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अच्छे समय में बाड़ी लगाएं, सब्जियों की अच्छी कीमत मिलेगी : सीएम बघेल

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छत्तीसगढ़ के कांकेर से 22 किलोमीटर दूर स्थित मरकाटोला की महिलाओं ने वर्मी कंपोस्ट बेचकर एक लाख 40 हजार रुपए का मुनाफा कमाया है। वहां के नवदुर्गा स्वसहायता समूह और आदर्श स्वसहायता समूह की पांच-पांच महिलाओं ने मिलकर गांव के गौठान में 486 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट बनाकर बेचा है। गौठान और गोधन न्याय योजना के माध्यम से हो रही इस कमाई के लिए नवदुर्गा स्वसहायता समूह की फागेश्वरी साहू ने रविवार को कांकेर विधानसभा क्षेत्र के कोदागांव में भेंट-मुलाकात में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपने समूह की ओर से धन्यवाद दिया।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की ओर से यह पूछे जाने पर कि वर्मी कंपोस्ट से हुई कमाई का उसने क्या किया, फागेश्वरी ने बताया कि इन पैसों से उसने अपनी बेटी के लिए बाली खरीदी है। इस पर मुख्यमंत्री ने खुशी जाहिर करते हुए उसे बधाई दी। फागेश्वरी ने आगे बताया कि वर्मी कंपोस्ट से हुई आमदनी में से दोनों समूहों की पांच-पांच महिलाओं ने 14-14 हजार रुपए आपस में बांटे हैं। फागेश्वरी ने मुख्यमंत्री को बताया कि उसके समूह ने अभी कुछ दिनों पहले गौठान की जमीन पर खट्टा भाजी, बरबट्टी, लौकी, करेला और भिंडी की खेती शुरू की है।

इस पर मुख्यमंत्री ने उन्हें प्रोत्साहित करते हुए कहा कि आप लोगों ने बहुत सही समय पर बाड़ी लगाई है। दूसरी बाड़ियों की सब्जियां जब बाजार में आना बंद हो जाएंगी तब आप लोगों की सब्जियां तैयार होंगी। इससे आप लोगों को इनका अच्छा दाम मिलेगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि स्वसहायता समूहों की महिलाएं वर्मी कंपोस्ट के साथ ही अलग-अलग तरह की गतिविधियों से अच्छी कमाई कर सकती हैं। उन्होंने फागेश्वरी और उसके समूह को सुझाव दिया कि वे दाल मिल, तेल मिल और सुगंधित धान से चावल निकालने की मशीन भी लगाएं। इससे उसके समूह की कमाई बढ़ेगी।

पीड़ित परिवारों की हर संभव मदद करेंगे: विष्णु मित्तल

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मुंडका अग्निकांड में परिवार का कमाऊ सदस्य खोने वाले परिवार को आओ साथ चलें संस्था के राष्ट्रीय संयोजक विष्णु मित्तल ने शनिवार को मदद की पहली किश्त के तौर पर पांच हजार रुपये का चेक सौंपा। इन परिवारों को अगले दो साल तक हर महीने यह धनराशि दी जाएगी। अग्निकांड से तबाह हुए परिवारों की मदद के लिए आओसाथचलें संस्था ने यह संवेदनशील पहल की है।

संस्था ने अग्निकांड के तुरंत बाद तय किया था कि जिन परिवारों का घर चलाने वाला कोई सदस्य जीवित नही बचा है उनको आर्थिक मदद दी जाए। संस्था की एक टीम ने पिछले दिनों पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर मदद का आश्वासन दिया था। मुंडका की भाग्य विहार कालोनी का दौरा कर ऐसे परिवारों से मुलाकात की थी। संस्था ऐसे पांच परिवारों को 2 साल तक आर्थिक मदद कर उन्हें फिर से संभालने में मदद करेगी। संस्था के राष्ट्रीय संयोजक व भाजपा दिल्ली के कोषाध्यक्ष विष्णु मित्तल ने कहा है कि हम हर तरह से पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हैं। उनकी मदद में कोई कसर नही छोड़ी जाएगी। हम निरंतर इन परिवारो के साथ खड़े है। अगले 2 साल तक हर महीने प्रत्येक परिवार के अकाउंट में 5 हजार की राशि जमा की जायेगी। ताकि इन परिवारों को दैनिक आवश्यकता की जरूरतों के लिए किसी अन्य की ओर न देखना पड़े।

