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छत्तीसगढ़ के कोरबा मे जंगली हाथी का उत्पात, हमले में ग्रामीण की मौत

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छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में शुक्रवार को एक हाथी के हमले में 35 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई। यह हाथी अपने झुंड से बिछड़ गया है और 48 घंटे में इसके हमले की अलग अलग घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो चुकी है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। कोरबा वन मंडल की वनमंडल अधिकारी प्रेमलता यादव ने बताया कि आज तड़के बालको वन परिक्षेत्र अंतर्गत गौरबोरा गांव में जंगली हाथी के हमले में महेंद्र सिंह (35) की मृत्यु हो गई।

यादव ने बताया कि महेंद्र सिंह और उसके पिता आज तड़के अपने घर के बरामदे में अलाव के पास बैठे थे, तभी उसके पिता को बाड़ी की ओर से कुछ आहट सुनाई दी, तब वह बाड़ी की ओर देखने गए तो वहां एक हाथी बाड़ी में रखे धान को खा रहा था। यादव ने बताया कि हाथी ने महेंद्र के पिता को देखकर उन्हें दौड़ाया और बरामदे में घुसकर वहां बैठे महेंद्र सिंह को कुचलकर मार डाला। अधिकारी ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के बाद वन विभाग के दल को घटनास्थल लिए रवाना किया गया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।

उन्होंने बताया कि मृतक की पत्नी को अग्रिम 25 हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान की गई है, शेष 5.75 लाख रुपये नियमानुसार सभी औपचारिकताएं पूर्ण होने के बाद दे दी जाएगी। अधिकारी ने बताया कि झुंड से बिछड़े इस हाथी के बीते 48 घंटे में अलग-अलग इलाकों में किये गए हमले में तीन लोगों की मौत हो गई है। इससे पहले इस हाथी ने बुधवार 17 दिसंबर को चैतमा वन परिक्षेत्र के नीमपानी गांव निवासी 60 वर्षीय फुलसुंदरी को कुचलकर मार डाला था। वहीं बृहस्पतिवार को उसने बिंझरा गांव में महिला मीना पर हमला कर दिया था, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

बीएसएफ जवान ने खुद की सर्विस राइफल से गोली मारकर की आत्महत्या

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Shadow of man with pistol gun turned on his head wants to commit suicide. light and shadow

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र से एक दुखद और गंभीर घटना सामने आई है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक जवान ने होरादी कैंप में आत्महत्या कर ली। मृतक जवान की पहचान कांस्टेबल सचिन कुमार के रूप में हुई है, जो उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के सिंगोली गांव के निवासी थे। जवान ने अपनी सर्विस राइफल से खुद को गोली मारकर जीवन लीला समाप्त कर ली। पुलिस अधीक्षक कार्यालय से गुरुवार को मिली जानकारी के अनुसार, यह घटना होरादी कैंप परिसर में घटित हुई। गोली चलने की आवाज सुनते ही कैंप में तैनात अन्य जवान मौके पर पहुंचे, जहां सचिन कुमार को गंभीर अवस्था में पाया गया। तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी गई लेकिन तब तक उनकी मृत्यु हो चुकी थी।

घटना के बाद पूरे कैंप में शोक और स्तब्धता का माहौल है। नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक रॉबिंसन गुड़िया ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि बीएसएफ जवान द्वारा आत्महत्या किए जाने की सूचना प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जाएगा। प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल पाया है। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और संबंधित बल के अधिकारी मौके पर पहुंचे। आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं।

शव को पोस्टमार्टम की प्रक्रिया के लिए भेजे जाने की तैयारी की जा रही है, वहीं जवान के परिजनों को भी घटना की सूचना दे दी गई है। सूत्रों के अनुसार, आत्महत्या के पीछे के कारणों की पड़ताल की जा रही है, जिसमें मानसिक दबाव, ड्यूटी से जुड़ा तनाव अथवा अन्य व्यक्तिगत कारणों की जांच शामिल है। प्रशासन और बीएसएफ की ओर से कहा गया है कि जांच पूरी होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

छत्तीसगढ़ के सुकमा में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच मुठभेड़, तीन माओवादी ढेर

