदान को ध्यान में रखकर अनुकम्पा नियुक्ति के लिए निर्देश की कंडिका में संशोधन करते हुए फैसला किया है कि नक्सली हिंसा में शहीद पुलिस सेवकों के परिवार के किसी भी पात्र सदस्य (महिला या पुरूष) को विकल्प के आधार पर पुलिस विभाग के अलावा, किसी अन्य विभाग में तथा राज्य के किसी भी जिला, संभाग में अनुकम्पा नियुक्ति दी जा सकेगी।

उन्होंने बताया कि पहले अनुकम्पा नियुक्ति यथासंभव उसी विभाग या कार्यालय में देने की व्यवस्था थी, जिसमें दिवंगत शासकीय सेवक निधन के पूर्व कार्यरत था। अधिकारियों ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने छत्तीसगढ़ में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने और बिजली उपभोक्ताओं को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए ‘प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना’ के अंतर्गत घर की छतों पर ‘सोलर रूफटॉप’ संयंत्र की स्थापना में राज्य सरकार द्वारा भी उपभोक्ताओं को वित्तीय सहायता दिए जाने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि ‘छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड’ (सीएसपीडीसीएल) के माध्यम से ‘पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ के तहत घरेलू उपभोक्ताओं के घरों पर ‘सोलर रूफटॉप’ संयंत्र लगाने पर केंद्रीय वित्तीय सहायता के साथ-साथ राज्य की ओर से अतिरिक्त वित्तीय सहायता भी दी जाएगी, जो सोलर प्लांट की क्षमता के आधार पर अलग-अलग होगी।

अधिकारियों ने बताया कि सीएसपीडीसीएल इस योजना की कार्यान्वयन एजेंसी होगी और केंद्र सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार इसे लागू करेगी। उन्होंने बताया कि जशपुर जिले में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा हर्बल एवं महुआ चाय जैसे पारंपरिक उत्पाद ‘जशप्योर’ ब्रांड के तहत तैयार किए जा रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, इन उत्पादों को व्यापक बाजार उपलब्ध कराने और विपणन को बढ़ावा देने के लिए इस ब्रांड को राज्य शासन अथवा छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (सीएसआईडीसी) को हस्तांतरित करने के प्रस्ताव का मंत्री परिषद ने अनुमोदन किया है। अधिकारियों ने बताया कि ब्रांड हस्तांतरण से कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को बढ़ावा मिलेगा, स्थानीय कच्चे माल की मांग बढ़ेगी और आदिवासी महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे। ट्रेडमार्क हस्तांतरण से राज्य पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा।

उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद ने छत्तीसगढ़ राज्य में गौण खनिजों के सुव्यवस्थित अन्वेषण, पर्यवेक्षण और अधोसंरचना के विकास के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए ‘स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट’ (एसएमईटी) के गठन की अधिसूचना के प्रारूप का अनुमोदन किया है। अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में एसएमईटी के तहत गौण खनिजों से प्राप्त होने वाली रॉयल्टी की दो प्रतिशत राशि अतिरिक्त रूप से एसएमईटी फंड में जमा की जाएगी, जिसका उपयोग गौण खनिजों के अन्वेषण, अधोसंरचना विकास में उच्च तकनीकों का उपयोग, सूचना प्रणाली, लॉजिस्टिक सहयोग, मानव संसाधनों के उन्नयन आदि में किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के ‘नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट’ की तर्ज पर राज्य में ‘स्टेट मिनिरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट’ का गठन किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति सूची में तकनीकी कारणों से शामिल होने से वंचित जातियों को प्राप्त होने वाली सुविधाओं के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए डिहारी कोरवा, बघेल क्षत्री, संसारी उरांव तथा पबिया, पविया, पवीया समाज के विद्यार्थियों को अनुसूचित जनजाति के समतुल्य और डोमरा जाति के विद्यार्थियों को अनुसूचित जाति के समतुल्य राज्य के मद से राज्य छात्रवृत्ति तथा शिष्यवृत्ति प्रदान किये जाने और छात्रावास-आश्रमों में स्वीकृत सीट के अधीन प्रवेश दिए जाने की सुविधा प्रदान करने की सहमति दी है।

दिल्ली से रायपुर पहुंचे इंडिगो के विमान का दरवाजा 30 मिनट तक नहीं खुला: रायपुर महापौर

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायपुर नगर निगम की महापौर मीनल चौबे ने दावा किया कि बुधवार को दिल्ली से रायपुर हवाई अड्डे पर पहुंचे इंडिगो के विमान का दरवाजा नहीं खुलने के कारण यात्री 30 मिनट से अधिक समय तक विमान में बैठे रहे। विमान में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अन्य नेता भी मौजूद थे। हालांकि, हवाई अड्डे के अधिकारियो ने इस घटना के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी होने से इनकार किया है। चौबे ने फोन पर बताया कि अपराह्न दो बजकर 20 मिनट पर रायपुर हवाई अड्डे पर उतरने के बाद विमान संख्या 6ई-6312 का दरवाजा 30 मिनट से अधिक समय तक बंद रहा। उन्होंने कहा, ‘जब हमने गेट खुलने में देरी का कारण पूछा तो चालक दल ने हमें बताया कि कुछ तकनीकी समस्या है।’

