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डिजिटल भारत निधि के तहत छत्तीसगढ़ में 513 नये 4जी मोबाइल टावर स्थापित किए जाएंगे

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में केंद्र सरकार ने डिजिटल भारत निधि के तहत बीएसएनएल के माध्यम से 513 नये 4जी मोबाइल टावर स्थापित करने की मंजूरी दे दी है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने केंद्र के इस निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने इसे नक्सल प्रभावित और दूर-दराज के क्षेत्रों में शांति बहाली, सुरक्षा और विकास के साझा प्रयासों का महत्वपूर्ण प्रतिफल बताया। साय ने कहा, ”यह निर्णय नक्सल उन्मूलन की दिशा में जारी प्रभावी प्रयासों की एक मजबूत कड़ी है। सुरक्षा बलों की सतत कार्रवाई और प्रशासनिक समन्वय से जिन क्षेत्रों में स्थायित्व स्थापित हुआ है, वहां अब विकास और डिजिटल कनेक्टिविटी का विस्तार सुनिश्चित किया जा रहा है।”

उन्होंने कहा, ”इन 4जी मोबाइल टावर की स्थापना से सुदूर और दुर्गम इलाकों में रहने वाली जनता को पहली बार सुलभ तथा विश्वसनीय मोबाइल एवं इंटरनेट सेवाएं हासिल होंगी। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, प्रशासनिक सेवा और आपातकालीन संचार की सुविधा सशक्त होगी।” साय ने कहा कि डिजिटल कनेक्टिविटी का यह विस्तार वित्तीय समावेशन की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि मोबाइल नेटवर्क के सशक्त होने से बैंकिंग सेवाएं, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, यूपीआई, बीमा, पेंशन और अन्य डिजिटल सेवाओं की पहुंच आम नागरिकों तक सहज रूप से सुनिश्चित हो सकेगी। मुख्यमंत्री कहा, ”यह पहल ‘डिजिटल इंडिया’ के उस मूल उद्देश्य को साकार करती है, जिसमें अंतिम छोर तक विकास पहुंचाने का संकल्प निहित है। इससे स्थानीय युवाओं को डिजिटल माध्यमों से नये अवसर मिलेंगे और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।’

‘ साय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित राज्यों के लिए सुरक्षा के साथ-साथ विकास को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार भी इस दृष्टिकोण के अनुरूप केंद्र के साथ मिलकर राज्य के प्रत्येक नागरिक को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री साय ने छत्तीसगढ़ की जनता की ओर से प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति हार्दिक आभार जताया और कहा कि यह निर्णय छत्तीसगढ़ को डिजिटल रूप से सशक्त, सुरक्षित एवं समावेशी बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

छत्तीसगढ़ के हर कोने तक पहुंचा विकास, सीएम साय ने दो साल के शासन की गिनाईं उपलब्धियां

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शनिवार को कहा कि उनकी सरकार ने पिछले दो वर्षों में राज्य के हर कोने तक विकास पहुंचाने और शासन को लोगों के करीब लाने के लिए निरंतर काम किया है। शनिवार को अपनी सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर साय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”प्रिय छत्तीसगढ़वासी भाइयों और बहनों, जय जोहार। आज जब मैं सेवा यात्रा के दो वर्ष पूरे कर रहा हूं, तो मन अपार भावनाओं से भर गया है।” उन्होंने कहा, ”यह दो वर्ष मेरे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण वर्ष रहे, क्योंकि यह समय केवल शासन का नहीं, सेवा और समर्पण का था। आपके साथ चलने का, आपकी मुस्कान में अपने दायित्व का प्रतिबिंब देखने का अवसर मिला।

साय ने कहा, ”इन दो वर्षों में हमने छत्तीसगढ़ के हर कोने में विकास का दीप जलाने की कोशिश की है। हमने किसानों की मेहनत का सम्मान करने के लिए सुविधाएं बढ़ाईं, जिससे उनकी उपज का पूरा मूल्य समय पर मिल सके। युवाओं के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए नई भर्तियों, प्रशिक्षण और औद्योगिक अवसरों के द्वार खोले गए।” उन्होंने कहा, ”आदिवासी अंचलों में शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़कों का ऐसा जाल बिछाया गया कि विकास की रोशनी उन इलाकों तक पहुंचे, जहां पहले उम्मीदें धुंधली थीं। हमारी बहनों के लिए सुरक्षा और सम्मान की दिशा में नए कदम उठाए गए, ताकि हर घर में आत्मविश्वास और स्वावलंबन का वातावरण बने।” मुख्यमंत्री ने कहा, ”इन सभी प्रयासों के बीच सबसे बड़ा परिवर्तन यह हुआ कि शासन अब जनता के द्वार पर है।

