छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि साग-सब्जियों को सुखाने के लिए गौठानों में सोलर ड्रायर उपलब्ध कराए जाएंगे। सीएम भूपेश ने अपने निवास कार्यालय में गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को राशि के ऑनलाईन अंतरण के लिए आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए यह घोषणा करते हुए कहा कि धमधा और पत्थलगांव में टमाटर के बड़े पैमाने पर उत्पादन को देखते हुए इन क्षेत्रों के गौठानों में टमाटर को सूखा कर वक्रिय का काम प्रारंभ किया जा सकता है। इसी तरह अन्य स्थानों में छत्तीसगढ़ की भाजियों को सूखा कर उनके वक्रिय की शुरूआत की जा सकती है। इस नये कार्य से भी किसानों और समूहों की आय बढ़ेगी।
उन्होने कार्यक्रम में गौपालकों, गोबर वक्रिेताओं, गौठान समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों को 7 करोड़ 05 लाख रूपए की राशि का अंतरण किया। उन्होंने 16 दिसम्बर से 31 दिसम्बर तक गौठानों में पशुपालक ग्रामीणों, किसानों, भूमिहीनों से क्रय 2.29 लाख क्विंटल गोबर के एवज में उनके खाते में 4 करोड़ 59 लाख रूपए, गौठान समितियों को 1.46 करोड़ रुपए और महिला समूहों के खाते में 01 करोड़ रूपए की लाभांश राशि अंतरित की। सीएम बघेल ने कहा कि गोधन न्याय योजना और रूरल इंडस्ट्रियल पार्क ग्रामीणों को आय और रोजगार उपलब्ध कराने की एक सफल योजना के रूप में जल्द ही देश और दुनिया के सामने होगी। लोगों से इन योजनाओं के प्रति भारी समर्थन मिल रहा है। ग्रामीण नये-नये उद्यम स्थापित करने की मांग कर रहे हैं। स्थानीय संसाधनों और बाजार की मांग के अनुरूप ग्रामीणों और स्व-सहायता समूहों को उपयोगी और लाभप्रद लघु और कुटीर उद्योग स्थापित करने के लिए सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि रीपा के कार्य में और अधिक तेजी लाई जानी चाहिए।
उन्होने कहा कि गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन और उनके वक्रिय में मिली सफलता के साथ महिला समूहों द्वारा गोबर से प्राकृतिक पेंट तैयार करने की यूनिट लगाने की काफी मांग कर रहे हैं। कई गौठानों में गोबर से बिजली बनाने का काम भी शुरू हो रहा है। सुकमा और जगदलपुर में गोबर से बिजली के संयंत्र की स्थापना का कार्य इस माह में पूरा हो जाएगा। गोबर से गौ-काष्ठ और गमले जैसे उत्पाद भी तैयार किए जा रहे हैं, जिनकी अच्छी खपत हो रही है। गोबर हमारे लिए अब मूल्यवान बन गया है। गांवों में कुटीर उद्योग प्रारंभ होने की परिकल्पना अब साकार हो रही है। सीएम बघेल ने कहा कि 10,894 स्वीकृत गौठानों में से 9,591 गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है। हमारे लगभग 50 प्रतिशत गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं, 4,564 स्वावलंबी गौठानों ने अपनी स्वयं की राशि से अब तक 35.19 करोड़ रुपए के गोबर की खरीदी की है।
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