चौबे ने बताया, ‘विमान के चालक दल के सदस्य लगातार गेट खोलने की कोशिश कर रहे थे। 30 मिनट के बाद, हमने उन्हें (चालक दल के सदस्यों) बाहर के लोगों की मदद लेने के लिए कहा। फिर जमीन पर मौजूद लोगों ने बाहर से गेट खोला, फिर हम निकल पाए।’ उन्होंने बताया, ‘मैं देश भर के महापौर के सम्मेलन में भाग लेने के लिए हरियाणा के पंचकूला गई थी। वहां से मैं दिल्ली पहुंची और रायपुर के लिए विमान में सवार हुई। जब रायपुर पहुंचने के बाद विमान का दरवाजा नहीं खुला तब हमें डर तो नहीं लगा, लेकिन अहमदाबाद की घटना के बाद छोटी-मोटी गड़बड़ियां भी हमें त्रासदी की याद दिलाती हैं।’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर के स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा कि यात्रियों को 40 मिनट तक इंतजार करना पड़ा, क्योंकि दरवाजा बंद रहा। बघेल भी इसी विमान से दिल्ली से रायपुर पहुंचे थे। बघेल ने बताया कि दरवाजा खुलने के बाद यात्री सुरक्षित बाहर आ गए।

छत्तीसगढ़ में हादसा: कार की टक्कर से चार लोगों की मौत, एक घायल

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पेंड्रा। छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में तेज रफ्तार कार की टक्कर से दो मोटरसाइकिल सवार चार लोगों की मौत हो गई तथा कार चालक घायल हो गया। पुलिस अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिले के पेंड्रा थाना क्षेत्र के अंतर्गत मझगवां गांव के करीब एक कार की टक्कर से दो मोटरसाइकिल में सवार चार लोग गंगाराम गंधर्व (25), रामावतार गोंड (30), भूपेंद्र गोंड (28) और महिला शानू केंवट (22) की मौत हो गई तथा कार चालक स्नेहिल गुप्ता घायल हो गया।

अधिकारियों ने बताया कि रविवार रात को गंगाराम, रामावतार, भूपेंद्र और शानू, गंगाराम का जन्मदिन मनाने करीब के गांव गए थे। जब वे दो मोटरसाइकिल में सवार होकर पेंड्रा की ओर लौट रहे थे तब मझगांव के करीब तेज रफ्तार कार ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया और एक पेड़ से जा टकराई। उन्होंने बताया कि इस घटना में गंगाराम, रामावतार और भूपेंद्र की मौके पर ही मौत हो गई तथा शानू और कार चालक स्नेहिल घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि जानकारी मिलने पर घटनास्थल के लिए पुलिस दल रवाना किया गया।

बाद में पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से घायलों को अस्पताल भेजा। उन्होंने बताया कि अस्पताल में इलाज के दौरान शानू ने भी दम तोड़ दिया। वहीं घायल स्नेहिल का इलाज किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि कार चालक स्नेहिल नशे में वाहन चला रहा था इसलिए यह घटना हुई। पुलिस ने उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

छत्तीसगढ़ में कोरोना से बुजुर्ग की मौत का पहला मामला

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव शहर के कोरोना वायरस से संक्रमित 86 वर्षीय बुजुर्ग की एमएमआई अस्‍पताल रायपुर में मौत हो गई है। यह प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत का पहला मामला है जबकि पूरे देश में अब तक 108 लोगों की मौत हो चुकी है। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग और निगम अमले की मौजूदगी में रविवार को प्रोटोकॉल के तहत बुजुर्ग की अंत्‍येष्टि कन्‍हारपुरी स्थित मुक्तिधाम में की गयी। इस दौरान परिवार के लोग भी मौजूद थे। शव को अस्‍पताल से सीधे मुक्तिधाम लाया गया था। परिजनों ने बताया कि सांस लेने में दिक्क्त के चलते बुजुर्ग को 14 जून यानी शनिवार को ही रायपुर स्थित निजी अस्‍पताल में दाखिल किया गया था, जिसके कुछ ही घंटों बाद उनकी मौत हो गई।