छत्तीसगढ़ में पांच लाख की इनामी महिला नक्सली ने किया सरेंडर

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छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में पांच लाख रुपये की इनामी एक महिला नक्सली ने समर्पण कर दिया है। वह पुलिस पर किए गए हमले के कई मामलों में वांछित थी। एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि समर्पण करने के बाद महिला को उसकी बेटी के पास वापस घर भेज दिया गया। सोमली सोडी उर्फ वनिता (32) प्रतिबंधित संगठन के साथ 2003 से काम कर रही थी और वह 2018 से उसकी ‘नगरम’ स्थानीय इकाई की कमांडर थी। बीजापुर पुलिस अधीक्षक आंजनेय वार्ष्णेय ने कहा, “वनिता ने अपनी बेटी और परिवार के लिए शनिवार को पुलिस के समक्ष समर्पण कर दिया।

अधिकारी के मुताबिक, पुलिस को दिए बयान में बीजापुर निवासी वनिता ने खोखली नक्सली विचारधारा, अविवेकपूर्ण व्यवहार, उत्पीड़न और परिवार के प्रति प्रेम को नक्सल आंदोलन छोड़ने की वजह बताया। वनिता नक्सलियों के उस दल की सदस्य थी, जिसने 2004 में आवापल्ली-इलमीडीह सड़क विकास परियोजना को सुरक्षा देने वाले पुलिसकर्मियों पर हमला किया था। अधिकारी के अनुसार, वह 2006 में आईईडी धमाके, 2007 में सुरक्षाबलों पर किए गए हमले और कई अन्य वारदातों में भी शामिल थी। पुलिस ने बताया कि शनिवार को वनिता द्वारा समर्पण करने के बाद उसे राज्य सरकार की समर्पण और पुनर्वास नीति के तहत 10 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी गई।

छत्तीसगढ़ में स्मृति ईरानी का गांधी परिवार पर हमला, पूछा-ईंधन की कीमतों में कमी क्यों नहीं कर रहे कांग्रेस शासित राज्य

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केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने सवाल किया कि केंद्र सरकार द्वारा ईंधन की कीमतों में कमी कर लोगों को राहत देने के बाद कांग्रेस शासित राज्य पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में कमी क्यों नहीं कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान ईरानी ने गांधी परिवार पर भी हमला बोला और दावा किया कि परिवार ने अमेठी के विकास के लिए कुछ नहीं किया, जबकि यह क्षेत्र 50 वर्षों से उनका गढ़ रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल की दरों में नौ रुपए और सात की कमी की और लोगों को राहत सुनिश्चित करने के लिए एक लाख करोड़ रुपए का बोझ वहन किया। उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को प्रति सिलेंडर दो सौ रुपए की छूट दी गई। मुफ्त (कोविड रोधी) टीके, मुफ्त राशन और इसी तरह के कई मानवीय कदम राष्ट्र के हित में उठाए गए। कांग्रेस शासित राज्य क्यों (ईंधन की) कीमतें कम नहीं कर रहे हैं।

अमेठी पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में ईरानी ने गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए कहा, 50 साल तक अमेठी में एक खानदान की मिल्कियत रही है। इसका परिणाम यह है कि वर्ष 2014 से पहले वहां के 80 प्रतिशत घरों में बिजली और शौचालय नहीं थे। यहां तक ​​कि कलेक्ट्रेट कार्यालय भी नहीं था। ईरानी ने कहा, राहुल गांधी विश्व का भ्रमण करते हैं और अमेठी में पहला पासपोर्ट कार्यालय प्रधानमंत्री मोदी और तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स्थापित किया। अमेठी जो कभी गांधी परिवार का गढ़ था, वहां हाल के चुनावों में पांच विधानसभा सीट में से चार पर कांग्रेस के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। ईरानी ने शनिवार को अपने एक दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान रायपुर में एक बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा की तथा आंगनबाड़ी केंद्र का दौरा किया। ईरानी ने बाद में भाजपा प्रदेश कार्यालय में महिला मोर्चा के सम्मेलन को संबोधित भी किया।