प्रशासन और लोगों के बीच जो दूरी कभी रही, वह अब सहभागिता में बदल रही है। मुझे गर्व है कि छत्तीसगढ़ आज विश्वास और स्थिरता के एक नए अध्याय की ओर बढ़ रहा है। भविष्य के लिए हमारी प्रतिबद्धता और भी सशक्त है।” उन्होंने कहा, ”आने वाले वर्षों में हम शिक्षा, रोजगार, कृषि और ग्रामीण विकास पर और तीव्र गति से काम करेंगे। हमारा लक्ष्य है ऐसा छत्तीसगढ़, जो आत्मनिर्भर हो, जहाँ हर युवा को अवसर मिले, किसान को गर्व हो और हर नागरिक को यह विश्वास हो कि उसका शासन उसके साथ खड़ा है।” साय ने कहा, ”प्रिय जनों, यह यात्रा अभी लंबी है और मंजिल बड़ी। मैं आप सभी से यही अपेक्षा करता हूं कि इस विकास यात्रा में अपने सुझावों, अपने परिश्रम और अपने विश्वास से हमारा मार्ग रोशन करते रहें। आपकी आस्था ही हमारी शक्ति है, और आपका सहयोग ही छत्तीसगढ़ के सुनहरे भविष्य की गारंटी।

आपका अपना, विष्णु देव साय।” वहीं एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा, ”आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में डबल इंजन सरकार के दो वर्ष पूर्ण हुए। ये दो वर्ष छत्तीसगढ़ के लिए परिवर्तन, गति और जनसेवा की निरंतर यात्रा रहे हैं।” उन्होंने कहा, ”आपके विश्वास और आशीर्वाद ने हर कदम पर हमें शक्ति दी, हर निर्णय को दिशा दी और यह भावना और भी सुदृढ़ की कि हमारा उद्देश्य केवल और केवल जनकल्याण है। मैं छत्तीसगढ़ की प्रत्येक मां, हर किसान, हर युवा और हर परिवार को यह विश्वास दिलाता हूं कि इस भरोसे को कभी कमजोर नहीं होने दूंगा। जय छत्तीसगढ़।” वर्ष 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद 13 दिसंबर को नई सरकार का गठन हुआ था। शहर के साइंस कॉलेज मैदान में हुए शपथ ग्रहण समारोह में विष्णु देव साय ने मुख्यमंत्री के रूप में और अरुण साव तथा विजय शर्मा ने उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।

छत्तीसगढ़ के सीएम साय से आईआईएसडी-स्वनिति इनिशिएटिव शोधकर्ताओं ने की मुलाकात

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल इंस्टट्यिूट ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट (आईआईएसडी) और स्वनिति इनिशिएटिव के शोधकर्ताओं ने शुक्रवार को सौजन्य मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने उनकी विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट मैपिंग इंडियाज स्टेट लेवल एनर्जी ट्रांज़िशन: छत्तीसगढ़ का विमोचन किया। मुख्यमंत्री साय ने शोधकर्ताओं के साथ राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा के प्रसार, ऊर्जा सुरक्षा, और सतत विकास की दिशा में राज्य सरकार की रणनीतियों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की।

उन्होंने कहा कि राज्य में सौर ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और ऊर्जा दक्षता संबंधी नवाचारों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है। शोधकर्ताओं ने सीएम साय को देश के 52 कोयला उत्पादक जिलों की ‘एनर्जी ट्रांज़िशन वल्नरेबिलिटी’ पर आधारित एक व्यापक इंडेक्स प्रस्तुत किया, जिसमें यह दर्शाया गया कि पारंपरिक कोयला आधारित क्षेत्रों में ‘जस्ट ट्रांज़िशन’-अर्थात् आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से न्यायपूर्ण बदलाव-कितना आवश्यक है। शोधकर्ताओं ने बताया कि यह इंडेक्स पुराने कोयला क्षेत्रों में भवष्यि की चुनौतियों, रोजगार संरचना, और वैकल्पिक आजीविका के अवसरों का महत्वपूर्ण संकेतक है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह तथा ऊर्जा विभाग के सचिव रोहित यादव उपस्थित थे।

