छत्तीसगढ़ में आदिवासी अपने जल-जंगल-जमीन का स्वयं फैसला लेंगे : सीएम बघेल

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस के दिन अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत अधिकारों का विस्तार अधिनियम (पेसा)-2022 लागू कर दिया है तथा अब आदिवासी अपने जल-जंगल-जमीन के बारे में खुद फैसला ले सकेंगे। सीएम बघेल ने आदिवासी दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासियों के हितों को संरक्षण देने के लिए राज्य में पेसा अधिनियम लागू होने से ग्राम सभा का अधिकार बढ़ेगा।

नये अधिनियम से ग्राम सभा के 50 प्रतिशत सदस्य आदिवासी समुदाय से होंगे तथा इनमें भी 25 फीसदी महिला सदस्य सदस्य होंगी। अब गांवों के विकास में निर्ण लेने और आपसी विवादों के निपटारे का भी उन्हें अधिकार होगा। उन्होंने कहा आदिम संस्कृति छत्तीसगढ़ की पहचान है और आदिवासियों का आजादी की लड़ाई में बड़ा योगदान रहा है। हम आदिवासियों के सारे योगदान को सहेज कर रखना चाहते हैं। इसके लिए समुदाय की भाषा, संस्कृति सभी कुछ सहेजने का काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार बनने के बाद पहली बार विश्व आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की गई।

आदिवासियों को वन अधिकार के पट्टे दिए गए जिसके तहत अभी तक पांच लाख पट्टे दिए जा चुके हैं। राज्य सरकार 65 प्रकार के लघु वनोपज खरीद रही है। यही वजह है कि बस्तर और सरगुजा के आदिवासी अपने गांवों के लिए बैंक खोलने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आदिवासियों के स्वास्थ्य के लिए लगातार काम कर रही है। इसी का नतीजा है कि मलेरिया के मामलों में 65 फीसदी कमी आयी है। मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक से भी लाखों लोगों को फायदा हो रहा है। उन्होंने कहा, हमने बस्तर के 300 बंद स्कूलों को शुरू किया है। शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए राज्य में 10 हजार नए शिक्षकों की भर्ती भी होने जा रही है।

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