छत्तीसगढ़ में मनरेगा के 12 हजार से अधिक संविदा कर्मचारियों ने दिया सामूहिक इस्तीफा, जानें वजह

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छत्तीसगढ़ में नियमित किए जाने समेत अन्य मांगों को लेकर पिछले दो महीने से हड़ताल कर रहे मनरेगा योजना के 12 हजार से अधिक संविदा कर्मचारियों ने शनिवार को सामूहिक इस्तीफा दे दिया। कर्मचारियों ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा शुक्रवार को मनरेगा योजना से जुड़े 21 सहायक परियोजना अधिकारियों (एपीओ) की सेवा समाप्त करने के बाद यह कदम उठाया गया है। छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष टीकमचंद कौशिक ने कहा कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के कर्मचारी सेवा को नियमित करने और बेहतर वेतन सहित कई अन्य मांगों को लेकर अप्रैल महीने की शुरुआत से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

कौशिक ने बताया, शुक्रवार शाम को राज्य सरकार ने अचानक 21 एपीओ की सेवा समाप्त कर दी। राज्य सरकार के इस निर्णय के खिलाफ और हमारी मांगों के समर्थन में नौ हजार रोजगार सहायक सहित 12,731 कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया। योजना के तहत तकनीकी सहायक के रूप में काम करने वाले कौशिक ने कहा, सत्ताधारी दल कांग्रेस ने वर्ष 2018 के चुनावी घोषणा पत्र में संविदा कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करने का वादा किया था, लेकिन इस दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। हम सिर्फ अपने लिए नौकरी की सुरक्षा चाहते हैं क्योंकि हमने इस सेवा को अपने जीवन का एक बेहतर हिस्सा दिया है।

पिछले माह राज्य के जनसंपर्क विभाग ने एक विज्ञप्ति जारी कर बताया था कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मनरेगा के रोजगार सहायकों का मानदेय पांच हजार रूपए और छह हजार रूपए से बढ़ाकर 9,540 रूपए करने की घोषणा की है। विज्ञप्ति के मुताबिक मुख्यमंत्री ने रोजगार सहायकों की सेवा शर्तों से संबंधित मांगों पर कहा था कि इस संबंध में राज्य स्तर पर गठित समिति से प्रतिवेदन प्राप्त होने के बाद निर्णय लिया जाएगा।

ऐसा हुआ कि सीएम बघेल ने कलेक्टर से कहा, नोट करो इनका नाम, इन्हें अगली किस्त का पैसा मत देना

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भेंट मुलाकात कार्यक्रम में अलग-अलग अंदाज में दिख रहे हैं। योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही पर उनका सख्त लहजा रहता है तो वहीं नागरिकों से बातचीत में मजाकिया अंदाज में बात करते दिख रहे हैं। पखांजूर में आयोजित भेंट मुलाकात कार्यक्रम में जब एक हितग्राही श्री सुशील मंडल ने मुख्यमंत्री को बताया कि उसका 1 लाख का कर्ज माफ हुआ है, राजीव गांधी किसान न्याय योजना की क़िस्त भी मिल गयी है।

इतना सुनते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूछा इतना सब मिल गया हमारी बहू को क्या दिलाये हो। श्री सुशील मंडल ने जैसे ही बताया अब तक तो कुछ नही दिला पाया। इस पर मुख्यमंत्री ने अपने नजदीक बैठे कलेक्टर से मजाकिया अंदाज में कहा, कलेक्टर साहब जब तक ये हमारी बहू को कुछ उपहार ना दिलाये इसे अगली क़िस्त मत जारी करियेगा। मुख्यमंत्री का इतना ही कहना था कि भेंट मुलाकात में बैठे तमाम लोग ठहाके लगाकर हंस पड़े। मुख्यमंत्री के इस मजाकिया अंदाज के आज सभी लोग कायल हो गए।