पोषण योजना में एल्युमिनियम बर्तन खरीदी पर कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ सरकार को घेरा

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छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत एल्युमिनियम बर्तनों की खरीदी को लेकर गंभीर अनियमितताओं और स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों पर सवाल उठाते हुए पूर्व संसदीय सचिव एवं रायपुर पश्चिम के पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने राज्य सरकार को घेरा है। उपाध्याय ने शुक्रवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की स्पष्ट रोक और न्यायालय के निर्देशों के बावजूद राज्य में एल्युमिनियम बर्तनों की खरीदी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जो बच्चों के स्वास्थ्य के साथ गंभीर खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि एल्युमिनियम में भोजन पकाने के दुष्परिणाम वैज्ञानिक रूप से स्थापित हैं।

उन्होंने कहा, केंद्र सरकार ने पीएम पोषण योजना में एल्यूमिनियम बर्तनों के उपयोग से बचने के निर्देश दिए थे, लेकिन इसके बावजूद टेंडर जारी किए जा रहे हैं। उनका दावा है कि कुछ चुनिंदा फर्मों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों और गाइडलाइन को नजरअंदाज किया गया है, जिससे खरीद प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्नचह्नि खड़ा हो रहा है। पूर्व विधायक ने हाल ही में स्पोर्ट्स किट टेंडर पर उच्चतम न्यायालय के पुनः-टेंडर आदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि जब सर्वोच्च न्यायालय को दखल देना पड़ रहा है, तो यह दर्शाता है कि खरीद प्रणाली पर भरोसा कमजोर हुआ है। उपाध्याय ने कहा कि बच्चों के भोजन में उपयोग होने वाले बर्तनों को लेकर अभिभावकों और सामाजिक संगठनों ने भी चिंता व्यक्त की है। शिकायतकर्ताओं ने टिप्पणी की कि यदि पोषण योजना में भी अनियमितता हो जाए, तो यह बच्चों के भविष्य पर सीधी चोट है।

कांग्रेस नेता ने एनआर एसोसिएट्स, गणपति इंटरप्राइजेज और राम क्रिएशन जैसी फर्मों का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि पिछले वर्षों में इन्हीं कंपनियों को लगातार लाभ मिलता रहा है। उन्होंने दावा किया कि तकनीकी शर्तों को इस प्रकार गढ़ा गया कि केवल चुनिंदा फर्म ही पात्र हों। पत्रकार वार्ता में श्री उपाध्याय ने मांग की कि पोषण अभियान में एल्युमिनियम बर्तनों पर तत्काल रोक लगाई जाए, सभी टेंडरों की पारदर्शी समीक्षा हो तथा मिलीभगत पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य के मामले में केंद्र और राज्य दोनों स्तर पर कठोर और पारदर्शी व्यवस्था आवश्यक है।

रायपुर हवाई अड्डे पर दस साल से खड़ा बांग्लादेश का विमान सुरक्षा के लिए खतरा : कांग्रेस सांसद

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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के हवाई अड्डे पर पिछले दस वर्ष से बांग्लादेश के एक विमान के खड़े होने का मुद्दा बृहस्पतिवार को लोकसभा में उठा और एक कांग्रेस सांसद ने इसे हवाई सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए वहां से हटाए जाने की मांग सरकार से की। राज्य की कोरबा संसदीय सीट से सांसद ज्योत्सना महंत ने लोकसभा में शून्यकाल में यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, ‘यह विषय रायपुर के स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डे पर 2015 से खड़े बांग्लादेश की बंद हो चुकी एयरलाइन यूनाइटेड एयरवेज के लावारिस विमान का है। यह केवल हवाई अड्डे पर जगह घेरने या चार करोड़ रुपये बकाया का नहीं, बल्कि हवाई सुरक्षा का गंभीर विषय है।”

महंत ने कहा कि खस्ता हालत में यह विमान रनवे के बेहद करीब खड़ा है, जो यात्रियों और विमानों की सुरक्षा के लिए बेहद खतरनाक है। उन्होंने विमानन क्षेत्र में वर्तमान संकट का भी जिक्र करते हुए कहा कि नागर विमानन मंत्रालय इस समय ‘इंडिगो संकट’ से गुजर रहा है, जिससे स्पष्ट है कि मंत्रालय दबाव में है और कुशलता से काम नहीं कर पा रहा। कांग्रेस सांसद ने कहा, ”रायपुर का मामला भी दर्शाता है कि सरकार पहले से सक्रिय कार्रवाई करने के बजाय हादसे होने और चीजों के बिगड़ने का इंतजार करती है।