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छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में बृहस्पतिवार को सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच मुठभेड़ में एक महिला माओवादी समेत तीन माओवादी मारे गए। पुलिस अधिकारियों ने यह जानकारी दी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिले के गोलापल्ली थाना क्षेत्र के जंगल और पहाड़ी में माओवादियों की मौजूदगी की जानकारी के आधार पर सुकमा जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के दल को माओवादी विरोधी अभियान में रवाना किया गया था।

उन्होंने बताया कि आज सुबह से सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच रुक-रुक कर गोलीबारी जारी है और इस मुठभेड़ में अभी तक एक महिला माओवादी समेत तीन माओवादियों के मारे जाने की सूचना है। उन्होंने बताया कि अभियान पूरा होने के बाद इस संबंध में अधिक जानकारी दी जाएगी। इस कार्रवाई के साथ, इस साल अब तक छत्तीसगढ़ में मुठभेड़ में 284 नक्सली मारे जा चुके हैं। इनमें से 255 बस्तर क्षेत्र में मारे गए, जिसमें बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा सहित सात जिले शामिल हैं। वहीं 27 अन्य रायपुर क्षेत्र के अंतर्गत गरियाबंद जिले में मारे गए। राज्य के दुर्ग क्षेत्र के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में दो नक्सली मारे गए हैं।

जांच एजेंसियों के ‘दुरुपयोग’ को लेकर छत्तीसगढ़ विधानसभा में हंगामा, कांग्रेस विधायक निलंबित

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छत्तीसगढ़ में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने बुधवार को विधानसभा में आरोप लगाया कि विपक्ष को दबाने के लिए केंद्र और राज्य की जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है और इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए। अध्यक्ष द्वारा मांग खारिज किए जाने के बाद, कांग्रेस विधायक सदन में आसन के करीब पहुंच गए, जिसके कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया। शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि ‘विपक्ष का गला घोंटने’ के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि गवाहों के बयान कानून के अनुसार अदालत में दर्ज किए जाने चाहिए थे, लेकिन राज्य की आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) ने अपने कार्यालय में इन्हें तैयार किया और बाद में जांच के दौरान असली दस्तावेज के रूप में पेश किया।

बघेल ने कहा, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यहां तक कि गवाहों को भी डराया जा रहा है।’ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा अपने बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए उन्होंने दावा किया कांग्रेस विधायकों ने तमनार (रायगढ़ जिला) में (कोयला खदान के लिए) पेड़ों की कटाई का विरोध किया, जिसकी वजह से चैतन्य को गिरफ्तार किया गया। बघेल ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ ईडी की कार्रवाई का भी हवाला दिया और इसे विपक्ष को दबाने का प्रयास बताया। भाजपा के वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर ने आपत्ति जताते हुए कहा कि केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई पर राज्य विधानसभा में चर्चा नहीं की जा सकती। अध्यक्ष रमन सिंह ने कहा कि उन्होंने पहले ही अपने कक्ष में स्थगन प्रस्ताव नोटिस खारिज कर दिया था। बघेल ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है, और जब विपक्ष को डराया जा रहा है तो इसे कैसे बचाया जा सकता है। उन्होंने सत्ता पक्ष को इस मुद्दे पर चर्चा की चुनौती दी और विधानसभा अध्यक्ष से अनुमति मांगी। मांग नहीं माने जाने पर कांग्रेस सदस्यों ने “सत्यमेव जयते” के नारे लगाए और आरोप लगाया कि जांच एजेंसियों के माध्यम से पार्टी को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके बाद भाजपा सदस्यों ने “वंदे मातरम” के नारे लगाकर जवाब दिया।