दसवीं की परीक्षा में पूरे प्रदेश में प्रथम आने वाली सोनाली बाला को सीएम भूपेश बघेल ने दिया लैपटॉप

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने भेंट मुलाक़ात कार्यक्रम के तहत पखाँज़ुर में राज्य स्तर में कक्षा दसवीं में 98.67 प्रतिशत के साथ प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली सोनाली बाला को लैपटॉप देकर सम्मानित किया। सोनाली शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गोंडाहूर की छात्रा है। इसके अलावा राज्य स्तर पर 98.18 प्रतिशत के साथ द्वितीय स्थान आदर्श विद्यानिकेतन पीव्ही 46 के छात्र कमलेश सरकार, पाँचवा स्थान लाइफ़ एकेडमी पंखाजुर के प्रेम विश्वास, छठवा स्थान शासकीय हाई स्कूल विद्यालय गोड़ाहूर की कंकना धरामी, सातवाँ स्थान आदर्श विद्यानिकेतन पीव्ही 46 की हेमा दत्ता और दसवाँ स्थान शासकीय हाईस्कूल अम्बेडकर नगर पीव्ही 32 की छात्रा नूपुर विश्वास ने प्राप्त किया है। मुख्यमंत्री बघेल ने इन विद्यार्थियों को बधाई और शुभकामनाएँ देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीर्वाद दिया।

लीमदरहा मिडवे रिसार्ट फुर्सत के क्षण बिताने टूरिस्टों के लिए होगा अहम मुकाम, सीएम बघेल ने किया लोकार्पण

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रायपुर से बस्तर की ओर जाने वाले बेहद व्यस्त नेशनल हाईवे में अब तक कोई ऐसा अच्छा फूड जोन नहीं था, जहां टूरिस्ट थकान दूर कर सकें और हाइजिनिक फूड का सेवन कर तथा चारों ओर फैली प्राकृतिक सुंदरता के वातावरण में कुछ समय बिताकर आगे बढ़ सकें। खाल्हेमुरवेंड में बने लीमदरहा मिडवे रिसार्ट ने यह कमी पूरी कर दी है। यह प्रदेश का पहला सर्व सुविधायुक्त मिडवे रिसार्ट होगा, जहां राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के व्यंजन उपलब्ध होंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 7 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित अपनी तरह के अनूठे रिसॉर्ट का आज लोकार्पण किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री के साथ कोण्डागांव विधायक श्री मोहन मरकाम, केशकाल विधायक श्री संतराम नेताम, अंतागढ़ विधायक श्री अनूप नाग, नारायणपुर विधायक श्री चंदन कश्यप, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री राजेश तिवारी सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। इस मौके पर यहां घूमने आए पर्यटकों ने मुख्यमंत्री के साथ सेल्फी खिंचाने का आग्रह किया तथा सुझाव दिया कि यहां पर गेम जोन भी होता तो बच्चों को घूमने में और भी मजा आता। पर्यटकों के सुझाव पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जल्द ही यहां गेम जोन विकसित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने ई-रिक्शा में बैठकर लीमदरहा रिसोर्ट का निरीक्षण किया।

जिला प्रशासन कोंडागांव द्वारा बनवाया गया यह रिसार्ट यात्रियों को स्वादिष्ट फूड चेन के साथ ही हाइजिनिक टायलेट युक्त सुंदर काटेज भी रिफ्रेशमेंट के लिए उपलब्ध होगा। इसके साथ ही यहां स्थानीय लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार भी दिलाया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि इस एनएच से हर दिन 200 बसें और हजारों कारें गुजरती हैं। खाल्हेमुरवेंट रायपुर से 160 किमी और जगदलपुर से 140 किमी है। इस तरह दोनों ओर से आने वाले यात्रियों के लिए सही समय पर सुस्ताने का शानदार मौका उपलब्ध कराएगा। इसके साथ ही बेरोजगार लोगों को रोजगार के बड़े पैमाने पर मौके भी उपलब्ध होगा।