दस साल हो गए, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही। उन्होंने सरकार से मांग की कि सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए बिना देरी के इस विमान को नीलाम किया जाए या स्क्रैप किया जाए और तत्काल हवाई अड्डे से हटाया जाए। सात अगस्त, 2015 को 173 यात्रियों को लेकर ढाका से मस्कट जाते समय विमान का इंजन खराब हो गया था। विमान को रायपुर हवाई अड्डे पर आपात स्थिति में उतारा गया था और तब से यह विमान वहां खड़ा है।

छत्तीसगढ़ ट्रेन दुर्घटना जांच: रेलवे ने अयोग्य और योग्यता परीक्षा में असफल लोको पायलट को किया तैनात

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छत्तीसगढ़ में चार नवंबर को हुई रेल दुर्घटना पर रेल सुरक्षा आयुक्त की जांच रिपोर्ट में रेल प्रशासन पर एक ऐसे अयोग्य लोको पायलट को तैनात करने का आरोप लगाया गया जो न केवल अनिवार्य योग्यता परीक्षा में असफल रहा था बल्कि ट्रेन चलाते समय फोन पर कई सुरक्षा संबंधी निर्देश भी लेता रहता था। हाल ही में रेलवे बोर्ड को सौंपी गई जांच रिपोर्ट बिलासपुर संभाग में एक स्थानीय यात्री ट्रेन और एक मालगाड़ी के बीच हुई टक्कर से संबंधित है, जिसमें लोको पायलट सहित 12 लोगों की मौत हो गई थी और 19 यात्री घायल हुए थे।

कोलकाता स्थित दक्षिण पूर्वी सर्कल के रेल सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) बृजेश कुमार मिश्रा ने रिपोर्ट में बताया, एमईएमयू (मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) ट्रेन संख्या 68733 में तैनात लोको पायलट ने इस साल नौ जून को ‘योग्यता परीक्षा’ दी लेकिन वह इसमें उत्तीर्ण नहीं हो सका। लोको पायलट द्वारा ट्रेन के संचालन के दौरान मुख्य लोको निरीक्षक से मामूली मुद्दों पर भी मार्गदर्शन लेने के लिए किए गए फोन कॉल भी उसके ज्ञान की कमी को दर्शाते हैं। मिश्रा ने बताया, सहायक लोको पायलट द्वारा भी यह देखा गया कि लोको पायलट में एमईएमयू ट्रेन को चलाने के लिए आवश्यक गुणों की कमी थी, जिनमें नियमों का ज्ञान, समय पर निर्णय लेना और प्रतिक्रिया समय शामिल हैं। उपरोक्त कारणों के मद्देनजर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि तैनात लोको पायलट ट्रेन संख्या 68733 पर काम करने के लिए उपयुक्त नहीं था।

लोको पायलट के सीयूजी फोन के कॉल रिकॉर्ड का विश्लेषण करते हुए रेल सुरक्षा आयुक्त को दो ऐसे विशिष्ट मामले मिले, जब उसने ट्रेन संचालन से संबंधित सुरक्षा नियमों के बारे में जानकारी लेने के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारी को फोन किया था। जांच रिपोर्ट में बताया गया, कॉल रिकॉर्ड से पता चला कि लोको पायलट ने ट्रेन चलाने के दौरान दो कॉल किए थे। यह जानकारी मिली कि पूर्वाह्न 10 बजकर 20 मिनट पर जब ट्रेन संख्या 68734 जीटीडब्ल्यू (गटोरा) स्टेशन पर खड़ी थी, तब लोको पायलट ने सीएलआई को फोन करके पूछा था कि अलार्म चेन पुलिंग होने पर उसे कैसे रीसेट किया जाए। रिपोर्ट के मुताबिक, दोपहर एक बजकर 11 मिनट पर लोको पायलट ने सीएलआई को फोन करके यह जानने की कोशिश की कि ट्रेन के खड़े होने की स्थिति में पार्किंग ब्रेक कैसे हटाया जाए।

