छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि नागरिक आपूर्त्ति निगम (नान) से जुड़े कथित घोटाले के सदंर्भ में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पिछले दिनों में उनको लेकर उच्चतम न्यायालय में ”हल्की बात” की जो उचित नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि वह न्यायाधीश से नहीं मिले थे और ऐसे में इस तरह की बातें अब नहीं होनी चाहिए। बघेल ने यहां ‘राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव’ का उद्घाटन करने के बाद संवाददाताओं के सवाल के जवाब में कहा, सॉलिसिटर जनरल ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि मुख्यमंत्री (बघेल) ने न्यायाधीश से मिलकर निर्णय को प्रभावित किया। उनसे पूछा गया कि आपसे यह किसने कहा तो उन्होंने कहा कि दो लोग व्हाट्एस एप पर बात कर रहे हैं उस आधार पर आरोप लगा रहे हैं। यह बात तो हास्यापस्द है।
उन्होंने कहा, सॉलिसिटरर जनरल के पद पर बैठा व्यक्ति उच्चतम न्यायालय में इतना हल्की बात करे, वो उचित नहीं है। मैं न्यायाधीश से नहीं मिला। अब ऐसी बात नहीं की जानी चाहिए। कथित नान घोटाले के संदर्भ में पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्यमंत्री बघेल के कथित निकटतम सहयोगी की व्हाट्सऐप से हुई बातचीत का उल्लेख किया था, जिसमें कहा गया था कि नान घोटाला मामले के कुछ आरोपियों को जमानत मंजूर करने से दो दिन पहले मुख्यमंत्री एक न्यायाधीश से मिले थे। उधर, छत्तीसगढ़ सरकार ने नान घोटाले में मुख्यमंत्री बघेल की कथित संलिप्तता के संदर्भ में केंद्र सरकार के शीर्ष विधि अधिकारी की आशंका को दरकिनार करते हुए बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि मुख्यमंत्री ने किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से कभी मुलाकात नहीं की।
शीर्ष अदालत नान अथवा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) से संबंधित पीएमएलए (धनशोधन निवारण अधिनियम) मामले को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने संबंधी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बघेल ने यहां यह भी कहा कि उनकी सरकार अपने राज्य में आदवासियों के आरक्षण बढ़ाने के मकसद से जल्द ही उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी। उन्होंने दावा किया, ”भाजपा आरक्षण के पक्ष में नहीं है। केंद्र सरकार सारे पदों को खत्म करते जा रहे हैं तो फिर आरक्षण का मतलब क्या रहता है।