नारेबाजी के बीच, कांग्रेस सदस्य सदन में आसन के करीब पहुंच गए और विधानसभा नियमों के अनुसार स्वतः निलंबित हो गए। अध्यक्ष ने 34 कांग्रेस विधायकों के निलंबन की घोषणा की, जिसके बाद वे बाहर चले गए। कुछ मिनट बाद उनका निलंबन रद्द कर दिया गया। इससे पहले, प्रश्नकाल पूरी तरह से बाधित रहा। कांग्रेस सदस्य अपने कपड़ों पर ‘सत्यमेव जयते’ लिखे पोस्टर लगाकर सदन में आए और सरकार पर जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने पूछा कि कांग्रेस सदस्य किस नियम के तहत अपने कपड़ों पर पोस्टर लगाकर सदन में आए हैं। विधानसभा अध्यक्ष सिंह ने कहा कि सदन के अंदर पोस्टर और बैनर का इस्तेमाल करना सही नहीं है और यह संसदीय नियमों के खिलाफ है। उन्होंने कांग्रेस सदस्यों से इसे हटाने और फिर कार्यवाही में शामिल होने को कहा। हालांकि, कांग्रेस सदस्य सदन के अंदर ही रहे, जिससे हंगामा हुआ। इसके बाद अध्यक्ष को सदन को पांच मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा। इसके बाद, कार्यवाही फिर से दो बार स्थगित की गई क्योंकि कांग्रेस सदस्यों ने पोस्टर हटाने के अध्यक्ष के बार-बार दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया। केंद्र और राज्य की जांच एजेंसियां राज्य में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान कथित तौर पर हुए शराब, कोयला, छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग भर्ती, चावल मिलिंग, जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) और अन्य घोटालों की जांच कर रही हैं।

छत्तीसगढ़ के कोरबा में हाथी के हमले में महिला की मौत

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छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में जंगली हाथी के हमले में एक ग्रामीण महिला की मौत हो गई। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जिले के कटघोरा वन मंडल के अंतर्गत चैतमा क्षेत्र के नामपानी में मंगलवार देर रात हुई इस घटना में फूलसुंदरी मंझावार (60) की मौत हो गई। अधिकारियों ने बताया कि नामपानी की निवासी फूलसुंदरी और उसका पति घर के बाहर बरामदे में सो रहे थे तभी रात तीन बजे अचानक एक जंगली हाथी वहां पहुंच गया। उन्होंने बताया कि हाथी की चिंघाड़ सुनकर महिला जागी और भागने लगी जबकि उसका पति खाट के नीचे छिप गया। उन्होंने बताया कि महिला को भागते देख हाथी ने उसपर हमला कर दिया और उसे कुचलकर उसे मार डाला।

अधिकारियों ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के बाद वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी घटनास्थल पहुंचे और हाथी को वहां से खदेड़ा गया। कटघोरा वन मंडल के अधिकारी कुमार निशांत ने बताया कि मृत महिला के परिजन को 25 हजार रुपए तत्काल सहायता राशि दी गई है। कुमार ने बताया कि वन्यजीव के हमले में किसी की मौत होने पर सरकार की ओर से छह लाख रुपए मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है, लिहाजा शेष पांच लाख 75 हजार रुपए सभी औपचारिकता पूरी होने के बाद दिए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि यह जंगली हाथी बिलासपुर वन मंडल के सीपत क्षेत्र से कटघोरा वन मंडल पहुंचा है तथा पिछले चार दिन से चैतमा क्षेत्र के जंगल में घूम रहा है। उन्होंने कहा कि इस हाथी का व्यवहार काफी आक्रामक है, जिसे देखते हुए वन विभाग लगातार निगरानी कर रहा है। उन्होंने कहा कि गांवों में ग्रामीणों को सतर्क किया जा रहा है। अधिकारी ने बताया कि एक अप्रैल 2021 से 17 दिसंबर 2025 तक कटघोरा वन मंडल में वन्य जीवों के हमले से 22 लोगों की जान गई है। फिलहाल क्षेत्र में लगभग 55 हाथी विचरण कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने आदिवासी क्षेत्रों में खनन के लिए बड़े पैमाने पर वनों की कटाई का आरोप लगाया

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छत्तीसगढ़ विधानसभा में मंगलवार को मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों ने आरोप लगाया कि राज्य में, खासकर आदिवासी-बहुल सरगुजा और बस्तर संभागों में बड़े पैमाने पर जंगल काटे जा रहे हैं, जिससे आदिवासी और वन्यजीव बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। विपक्ष ने इस विषय पर कार्य स्थगन प्रस्ताव के जरिए चर्चा कराने की मांग की और जब विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने इसे अस्वीकार कर दिया तब कांग्रेसी विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया और सदन के बीचो बीच पहुंच गए जिसके कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया। सदन में आज शून्यकाल के दौरान विपक्ष के नेता चरण दास महंत, विधायक उमेश पटेल और कांग्रेस के अन्य सदस्यों ने इस मुद्दे पर कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस पेश किया और दावा किया कि सरगुजा, हसदेव अरण्य कोयला क्षेत्र, तमनार और बस्तर जैसे क्षेत्रों में बड़े विरोध प्रदर्शन हुए और सड़कें जाम की गईं। उन्होंने आरोप लगाया कि कोयला खदानों को मंजूरी फर्जी जनसुनवाई के आधार पर दी गई है।