मिश्रा के अनुसार, जिन समस्याओं के लिए लोको पायलट ने सीएलआई से संपर्क किया था, वे सामान्य प्रकृति की थीं और लोको पायलट को स्वयं ही उनका समाधान कर लेना चाहिए था। रेल सुरक्षा आयुक्त ने रेलवे बोर्ड के ट्रेनों के संचालन संबंधी नियमों का हवाला देते हुए बताया कि एमईएमयू ट्रेन मूल रूप से एक व्यक्ति द्वारा चलाई जाने वाली ट्रेन है और प्रावधानों के अनुसार इसे चलाने के लिए योग्यता परीक्षा अनिवार्य है। उन्होंने दोहराया, लोको पायलट ने इस साल नौ जून को योग्यता परीक्षा दी, लेकिन वह इसे उत्तीर्ण नहीं कर सका और फेल हो गया। इसलिए, यह स्पष्ट है कि ट्रेन संख्या 68733 पर तैनात लोको पायलट इस ट्रेन में मोटरमैन के रूप में काम करने के लिए योग्य नहीं था। अधिकरी ने बताया कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (एसईसीआर) के विद्युत विभाग के संबंधित अधिकारियों का मानना है कि हालांकि लोको पायलट योग्यता परीक्षा में असफल रहा और मोटरमैन के रूप में काम करने के लिए योग्य नहीं था, फिर भी उसे सामान्य ट्रेनों की तरह सहायक लोको पायलट के साथ एमईएमयू चलाने के लिए तैनात करने पर कोई प्रतिबंध नहीं था।

रेल सुरक्षा आयुक्त ने इस तर्क को ‘अस्वीकार्य’ बताते हुए कहा कि रेलवे बोर्ड के नियम स्पष्ट रूप से योग्यता परीक्षा उत्तीर्ण किए बिना लोको पायलटों की तैनाती को प्रतिबंधित करते हैं। उन्होंने बताया कि रेलवे बोर्ड द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, 200 किलोमीटर या उससे अधिक की दूरी तय करने वाली एमईएमयू ट्रेनों में सहायक लोको पायलट की तैनाती आवश्यक है, चाहे ट्रेन का संचालन मोटरमैन द्वारा किया जा रहा हो या लोको पायलट द्वारा। अधिकारी ने बताया, इसलिए ट्रेन संख्या 68733 को चलाने के लिए सहायक लोको पायलट की आवश्यकता थी, भले ही इसे मोटरमैन द्वारा चलाया जा रहा हो।

छत्तीसगढ़ में संदिग्ध तांत्रिक अनुष्ठान के दौरान तीन लोगों की मौत, तांत्रिक समेत चार लोग हिरासत में

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छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में पुलिस ने फार्म हाउस से एक कबाड़ कारोबारी समेत तीन लोगों का शव बरामद किया है। आशंका है कि ये मौतें पैसे दोगुने करने का वादा करने वाले एक तांत्रिक अनुष्ठान से जुड़ी हैं। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में एक तांत्रिक समेत चार संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। उन्होंने बताया कि कोरबा जिले के निवासी कबाड़ कारोबारी मोहम्मद अशरफ मेमन, सुरेश साहू और दुर्ग जिले के निवासी नीतीश कुमार, जिनकी उम्र 40 से 45 साल के बीच थी, के शव उर्गा पुलिस थाना इलाके के कुदरी गांव में मेमन के फार्म हाउस से बुधवार देर रात बरामद किए गए।

अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में एक तांत्रिक समेत चार लोगों को हिरासत में लिया गया है। उन्होंने कहा कि आशंका है कि तीनों की गला घोंटकर हत्या की गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद इस संबंध में अधिक जानकारी मिल सकेगी। अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक जांच और मौके से मिले अनुष्ठान की सामग्री तथा नकदी से पता चलता है कि यह घटना पैसे दोगुने करने के वादे वाले किसी तांत्रिक अनुष्ठान से जुड़ी है।

उन्होंने बताया कि चारों संदिग्ध कथित तौर पर अनुष्ठान करने के लिए बिलासपुर से आए थे और इसी दौरान तीनों की मौत हो गई। कोरबा के पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी ने बताया कि चार लोगों को हिरासत में लिया गया है और मामले में विस्तृत जांच जारी है। इधर पीड़ितों के परिवार वालों ने गड़बड़ी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि शवों पर चोट और खरोंच के कई निशान थे, जो संभावित हमले या जबरदस्ती रोकने का संकेत देते हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार का तोहफा, अंबिकापुर में मुख्यमंत्री ग्रामीण बस योजना शुरू

