लोकसभा ने बुधवार को एक संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य से संबंधित 12 समुदायों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने का प्रावधान है। निचने सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में ऐसे 12 समुदाय जिनमें कई सूची में पहले से सम्मिलित थे लेकिन पर्यायवाची शब्द के रूप में शामिल थे, इन्हें सूची में शामिल किया गया है। कई समुदायों के जनजातीय सूची में शामिल करने का मामला लंबित होने के बारे में कुछ सदस्यों के सवाल पर मंत्री ने कहा कि ये मामले आज से नहीं हैं बल्कि लम्बे समय से लंबित हैं और इस संबंध में जो मामले विचाराधीन हैं, उसके बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का दृष्टिकोण संवेदनशील है।
उन्होंने कहा कि पांच हजार की आबादी वाला बेटाकुरबा समुदाय हो अथवा 27 हजार की आबादी वाला नारीकुर्बन समुदाय…इन्हें जनजातीय सूची में शामिल करने का सरकार का कदम यह प्रदर्शित करता है कि छोटे-छोटे समुदायों का कितना ध्यान रखा जाता है। मुंडा ने कहा, हमारी नीयत साफ है। हमारी सरकार संवेदनशील, विकासोन्मुखी और जनता के प्रति जिम्मेदार है। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ‘संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक, 2022’ को ध्वनि मत से मंजूरी दे दी। मुंडा ने कहा कि अगर कुछ समुदायों को अंग्रेजों के शासन के दौरान 1931 या 1941 में जनजातीय सूची से हटा दिया गया तब 1947 में आजादी मिलने के बाद जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने इसे क्यों नहीं सुधारा? उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस आदिवासियों के प्रति दोहरी नीति अपनाती रही है और यह आज भी इससे बाज नहीं आ रही है।