कांग्रेस विधायकों ने सवाल उठाया कि क्या विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली सरकार छत्तीसगढ़ और इसके लोगों के कल्याण के लिए काम कर रही है या वनों और आजीविका की कीमत पर उद्योगपतियों और पूंजीपतियों के फायदे के लिए। विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने सदन में उनके स्थगन प्रस्ताव नोटिस को पढ़कर सुनाया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र में वनों की कटाई हो रही है, जहां कथित तौर पर वन और राजस्व भूमि पर पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई की जा रही है। उन्होंने दावा किया कि 61 ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने रायगढ़ कलेक्टर से संपर्क कर कोयला खदानों को मंजूरी देने के लिए फर्जी जनसुनवाई आयोजित करके फर्जी ग्राम सभा बनाने के कथित कृत्यों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। विपक्ष ने आरोप लगाया कि हसदेव अरण्य में वनों की कटाई से पहले ही लाखों पेड़ों का नुकसान हो चुका है, जिससे जैव विविधता, जल संसाधन और हाथी गलियारे खतरे में पड़ गए हैं, और इससे मानव-हाथी संघर्ष व पानी की कमी बढ़ सकती है। हसदेव अरण्य को अक्सर “छत्तीसगढ़ का फेफड़ा” कहा जाता है। कांग्रेस ने कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर के आरीडोंगरी क्षेत्र में भी पेड़ काटने के संबंध में इसी तरह के आरोप लगाए। इन आरोपों का जवाब देते हुए, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि विष्णु देव साय सरकार वनों, वन्यजीवों, आदिवासियों और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील है और उनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने देहरादून स्थित भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) का हवाला देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्र में 94.75 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है, जबकि ‘वनों के बाहर पेड़ों’ के क्षेत्र में 702 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है, जो देश में सबसे अधिक है। कश्यप ने दावा किया कि पिछले दो वर्षों में, वन (संरक्षण) अधिनियम के तहत नियमों के अनुसार और केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद, 1,300.8 हेक्टेयर वन भूमि को खनन कार्य के लिए उपयोग करने की अनुमति दी गई। उन्होंने फर्जी जनसुनवाई, विरोध प्रदर्शन और लाठीचार्ज के दावों को खारिज कर दिया। कश्यप ने कहा कि वन भूमि के उपयोग के सभी मामलों में क्षतिपूरक वनीकरण किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जीवों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए प्रत्येक खनन परियोजना के लिए अलग से वन्यजीव संरक्षण योजनाएं तैयार की गईं। तमनार में बड़े पैमाने पर वृक्षों की अवैध कटाई के आरोपों का खंडन करते हुए मंत्री ने कहा कि मानदंडों के अनुसार केवल दो (कोयला खदान) परियोजनाओं के लिए 6,650 पेड़ काटे गए थे और ग्राम सभा की बैठकें नियमों के अनुसार आयोजित की गईं थीं। मंत्री ने कहा, ”यह कहना सही नहीं है कि सरकार की कार्रवाई वन अधिकार अधिनियम (एफआरए), जनसुनवाई मानदंडों या राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेशों का उल्लंघन करती है।

वन भूमि उपयोग की प्रक्रिया कलेक्टर से वन अधिकार अधिनियम की अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद ही पूरी की गई थी, और पेड़ काटने की अनुमति नियमों का कड़ाई से पालन करते हुए दी गई थी।” मंत्री ने भानुप्रतापपुर के आरीडोंगरी में अंधाधुंध पेड़ कटाई के आरोपों को भी खारिज कर दिया और कहा कि 2008 और 2015 में वन संरक्षण अधिनियम के तहत गोदावरी पावर एंड इस्पात के पक्ष में 138.960 हेक्टेयर वन भूमि के उपयोग को मंजूरी मिलने के बाद, अधिनियम के प्रावधानों और स्वीकृत खनन योजना के अनुसार, आवेदक कंपनी से प्राप्त आवेदन के आधार पर 28,922 पेड़ काटे गए। मंत्री के जवाब के बाद, अध्यक्ष ने कार्य स्थगन प्रस्ताव नोटिस को अस्वीकार कर दिया, जिसके बाद कांग्रेस सदस्यों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद, वे सदन के बीचो-बीच आ गए, जिसके बाद अध्यक्ष ने कांग्रेस के 30 सदस्यों के निलंबन की घोषणा की। हालांकि, कुछ समय के बाद, अध्यक्ष द्वारा उनका निलंबन रद्द कर दिया गया।