अस्‍पताल प्रबंधन ने उनके कारोना संक्रमित होने की जानकारी दी थी। मुख्‍य चिकित्सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी डॉ नेतराम नवरतन ने मौत की पुष्टि करते बताया कि परिवार ने प्रोटोकॉल के तहत ही बुजुर्ग की अंत्येष्टि की। सोमवार को ‘कांटेक्‍ट ट्रेसिंग’ की जाएगी। परिजनों के सैंपल लेकर उन्‍हें कोविड-19 की जांच के लिए भेजा जाएगा। नतीजे आने तक परिवार होम क्‍वारंटीन में रहेगा। बुजुर्ग की कोरोना से मौत की जानकारी परिजनों ने खुद सोशल मीडिया के माध्‍यम से जारी की। उन्‍होंने सुनिश्चित किया कि इस संबंध में लोगों को जागरुक किया जाए। इस बीच देश में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना संक्रमण से 11 और मरीजों की मौत होने से इस वायरस से मरने वालों की कुल संख्या 108 पहुंच गयी और 119 सक्रिय मामले घटने के साथ कुल सक्रिय मामले 7264 हो गये हैं। इससे पहले रविवार को कोरोना सक्रिय मामलों की कुल संख्या 7383 थी।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से आज जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों में कोराना के संक्रमण से केरल में सात, छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में एक-एक मरीज की मौत हो गयी है। पिछले 24 घंटों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक में जहां ज्यादा सक्रिय मामले सामने आये हैं वहीं राष्ट्रीय राजधानी, केरल, तमिलनाडु और गुजरात में सक्रिय मामलों में कमी आयी है। गत 22 मई को देश में कोराना के मामले सिर्फ 257 सक्रिय थे जो आज बढ़कर 7264 तक पहुंच गए। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान 13604 मरीज कोरोना के संक्रमण से ठीक हो गये हैं।

छत्तीसगढ़ पुलिस कार्यप्रणाली में उर्दू-फारसी के कठिन शब्दों की जगह होगी सरल हिंदी

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रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने पुलिस कार्यप्रणाली में प्रयुक्त होने वाले कठिन, पारंपरिक और आम नागरिकों की समझ से बाहर उर्दू-फारसी शब्दों को हटाकर उनकी जगह पर सहज और प्रचलित हिंदी शब्दों का उपयोग करने का फैसला किया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। उदहारण के लिए हलफनामा की जगह शपथ पत्र, दफा की जगह धारा, फरियादी की जगह शिकायतकर्ता और चश्मदीद की जगह प्रत्यक्षदर्शी शब्द का इस्तेमाल किया जाना तय किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने अब अपनी कार्यवाही में अदम तामील, इन्द्राज, खयानत और गोश्वारा जैसे आम लोगों को समझ न आने वाले उर्दू और फारसी के कठिन शब्दों के स्थान पर क्रमशः सूचित न होना, टंकन, हड़पना और नक्शा जैसे आसान शब्दों का उपयोग करने का फैसला किया है।

उन्होंने बताया कि पुलिस विभाग ने ऐसे 109 शब्दों की सूची जारी की है जिसके स्थान पर सरल शब्दों को कार्यप्रणाली में शामिल किया जाएगा। इस सूची में दीगर के स्थान पर दूसरा, नकबजनी के स्थान पर सेंध, माल मशरूका लूटी की जगह चोरी गई संपत्ति, मुचलका की जगह व्यक्तिगत बंध पत्र, रोजनामचा की जगह सामान्य दैनिकी, शिनाख्त की जगह पहचान और जरायम के स्थान पर अपराध जैसे शब्दों को शामिल किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य की पुलिस व्यवस्था को और अधिक जन सुलभ, पारदर्शी तथा संवादात्मक बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।

उन्होंने बताया कि गृह विभाग संभाल रहे उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के निर्देश के बाद यह कदम उठाया गया है। शर्मा ने कहा, ”आम नागरिक जब किसी शिकायत, अपराध सूचना या अन्य कार्य से थाने जाता है, तब वह अक्सर पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी या अन्य दस्तावेजों की भाषा को लेकर असमंजस में रहता है। अन्य भाषा के शब्द आम लोगों के लिए अनजाने होते हैं, जिससे वे न तो अपनी बात ठीक से समझा पाते हैं और न ही पूरी प्रक्रिया को ठीक से समझ पाते हैं।” उपमुख्यमंत्री ने कहा कि यदि पुलिस का उद्देश्य नागरिकों की सहायता और सुरक्षा है, तब उसकी भाषा भी ऐसी होनी चाहिए जो नागरिकों की समझ में आए और उनके विश्वास को बढ़ाए।

अधिकारियों ने बताया कि उपमुख्यमंत्री के निर्देश के अनुसार पुलिस महानिदेशक ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को एक आधिकारिक पत्र जारी किया है, जिसमें स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि पुलिस की व्यवहारिक कार्यवाहियों में प्रयुक्त कठिन, पारंपरिक शब्दों को सरल और स्पष्ट हिंदी में बदला जाए जिसके लिए एक शब्द सूची भी तैयार की गई है, जिसमें पुराने कठिन शब्दों के स्थान पर उपयोग किए जाने योग्य सरल विकल्प सुझाए गए हैं। उन्होंने बताया कि इस पत्र में यह भी निर्देशित किया गया है कि सभी अधीनस्थ अधिकारियों को इस विषय में अवगत कराया जाए तथा यह सुनिश्चित किया जाए कि यह आदेश केवल औपचारिकता भर न रहे, बल्कि इसका वास्तविक कार्यान्वयन प्रदेश की प्रत्येक पुलिस चौकी, थाने और कार्यालय में दिखे।