छत्तीसगढ़ में नियमित किए जाने समेत अन्य मांगों को लेकर पिछले दो महीने से हड़ताल कर रहे मनरेगा योजना के 12 हजार से अधिक संविदा कर्मचारियों ने शनिवार को सामूहिक इस्तीफा दे दिया। कर्मचारियों ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा शुक्रवार को मनरेगा योजना से जुड़े 21 सहायक परियोजना अधिकारियों (एपीओ) की सेवा समाप्त करने के बाद यह कदम उठाया गया है। छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष टीकमचंद कौशिक ने कहा कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के कर्मचारी सेवा को नियमित करने और बेहतर वेतन सहित कई अन्य मांगों को लेकर अप्रैल महीने की शुरुआत से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
कौशिक ने बताया, शुक्रवार शाम को राज्य सरकार ने अचानक 21 एपीओ की सेवा समाप्त कर दी। राज्य सरकार के इस निर्णय के खिलाफ और हमारी मांगों के समर्थन में नौ हजार रोजगार सहायक सहित 12,731 कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया। योजना के तहत तकनीकी सहायक के रूप में काम करने वाले कौशिक ने कहा, सत्ताधारी दल कांग्रेस ने वर्ष 2018 के चुनावी घोषणा पत्र में संविदा कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करने का वादा किया था, लेकिन इस दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। हम सिर्फ अपने लिए नौकरी की सुरक्षा चाहते हैं क्योंकि हमने इस सेवा को अपने जीवन का एक बेहतर हिस्सा दिया है।
पिछले माह राज्य के जनसंपर्क विभाग ने एक विज्ञप्ति जारी कर बताया था कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मनरेगा के रोजगार सहायकों का मानदेय पांच हजार रूपए और छह हजार रूपए से बढ़ाकर 9,540 रूपए करने की घोषणा की है। विज्ञप्ति के मुताबिक मुख्यमंत्री ने रोजगार सहायकों की सेवा शर्तों से संबंधित मांगों पर कहा था कि इस संबंध में राज्य स्तर पर गठित समिति से प्रतिवेदन प्राप्त होने के बाद निर्णय लिया जाएगा।