रासुका को लेकर भाजपा की हाय तौबा लोगो को भ्रमित करने का कुचक्र : सीएम भूपेश

0
123

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लेकर राज्य में भाजपा के विरोध को हास्यापद करार देते हुए कहा कि उनकी हाय तौबा दरअसल लोगों को भ्रमित करने का कुचक्र हैं। सीएम बघेल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि रासुका केन्द्र का कानून है। एक सामान्य प्रक्रिया के तहत समय समय पर आदेश जारी होते रहते है। रासुका से भाजपा नेताओं को अगर इतनी दिक्कत हैं तो केन्द्र में उनकी सरकार है और उसे लोकसभा एवं राज्यसभा में बहुमत हासिल हैं, इसे रद्द करवा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता ऐसा शो कर रहे हैं जैसे कि उनकी सरकार ने विधानसभा में पारित कर कोई नया कानून लागू कर दिया है।

उन्होंने कहा कि डा.रमन सिंह 15 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे है, जबकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव वकील है, सब कुछ जानते है पर जानबूझकर लोगों को भ्रमित करने में जुटे हैं। उन्हें बताना चाहिए कि क्या पहली बार रासुका राज्य में लागू हुआ। क्या दूसरे भाजपा शासित राज्यों में यह कानून लागू नही है या नही लागू होता। उन्होंने कहा कि दरअसल में इन्हे दिल्ली से डांट पड़ी है कि कुछ षडयंत्र करो, सभी वर्गों में छत्तीसगढ़ में समृद्दि कैसे आ रही है,लोग कैसे अमन चैन से है। सीएम बघेल ने कहा कि धर्मान्तरण और साम्प्रदायिकता भाजपा के दो प्रमुख हथियार है। इनके सिवा इनको कुछ आता भी नही है। उन्होने कहा कि धर्मान्तरण केवल छत्तीसगढ़ की समस्या हैं क्या? अभी तो उच्चतम न्यायालय ने भी केन्द्र से कहा हैं कि वह एक कानून बनाए। किसने रोका है उन्हे? जब आप जीएसटी, नोटबंदी और 370 पर कानून बना सकते है तो इस पर क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि भाजपा की सोच में ही साकारात्मकता नही है, उन्हें जोड़ने मे नहीं बल्कि लड़ाने में मजा आता है ताकि कुछ वोटों का फायदा हो सके।

उन्होंने फिर दोहराया कि राज्य में भाजपा के 15 वर्षों के शासनकाल में आदिवासी अंचलों में सर्वाधिक चर्चों का निर्माण हुआ। उनके इस आरोप का भाजपा क्यों सीधा जवाब नहीं देती। उन्होने कहा कि भाजपा के पास राज्य मं कोई मुद्दा नही रह गया है तो वह समाज में वद्दिेष फैलाने के काम में जुटी है। उन्होने कहा कि आदिवासियों को गुमराह करने की उसकी कोशिश कामयाब नही होने वाली है, क्योंकि उन्हे पता है कि भाजपा 15 वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद पेसा कानून का नियम नही बना सकी, वनभूमि का पट्टा और उस पर उन्हे कब्जे नही दे सकी, लघु वनोपज नही खरीद सकी और सर्वाधिक आदिवासियों की जमीन को हड़पने का काम किया। उनके आय के श्रोतो को खत्म करने की सर्वाधिक कोशिश हुई।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here