छत्तीसगढ़ में सत्ता में आने के लिए ‘सांप्रदायिक और विभाजनकारी’ राजनीति कर रही भाजपा : बैज

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छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर छत्तीसगढ़ में सत्ता में आने के लिए ‘सांप्रदायिक और विभाजनकारी’ राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि भाजपा के पास राज्य सरकार के खिलाफ कोई मुद्दा नहीं है। राज्य में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। बैज ने कहा कि उनकी पार्टी उन सभी क्षेत्रीय दलों पर नजर रख रही है जो अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों, खासकर आदिवासी बहुल इलाकों में विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में तथा सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की उपलब्धियों के मुद्दे पर सामूहिक रूप से चुनाव लड़ेगी। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित बस्तर लोकसभा सीट से 42 वर्षीय सांसद बैज को पिछले महीने आदिवासी विधायक मोहन मरकाम की जगह प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नियुक्त किया गया था। उन्होंने कहा, भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है। वह ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपना रही है। भाजपा का भाई को भाई से, एक जाति को दूसरी जाति से तथा एक धर्म को दूसरे धर्म से लड़ाना ही एजेंडा है। वे उसी एजेंडे पर काम कर रहे है।

उन्होंने इस दौरान बस्तर क्षेत्र में ईसाई धर्म अपनाने वाले आदिवासी परिवारों के मृतकों को दफनाने को लेकर हुई झड़प की कुछ कथित घटनाओं का जिक्र किया और कथित धर्म परिवर्तन के लिए पिछली भाजपा सरकार को दोषी ठहराया। कांग्रेस नेता ने कहा, जिस व्यक्ति की मृत्यु होती है उसे दफनाने में दिक्कत आ रही है। आप उनके परिजनों से पूछेंगे कि परिवार ने दूसरा धर्म कब अपनाया तो जवाब आएगा 10 साल 15 साल पहले भाजपा के शासन में अपनाया। बैज ने कहा, अगर कोई मामला गांव से संबंधित है तो ग्रामीण इसे स्वयं सुलझा सकते हैं। भाजपा के लोग उन जगहों पर जाकर नफरत क्यों फैला रहे हैं? भाजपा सत्ता में आने के लिए बस्तर और छत्तीसगढ़ की शांति को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है। लेकिन वे कभी सफल नहीं होंगे क्योंकि बस्तर और छत्तीसगढ़ के लोगों ने उनका असली चेहरा पहचान लिया है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने राज्य में कथित कोयला और शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई पर केंद्र सरकार की आलोचना की और कहा, ”ईडी द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं। भाजपा केंद्रीय एजेंसी का केवल इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि ईडी गैर-भाजपा शासित राज्यों में भाजपा के इशारे पर ही काम कर रही है। इस तरह की कार्रवाई का छत्तीसगढ़ में (चुनाव परिणाम में) कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह पूछे जाने पर कि क्या वह आगामी चुनावों को एक चुनौती के रूप में देखते हैं, उन्होंने कहा, ”प्रत्येक चुनाव एक चुनौती है चाहे वह विधानसभा का हो या पंचायत चुनाव। हमारी सरकार ने पिछले साढ़े चार वर्षों में हर वर्ग के कल्याण के लिए काम किया है।

पार्टी का संगठन बूथ स्तर से लेकर राज्य स्तर तक काम कर रहा है। हमें कोई दिक्कत नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि क्या कुछ मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया जाएगा, तो उन्होंने कहा, ”अभी इसमें (चुनाव के लिए) समय है, समीकरण एक दिन या एक रात में बदल सकते हैं। कई विधायक अच्छा कर रहे हैं। जो लोग हमारे पास आ रहे हैं उनसे हम कह रहे हैं कि वह जमीनी स्तर पर काम करें। मेरे लिए इस पर और कुछ कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि मुख्यमंत्री पिछले साढ़े चार वर्ष से काम कर रहे हैं, वह हर विधायक के संपर्क में हैं।

‘सर्व आदिवासी समाज’ की आदिवासी बहुल इलाकों में चुनाव लड़ने की योजना पर उन्होंने कहा, अगर कुछ लोगों को चुनाव लड़ना है, राजनीति करना है तो उसमें हम लोग क्या कर सकते हैं। भाजपा के शासन के दौरान एक-दो चुनावों में उन्होंने बस्तर को झूठ और फरेब की राजनीति में फंसा लिया था। इसे छोड़कर बस्तर की जनता ने हर बार कांग्रेस का ही साथ दिया है। उन्होंने कहा कि पार्टी इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में बस्तर क्षेत्र की सभी 12 सीटों पर जीत हासिल करेगी। ‘सर्व आदिवासी समाज’ राज्य के आदिवासियों की एक संस्था है। संस्था ने राज्य की 90 में से लगभग 50 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इनमें से 29 सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं।

छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी (आप) की चुनावी तैयारियों को लेकर उन्होंने कहा, ”हमें न तो बस्तर में कोई समस्या है और न ही पूरे राज्य में। जहां तक आप की बात है तो वह दिल्ली और पंजाब तक ही सीमित है और छत्तीसगढ़ में उनके लिए कोई संभावना नहीं है। हम सभी छोटे दलों पर कड़ी नजर रख रहे हैं। छत्तीसगढ़ में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 90 में से 68 सीटें जीतकर भाजपा की 15 वर्ष की सरकार को हटा दिया था। इस चुनाव में भाजपा को 15 सीटें मिली थीं। वहीं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) को पांच और उसकी सहयोगी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को दो सीटें मिली थीं।

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