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छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर जिले के दुर्गम और लंबे समय से बस-विहीन मार्गों पर बुधवार से नई बस सुविधा की शुरुआत की गयी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने वर्चुअल माध्यम से मुख्यमंत्री ग्रामीण बस योजना का शुभारंभ किया, जिसके साथ ही हजारों ग्रामीणों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बाजार तक पहुंच आसान होने की उम्मीद बढ़ी है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में हुई इस शुरुआत को ग्रामीण परिवहन व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। आज जिला जनसंपर्क अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक, अम्बिकापुर बस स्टैंड में आयोजित कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष निरूपा सिंह और निगम महापौर मंजूषा भगत ने बसों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में नागरिक मौजूद रहे। कार्यक्रम में कलेक्टर विलास भोसकर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश अग्रवाल, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी विनय सोनी सहित जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी शामिल हुए।

महापौर भगत ने कहा कि बस सुविधा शुरू होने से उन क्षेत्रों के लोगों को राहत मिलेगी, जहां वर्षों से नियमित परिवहन उपलब्ध नहीं था। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री ग्रामीण बस योजना का सीधा लाभ आम लोगों तक पहुंचेगा। यह पहल ग्रामीण अंचलों में कनेक्टिविटी मजबूत करने का एक ऐतिहासिक प्रयास है।” श्रीमती भगत ने इसके लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के दौरान एक महत्वपूर्ण घोषणा हुई। महापौर के आग्रह पर बस संचालकों ने दिव्यांग जनों और गर्भवती महिलाओं को निःशुल्क यात्रा सुविधा प्रदान करने का निर्णय लिया। बस संचालकों ने कहा, जनहित को ध्यान में रखते हुए दिव्यांग और गर्भवती महिलाओं को बिना किराया लिए यात्रा कराई जाएगी।” योजना के तहत बगीचा-सीतापुर और बांदा-अम्बिकापुर मार्गों पर नियमित बस सेवा शुरू की गई है।

बगीचा से सीतापुर होते हुए जुजगु, महादेवडांड, भारतपुर और ललितपुर जैसे गांवों को जोड़ने वाली 65 किलोमीटर की बस सेवा स्कूली बच्चों, मरीजों और दूरस्थ क्षेत्रों के ग्रामीणों के लिए बड़ी राहत साबित होगी। इसी तरह 33 किलोमीटर के महादेवडांड-सीतापुर मार्ग और 32 किलोमीटर लंबे बांदा-अम्बिकापुर मार्ग पर भी आज से बसें संचालित होंगी। इन बस सेवाओं के प्रारंभ होने से यात्रा व्यय में कमी आने, छात्रों की स्कूल और कॉलेज तक पहुंच सुगम होने तथा मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचने में मदद मिलने की उम्मीद है। दिव्यांग और गर्भवती महिलाओं के लिए निःशुल्क यात्रा सुविधा इस योजना के सामाजिक सरोकार को और मजबूत करती है। ग्रामीण अंचलों की कनेक्टिविटी में यह पहल एक महत्वपूर्ण बदलाव की ओर संकेत करती है।

छत्तीसगढ़ के कांकेर में कुल 23 लाख रुपए के इनामी चार नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

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छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में कुल 23 लाख रुपए के इनामी चार नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। पुलिस अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिले में आज चार नक्सलियों काजल उर्फ रजीता वेड़दा, मंजूला उर्फ लक्ष्मी पोटाई, विलास उर्फ चैतु उसेंडी और रामसाय उर्फ लखन मर्रापी ने सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाली नक्सली काजल कंपनी नंबर 10 की सदस्य थी और उसके ऊपर आठ लाख रुपए का इनाम है। वहीं एरिया कमेटी सदस्य मंजूला, टेक्निकल प्लाटून 50 के सदस्य विलास और एरिया कमेटी सदस्य रामसाय पर पांच—पांच लाख रुपए का इनाम है। अधिकारियों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों पर कई नक्सली घटनाओं में शामिल होने का आरोप है।