छत्तीसगढ़ में 34 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

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छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में मंगलवार को 34 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिनमें से 26 पर सामूहिक रूप से 84 लाख रुपये का इनाम था। बीजापुर जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) जितेंद्र यादव ने बताया कि सात महिलाओं सहित 34 नक्सलियों ने यहां वरिष्ठ पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया। उन्होंने बताया कि यह नक्सली माओवादियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी, तेलंगाना राज्य कमेटी और आंध्र ओडिशा सीमा डिवीजन में सक्रिय थे। अधिकारी ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले प्रमुख नक्सलियों में पांड्रू पुनेम (45), रुकनी हेमला (25), देवा उइका (22), रामलाल पोयम (27) और मोटू पुनेम (21) शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक पर आठ लाख रुपये का इनाम है।

उन्होंने बताया कि पुनर्वास नीति के तहत, आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली अन्य सुविधाओं जैसे कौशल विकास प्रशिक्षण और अन्य सुविधाओं के साथ-साथ 50 हजार रुपये की तत्काल सहायता प्रदान की जाएगी। राज्य सरकार की पुनर्वास नीति माओवादियों को हिंसा छोड़ने के लिए आकर्षित कर रही है। यादव ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वालों नक्सलियों के परिवार भी चाहते हैं कि वे सामान्य जीवन जिएं और समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलें। उन्होंने बताया कि सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से प्रेरित होकर, पिछले दो वर्षों में दंतेवाड़ा जिले में 824 माओवादियों ने हिंसा छोड़ दी है और मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। पुलिस ने बताया कि पिछले दो वर्षों में छत्तीसगढ़ में शीर्ष माओवादियों सहित 2200 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। केंद्र सरकार ने मार्च, 2026 तक देश से नक्सलवाद को खत्म करने का संकल्प लिया है।

छत्तीसगढ़ में हादसा: बालोद में ट्रक और कार की भिड़ंत, दो युवकों की मौत

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छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में रविवार देर रात सड़क किनारे खड़े ट्रक और कार की भिड़ंत में दो लोगों की मौत और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गये हैं। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि यह हादसा डौंडी नगर स्थित शासकीय कॉलेज के सामने उस समय हुआ, जब लौह अयस्क से भरे ट्रक सड़क किनारे खड़ा था और सामने से आ रही कार की उससे भिडंत हो गयी। प्राप्त जानकारी के अनुसार लौह अयस्क से भरा ट्रक भानुप्रतापपुर की ओर से रायपुर जा रहा था, जबकि कार में सवार चार युवक दल्लीराजहरा से डौंडी की ओर आ रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक सड़क किनारे खड़े एक खराब ट्रक के कारण सामने से आ रहे वाहनों को निकलने में परेशानी हुई, इसी दौरान ट्रक और कार के बीच टक्कर हो गई।

टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कार का अगला हिस्सा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। डौंडी पुलिस के अनुसार कार में आगे बैठे आशु नायक (24) और आकाश बोरकर (23) की मौत हो गई, जबकि पीछे बैठे दो अन्य युवकों को गंभीर चोटें आयी और उनको इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आशु नायक की मौत मौके पर ही हो गई थी। वहीं आकाश बोरकर ड्राइविंग सीट में बुरी तरह फंसा हुआ था।

डौंडी पुलिस और स्थानीय लोगों ने कड़ी मशक्कत के बाद कार का दरवाजा तोड़कर उसे बाहर निकाला और तत्काल दल्लीराजहरा अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। डौंडी थाना प्रभारी उमा ठाकुर ने बताया कि दोनों मृतकों की पहचान हो चुकी है और परिजनों को सूचना दी जा रही है। दुर्घटनाग्रस्त वाहनों को सड़क से हटाने की कार्रवाई जारी है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी: भरोसे, सम्मान, आत्मनिर्भरता की सशक्त कहानी

