छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान दुकानें बंद रहने पर जहरीली शराब एवं अन्य हानिकारक पदार्थों के सेवन के कारण लोगों की मौत देखने के बाद उनमें राज्य में मद्यनिषेध लागू करने का साहस नहीं है। उन्होंने शराब और अन्य प्रकार के व्यसन के विरुद्ध अभियान चलाने की जरूरत पर बल दिया। वह यहां प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय केंद्र में ‘नशामुक्त छत्तीसगढ़ अभियान’ की शुरुआत के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने इस अध्यात्म एवं ध्यान केंद्र के ‘नशामुक्त भारत अभियान’ की प्रशंसा करते हुए इसे समाज के निर्माण की दिशा में एक सराहनीय पहल बताया और लोगों से छत्तीसगढ़ को व्यसन मुक्त बनाने में सहभागिता सुनिश्चित करने की अपील की।
मुख्यमंत्री ने कहा, सामान्यत: बचपन या कम उम्र से ही व्यसन शुरू हो जाता है।
प्रारंभ में वे शौक के रूप में ‘सुट्टा’ के रूप में शुरुआत करते हैं और धीरे-धीरे वह व्यसन का रूप ले लेता है। जब तनाव बढ़ता है तब वे सिगरेट पीना शुरू कर देते हैं। यदि शाम के समय तनाव अधिक होता है तो मद्यपान शुरू हो जाता है। आखिरकार वे अस्पताल में पहुंच जाते हैं। व्यसन किसी भी रूप में अच्छा नहीं है। यह केवल नुकसान ही पहुंचाता है। यह हम सभी के लिए शारीरिक एवं मानसिक रूप से नुकसानदेह है। यह व्यक्ति, परिवार एवं समाज को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि बतौर मुख्यमंत्री वह तत्काल पूरे राज्य में मद्यनिषेध का आदेश दे सकते हैं लेकिन क्या इससे व्यसन की समस्या का हल हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 की रोकथाम के लिए देशभर में जब लॉकडाउन लगाया गया था तब शराब की दुकानें बंद थीं और उस समय उभरकर सामने आईं कई समस्याओं का उन्हें पता चला। उन्होंने कहा, सारी दुकानें बंद थीं, ढुलाई (परिवहन) बंद थी, परिवार घरों के अंदर थे लेकिन घरेलू हिंसा की शिकायतें सामने आने लगीं। लंबे समय तक लॉकडाउन लगे रहने के बाद भी यह देखा गया कि लोग नशे की चीजों का इंतजाम कर लेते थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब लोगों को कुछ नहीं मिलता था तब वे ‘सेनेटाइजर’ पी जाते थे और इसके कारण कई लोगों की जान चली गयी। कांग्रेस नेता बघेल ने कहा, लॉकडाउन के दौरान नकली एवं अन्य पदार्थों के सेवन से लोगों की मौत होते देख मुझमें मद्यनिषेध का आदेश देने का साहस नहीं है। मैं कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहता जो लोगों की जान पर भारी पड़े। उन्होंने कहा कि नशामुक्ति के लिए काम कर रहे संगठन इस दिशा में मददगार हो सकते हैं। उन्होंने कहा, हमें जनसमर्थन से इस सामाजिक बुराई का अंत करना है।