उन्होंने बताया कि चारों नक्सलियों के समाज में पुनर्वास और पुनर्समावेशन के लिए आवश्यक विधिक प्रक्रिया की जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य शासन द्वारा अपनाई गई व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति ने दक्षिण बस्तर क्षेत्र में स्थायी शांति की मजबूत नींव स्थापित की है। पुलिस, सुरक्षा बलों, स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संगठनों और क्षेत्र के जागरूक नागरिकों के सामूहिक और समन्वित प्रयासों से हिंसा और भय की संस्कृति को संवाद और विकास की संस्कृति में बदलने में बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने बताया कि मुख्यधारा में लौटने वाले प्रमुख माओवादी कैडरों ने भारतीय संविधान में आस्था व्यक्त करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक और सुरक्षित जीवन जीने का संकल्प किया है। पुनर्वास प्रक्रिया के तहत प्रत्येक कैडर को प्रोत्साहन स्वरूप 50—50 हजार रुपये की तत्कालिक आर्थिक सहायता प्रदान की गई है।

कांकेर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आईके एलिसेला ने माओवादियों से अपील करते हुए कहा, ”छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति माओवादियों को आकर्षित कर रही है। आत्मसमर्पण करने वालों के परिजन भी चाहते हैं कि वे सामान्य जीवन जियें और समाज के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें।” उन्होंने कहा, ”माओवादी भ्रामक और हिंसक विचारधाराओं को त्यागकर निर्भय होकर समाज की मुख्यधारा में लौटें। शासन की ‘पूना मारगेम’ नीति उनके भविष्य को सुरक्षित, सम्मानजनक और स्वावलंबी बनाने के लिए हर संभव सुविधा प्रदान कर रही है।” पुलिस के अनुसार, पिछले दो सालों में राज्य में 2380 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।

छत्तीसगढ़ कैबिनेट बैठक में नक्सल मामलों की वापसी प्रक्रिया मंजूर, 14 अधिनियमों में संशोधन को हरी झंडी

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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में बुधवार को सिविल लाइन स्थित मुख्यमंत्री निवास में मंत्रिपरिषद की महत्वपूर्ण बैठक में नक्सल उन्मूलन, प्रशासनिक सुधार और बजटीय प्रबंधन से जुड़े कई अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। बैठक के बाद उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने पत्रकारों को कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दी। बैठक में नक्सल उन्मूलन, प्रशासनिक सुधार और बजटीय प्रबंधन से जुड़े कई अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। कैबिनेट ने आत्मसमर्पित नक्सलियों के विरुद्ध दर्ज आपराधिक प्रकरणों की समीक्षा और परीक्षण के बाद उन्हें न्यायालय से वापस लेने की प्रक्रिया को हरी झंडी दे दी। इसके लिए मंत्रिपरिषद उप समिति का गठन किया जाएगा, जो प्रत्येक प्रकरण का परीक्षण कर कैबिनेट के समक्ष अनुशंसा प्रस्तुत करेगी।

यह प्रक्रिया छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण/पीड़ित राहत पुनर्वास नीति-2025 के अनुरूप होगी, जिसमें आत्मसमर्पित नक्सलियों के अच्छे आचरण और उनके योगदान को देखते हुए उनके विरुद्ध दर्ज प्रकरणों के निराकरण का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त, जिला स्तरीय समिति भी प्रकरणों की रिपोर्ट तैयार कर पुलिस मुख्यालय को भेजेगी। विधि विभाग की राय के बाद मामलों को मंजूरी के लिए कैबिनेट उप समिति के समक्ष भेजा जाएगा। केंद्र सरकार से जुड़े मामलों में आवश्यक अनुमति ली जाएगी। कैबिनेट ने 11 विभागों के 14 अधिनियमों में संशोधन के लिए जन विश्वास विधेयक-2025 (द्वितीय संस्करण) के प्रारूप को मंजूरी दी। इसका उद्देश्य पुराने और जटिल दंडात्मक प्रावधानों को सरल बनाना, छोटे उल्लंघनों पर प्रशासकीय दंड का प्रावधान लाना, न्यायालयों पर भार कम करना और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस तथा ईज ऑफ लिविंग को बढ़ावा देना है। यह निर्णय सुशासन की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जो जन विश्वास विधेयक का दूसरा संस्करण ला रहा है। बैठक में वित्तीय वर्ष 2025-26 के प्रथम अनुपूरक अनुमान को विधानसभा में प्रस्तुत करने के लिए छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक, 2025 को भी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई।