छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की उपस्थिति में रांची के मोरहाबादी मैदान में चल रहे दो दिवसीय झारखंड जनजातीय महोत्सव-2022 का आज रंगारंग समापन हो गया। दो दिनों तक चले इस समारोह में देश के विभिन्न हिस्सों से आए जनजातीय कलाकारों ने अपनी प्रतिभा और परफॉर्मेंस से आदिवासी कला- संस्कृति, परंपरा, लोक गीत-नृत्य और संगीत को देश- दुनिया के सामने पहचान दिलाने का काम किया। वही, देश और विदेश से आए मानव शास्त्री, जनजातीय विषय के विशेषज्ञ और शोधकर्ताओं ने आदिवासी दर्शन जीवन शैली और आज उनके सामने पैदा हो रही तरह-तरह की चुनौतियों पर विस्तार से मंथन किया। यह जनजातीय महोत्सव महोत्सव निश्चित तौर पर आदिवासियों की अस्मिता और पहचान को दुनिया के कोने कोने तक पहुंचाने में कामयाब होगा।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को कहा कि आज आदिवासी हैं, तभी जल जंगल और जमीन बचा है। लेकिन, इसे भी छीनने का प्रयास लगातार हो रहा है। किसी को यह चिंता नहीं है कि आदिवासी कैसे बचे। बस विकास की दौड़ में जल, जंगल और जमीन से छेड़छाड़ हो रहा है। यही वजह है कि आज ग्लोबल वार्मिंग की विकराल समस्या से हम घिरते जा रहे हैं। अगर सृष्टि बचाना है तो आदिवासी को बचाना होगा, तभी जल, जंगल और जमीन भी बचेगा।
मुख्यमंत्री के कहा कि आज का दिन हम यह संकल्प ले की जनजातीय समाज की पहचान और उनकी आवाज को दूर-दूर तक पहुंचाएं। हालांकि, इसमें कई चुनौतियां भी आएंगी। संघर्षों का भी सामना करना पड़ेगा। पर आदिवासी समुदाय कभी विचलित नहीं होता है। हम इस चुनौती से निपटने और संघर्षों से विजय होने में नश्चिति तौर पर कामयाब होंगे। हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड नदी, जंगलों और पहाड़ -पहाड़ियों से घिरा राज्य है। यहां की आदिवासी आबादी इन जंगलों, पहाड़ों और दुर्गम स्थलों पर रह रही हैं। इनके पास आज तक न तो कोई सरकारी अधिकारी पहुंचा और ना ही योजनाएं यहां लागू हो सकीं। लेकिन, हमारी सरकार ने “सरकार आपके द्वार” कार्यक्रम के माध्यम से इन दुर्गम और सुदूर इलाकों में रहने वालों के घर पर पहुंचकर उन्हें हक और अधिकार दिया। योजनाओं से जोड़ा और मान- सम्मान भी प्रदान करने का काम किया है।