छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की व्यवस्था से राज्यों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए तत्काल कदम उठाए। उन्होंने नीति आयोग की संचालन परिषद की बैठक में यह भी कहा कि केंद्र सरकार राज्यों के अधिकारों का सम्मान करे। प्रदेश सरकार के सूचना विभाग की ओर से जारी बयान के मुताबिक, बघेल ने कहा कि देश की एकता और अखंडता अक्षुण्ण बनाए रखने में राज्यों की अहम भूमिका है।
उन्होंने कहा, केंद्र सरकार राज्यों के अधिकारों का सम्मान करे और उसके हिस्से के संसाधनों को हस्तांतरित करने की प्रणाली को और मजबूत बनाए। बघेल ने बताया कि आदिवासी अंचल बस्तर में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए विगत चार वर्षों में लगभग 9 हजार करोड़ रुपये के निवेश के लिए समझौते (एमओयू) किए गए हैं। इसके तहत इस्पात उद्योगों के लिए प्रतिवर्ष 30 लाख टन लौह अयस्क की आवश्यकता होगी।
उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया, इन इस्पात संयंत्रों की उत्पादन क्षमता के अनुरूप लौह अयस्क आरक्षित रखा जाए तथा प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराया जाए। साथ ही विशेष प्रोत्साहन के अंतर्गत एनएमडीसी द्वारा लौह अयस्क की दर में भी 30 प्रतिशत छूट दी जाए। उन्होंने 20 हजार से कम आबादी के शहरों में मनरेगा लागू करने का सुझाव भी दिया। मुख्यमंत्री ने रायपुर हवाई अड्डे से अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा शीघ्र शुरू करने व समन्वय के लिये नोडल अधिकारी की नियुक्ति का अनुरोध भी किया। बघेल ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत केंद्र-राज्य वित्त पोषण का हिस्सा 75:25 करने का अनुरोध किया।
उन्होंने बैठक में नयी पेंशन योजना में जमा 19 हजार करोड़ की राशि को वापस करने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान की भरपाई की मांग भी की। मुख्यमंत्री ने कहा, जीएसटी कर प्रणाली से राज्यों को राजस्व की हानि हुई है। छत्तीसगढ़ जैसे उत्पादक राज्यों के राजस्व हानि की भरपाई की कोई स्थायी व्यवस्था अतिशीघ्र की जाये। बघेल ने कहा, केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा कम है। इस वित्त वर्ष में छत्तीसगढ़ को 2659 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई जाए।