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छत्तीसगढ़ में खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 में राज्य की धान खरीदी व्यवस्था ने किसानों के जीवन में एक नया भरोसा जगाया है। यह व्यवस्था केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि सम्मान, विश्वास और आत्मनिर्भरता की एक प्रेरक सफलता कहानी बनकर उभरी है। गौरतलब है कि राज्य की पहचान धान के कटोरे के रूप में रही है और यहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ किसान हैं। जिला जनसंपर्क अधिकारी ने सोमवार को बताया कि इस वर्ष धान खरीदी केंद्रों पर किसानों को पहले से कहीं बेहतर व्यवस्थाएं देखने को मिलीं। टोकन प्रणाली के माध्यम से किसानों को निर्धारित समय पर धान बेचने का अवसर मिला, जिससे उन्हें घंटों कतार में खड़े रहने या अनिश्चितता का सामना नहीं करना पड़ा। उपार्जन केंद्रों पर छांव, पेयजल और बैठने जैसी मूलभूत सुविधाओं ने यह एहसास कराया कि व्यवस्था किसान के लिए है।

इलेक्ट्रॉनिक कांटे से सटीक तौल ने पारदर्शिता बढ़ाई और किसानों का भरोसा मजबूत किया। उन्होंने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण बदलाव समय पर भुगतान के रूप में सामने आया। धान विक्रय के कुछ ही दिनों में राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में पहुंची। मोबाइल पर आया बैंक संदेश किसानों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं था। इससे बच्चों की पढ़ाई, घरेलू जरूरतों और अगली फसल की तैयारी को लेकर उनकी चिंता काफी हद तक कम हुई। साहूकारों पर नर्भिरता घटी और आत्मनर्भिरता की दिशा में ठोस कदम बढ़ा। विज्ञप्ति में कहा कि प्रशासन की संवेदनशीलता भी इस सफलता की अहम वजह रही।

अधिकारियों द्वारा नियमित निरीक्षण, अवैध धान परिवहन और बिचौलियों पर सख्त कार्रवाई से किसानों के अधिकार सुरक्षित हुए। कर्मचारियों का सहयोगात्मक व्यवहार और त्वरित समस्या समाधान ने किसान और व्यवस्था के बीच विश्वास को और गहरा किया। धान खरीदी की यह व्यवस्था आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गांवों में लौटती रौनक, किसानों के चेहरों पर संतोष और भवष्यि को लेकर बढ़े आत्मविश्वास की कहानी है। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी आज एक ऐसी परंपरा बन रही है, जहां किसान केवल लाभार्थी नहीं, बल्कि सम्मानित भागीदार है।

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में बारूदी सुरंग विस्फोट में सीआरपीएफ के दो जवान घायल

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छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में बारूदी सुरंग विस्फोट की चपेट में आने से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ)के दो जवान घायल हो गए हैं। पुलिस अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिले के फरसेगढ़ थाना क्षेत्र के अंतर्गत पिल्लूर कांडलापरती क्षेत्र में बारूदी सुरंग विस्फोट की चपेट में आने से सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन के दो जवान घायल हुए हैं। उन्होंने बताया कि रविवार को जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), एसटीएफ और सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन के संयुक्त दल को फरसेगढ़-पिल्लूर कांडलापरती क्षेत्र में अभियान के लिए रवाना किया गया था।

अधिकारियों ने बताया कि अभियान के दौरान बारूदी सुरंग में हुए विस्फोट की चपेट में आने से कोबरा बटालियन के दो जवानों को मामूली चोटें आई हैं। उन्होंने बताया कि घटना के बाद घायल जवानों को वहां से निकाला गया और बेहतर उपचार के लिए रायपुर भेजा गया। अधिकारियों ने बताया कि दोनों जवान खतरे से बाहर हैं तथा उनकी स्थिति स्थिर है। माओवादी अक्सर बीजापुर समेत सात जिलों वाले बस्तर संभाग के अंदरूनी इलाकों में सड़क, पगडंडियों और जंगल में सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए बारूदी सुरंग बिछाते हैं। इन इलाकों में पहले भी सुरक्षाबल के जवान और आम लोग नक्सलियों द्वारा बिछाए गए बारूदी सुरंग में विस्फोट होने से घायल हुए हैं।