लीमदरहा मिडवे रिसार्ट 25 एकड़ में फैला है और इसके बगल से लीमदरहा नाला गुजरता है। वैसे तो इस नाले का पानी गर्मी में सूख जाता था लेकिन राज्य सरकार के नरवा प्रोजेक्ट की वजह से अब इसमें साल भर पानी रहता है। यह रिसार्ट तीन भागों में बटा है। पहला फूड जोन जिसमें 10 शाप हैं जो कई तरह के फूड आप्शन लोगों को उपलब्ध होंगेे। दूसरा डाइनिंग रेस्टोरेंट जहां नाले का सुंदर व्यू मिलेगा और काटेज की सुविधा उपलब्ध होगी। तीसरे भाग में चार शाप आवंटित किये गये हैं जिसमें सी-मार्ट, शबरी जैसे शाप होंगे जहां दैनंदिनी से जुड़े सामान मिलेंगे। रिसार्ट के सभी कर्मचारी स्थानीय हैं। इनमें पहले साल में 50 युवा भर्ती होंगे। दूसरे साल 100 और तीसरे साल 150 और चौथे साल तक कर्मचारियों की संख्या 200 हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि टूरिस्ट हाटस्पाट के रूप में बस्तर तेजी से विकसित हो रहा है। केशकाल घाट बस्तर का प्रवेश द्वार है। लीमदरहा मिडवे रिसार्ट केशकाल घाट से लगा है। इसके 40 काटेज एक दो साल में बन जाएंगे और पर्यटकों को रूकने की सुविधा भी मिल पाएगी। अगले छह महीनों में पर्यटकों को कन्वेंशन हाल की सुविधा भी मिल पाएगी।

लीमदरहा का प्रबंधन पीपीपी माडल पर होगा। प्रापर्टी को चलाने तथा इसका प्रबंधन करने का जिम्मा ग्रैंड इम्पीरिया का होगा। यह रायपुर की एक होटल चेन है जिसने नीलामी में हिस्सा लेकर यह अधिकार हासिल किये। साल भर का रेंट 10 लाख 51 हजार रुपए होगा जो निजी प्रबंधन जिला प्रशासन को देगा। इस राशि का उपयोग स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में होगा। लीमदरहा मिडवे रिसार्ट की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यहां के प्रसाधन और फूड जोन के लिए टूरिस्ट का प्रवेश हमेशा निःशुल्क रहेगा।

भूमिहीन मजदूर परिवारों का सहारा बन रही राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना

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गरीब भूमिहीन परिवारों को सीधे आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना लगभग 3 लाख 55 हजार परिवारों का सहारा बन रही है। ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों के अंतर्गत चरवाहा, बढ़ई, लोहार, मोची, नाई, धोबी और पुरोहित जैसे पौनी-पसारी व्यवस्था से जुड़े परिवार, वनोपज संग्राहक तथा समय-समय पर अन्य वर्ग भी योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों केे कृषि भूमिहीन मजदूर परिवारों को छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से प्रति वर्ष 7 हजार रूपए की आर्थिक मदद दी जा रही है। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के नाम से शुरू इस नई अभिनव योजना का शुभारंभ सांसद राहुल गांधी ने 3 फरवरी 2022 को रायपुर में किया था। वित्तीय वर्ष 2022-23 में इस योजना के अंतर्गत 21 मई को 71 करोड़ 8 लाख 4 हजार रूपए की राशि जारी की गई है।

छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने भूमिहीन कृषि मजदूरों के लिए ऐसी योजना लागू की है। इस तरह की योजना देश के अन्य राज्यों में कहीं नहीं है। कोरोना संक्रमण काल में कई लोगों का रोजी-रोजगार के प्रभावित हुआ, जिसके कारण कमजोर तबके के लोगों ने सरकार से सीधी मदद देने की बात कही । छत्तीसगढ़ राज्य में आम जनता की मांग और समाज में आर्थिक रूप से कमजोर ऐसे परिवारों की सीधी मदद के उद्देश्य से यह योजना शुरू की, जिनका जीवन-यापन खेतिहर मजदूर के रूप में होने वाली आय पर निर्भर है। छत्तीसगढ़ राज्य में राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के अंतर्गत लगभग 3 लाख 55 हजार 354 ऐसे परिवार पंजीकृत हुए हैं, जिनके पास कृषि भूमि नहीं है और वह मजदूरी कर जीवन-यापन करते हैं।

राज्य की आबादी में लगभग 70 फीसदी आबादी का जीवन-यापन खेती है। खेती के काम में बड़ी संख्या में भूमिहीन श्रमिक जुड़े हैं। इनमें से कई ऐसे कृषि मजदूर हैं जिनके पास स्वयं की कृषि भूमि नहीं है और वे दूसरों के यहां खेती-मजदूरी कर जीवन-यापन करते हैं। ऐसे सभी वर्गों को राजीव गांधी ग्रामीण कृषि मजदूर न्याय योजना के माध्यम से सहायता दी जा रही है।

पहले केंचुओं को देखकर डर लगता था, लेकिन अब तो ये मेरे घर के सदस्य, केंचुए की खेती पर बोलीं महिलाएं

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मिट्टी को उर्वरा बनाने वाले केंचुए किसानों के मित्र कहलाते हैं, लेकिन क्या मिट्टी में लिपटे रहने वाले केंचुए महिलाओं के मितान हो सकते हैं…क्या यही केंचुए महिलाओं के लिए आय के साधन बन सकते हैं… सुनने में तो अजीब लगता है लेकिन ऐसा हो रहा है और ये संभव कर दिखाया है कांकेर के गीतपहर ग्राम पंचायत में रहने वाली महिलाओं ने। गीतपहर की महिलाओं को न तो केंचुओं से डर लगता है न ही वो इन्हें देखकर दूर भागती हैं, बल्कि केंचुओं को ही अपना मितान बनाकर महिलाओं ने अपने लिए समृद्धि का द्वार खोल लिया है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सुराजी गांव योजना के अंतर्गत गीतपहर की रहने वाली उर्वशी जैन ने लगभग डेढ़ साल पहले गौठान के माध्यम से केंचुआ पालन का काम शुरू किया था और आज सरस्वती महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से उर्वशी अब तक 1 लाख 37 हजार रूपए के 7 क्विंटल केंचुए बेच चुकी हैं और अभी भी इनके पास नए गौठानों और किसानों की आपूर्ति के लिए पर्याप्त केंचुए हैं, इसके साथ ही वर्मी कंपोस्ट बेचकर 1 लाख 39 हजार रूपए का लाभ कमा चुकी हैं।

ये कहानी सिर्फ उर्वशी की ही नही है बल्कि जेपरा ग्राम की रहने वाली संगीता पटेल भी डेढ़ वर्षों में 90 हजार रूपए के 5 क्विंटल केंचुए बेच चुकी हैं और इन्हीं केंचुओं की मदद से 40 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट बेचकर 2 लाख रूपए का लाभ कमाया है। उर्वशी और संगीता को शुरूआत में कृषि विभाग ने केंचुए उपलब्ध कराए थे, लेकिन इन दोनों ने केंचुओं की इनकी संख्या बढ़ने के लिए बेहतर वातावरण तैयार किया और अब निजी व्यापारियों के अलावा खुद कृषि विभाग भी इन केंचुओं को इनसे खरीद रहा है। उर्वशी और संगीता कहती हैं कि पहले केंचुओं को देखकर डर लगता था, लेकिन अब तो ये घर के सदस्य हैं क्योंकि इनसे ही हमें आर्थिक रूप से मजबूती मिल रही है।