शराब ‘घोटाला’ : छत्तीसगढ़ के तीन अधिकारियों और रायपुर के महापौर के भाई के खिलाफ यूपी में केस दर्ज

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यूपी के ग्रेटर नोएडा में पुलिस ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के दो अधिकारियों सहित छत्तीसगढ़ सरकार के तीन अफसरों और रायपुर के महापौर ऐजाज ढेबर के बड़े भाई के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और आपराधिक साजिश की धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह प्राथमिकी छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग में कथित शराब घोटाले की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही जांच के आधार पर दर्ज की गई है। छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग में कथित तौर पर 2,000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के उप निदेशक (रायपुर) की शिकायत पर रविवार को कासना थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई।

मामले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है उनमें भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी अनिल टुटेजा, भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) अधिकारी और आबकारी विभाग में विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी, आईएएस अधिकारी और आबकारी विभाग में आयुक्त निरंजन दास, व्यवसायी विधु गुप्ता, रायपुर के महापौर एवं कांग्रेस नेता ऐजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर शामिल हैं। छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के पूर्व प्रबंध निदेशक त्रिपाठी और अनवर ढेबर को संघीय एजेंसी ने पहले मामले में गिरफ्तार किया था। शिकायतकर्ता ने पुलिस प्राथमिकी में कहा कि ईडी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत छत्तीसगढ़ में शराब ‘घोटाले’ से जुड़े एक मामले की जांच कर रही है और जांच में खुलासा हुआ है कि नोएडा स्थित कंपनी प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड को अवैध रूप से राज्य के आबकारी विभाग को होलोग्राम की आपूर्ति करने का ठेका दिया गया था।

शिकायत के मुताबिक, कंपनी निविदा प्रक्रिया में भाग लेने के लिए पात्र नहीं थी, लेकिन कंपनी के मालिकों के साथ मिलीभगत करके छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ अधिकारी, अरुणपति त्रिपाठी, निरंजन दास और अनिल टुटेजा ने निविदा शर्तों में संशोधन किया और नोएडा स्थित मैसर्स प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड को अवैध रूप से ठेका दिलाया। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया, ”बदले में, अधिकारियों ने प्रति होलोग्राम आठ पैसे का कमीशन लिया और छत्तीसगढ़ की सरकारी दुकानों से अवैध देशी शराब की बिक्री के अपराध को अंजाम देने के लिए बेहिसाब जाली होलोग्राम की आपूर्ति करने की प्रतिबद्धता भी ली।

ईडी अधिकारी ने कहा कि होलोग्राम राज्य में प्रामाणिक शराब की बिक्री सुनिश्चित करने की एक सुरक्षा प्रणाली है लेकिन नोएडा में जाली होलोग्राम का उत्पादन करके ‘शराब माफिया को उस सुरक्षा प्रणाली का इस्तेमाल कर उपभोक्ताओं को धोखा देने दिया गया।’ अधिकारी ने दावा किया, ”ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि आपराधिक साजिश के तहत इस कंपनी को ठेका दिया गया था। प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड (मैसर्स पीएचएसएफ) को शराब माफिया को जाली होलोग्राम की सुचारू आपूर्ति करने के लिए ठेका दिया गया था। उन्होंने कहा, होलोग्राम नोएडा की एक फैक्ट्री में बनाए जाते थे और फिर ‘शराब सिंडीकेट के नेताओं’ के निर्देशों के अनुसार छत्तीसगढ़ भेजे जाते थे। उन्होंने बताया कि ”व्यवस्था के तहत पांच साल में 80 करोड़ होलोग्राम की आपूर्ति का ठेका दिया गया था।

प्राथमिकी के अनुसार दो अप्रैल को अपने बयान में, फर्म के प्रबंध निदेशक गुप्ता ने अपनी भूमिका स्वीकार की और कहा कि मूल और डुप्लिकेट दोनों होलोग्राम ग्रेटर नोएडा के कसाना स्थित कारखाने में बनाए जाते थे। स्थानीय पुलिस ने बताया कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468, 471 (दोनों जालसाजी से संबंधित), 473 (जालसाजी के लिए नकली मुहर बनाना या रखना), 484 (लोक सेवक द्वारा इस्तेमाल किया गया नकली चिह्न) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
एक स्थानीय पुलिस अधिकारी ने कहा कि मामले में आगे की जांच जारी है और कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। धनशोधन का यह मामला टुटेजा और अन्य के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत के समक्ष 2022 में आयकर विभाग द्वारा दायर आरोप पत्र पर आधारित है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहले अपने राज्य में धनशोधन मामले और कथित कोयला लेवी घोटाले से जुड़े एक अन्य मामले में ईडी की कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा था, पूरी कार्रवाई राज्य और केंद्र के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं के इशारे पर की जा रही है। वहीं, भाजपा की छत्तीसगढ़ इकाई ने विभिन्न सरकारी विभागों में अनियमितता का आरोप लगाया है।

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