छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य के सरगुजा जिले में उदयपुर और सूरजपुर विकासखंड में स्थित परसा खदान परियोजना को पर्यावरण के प्रतिकूल बताते इसे रद्द किए जाने की मांग को लेकर सभी पांच याचिकाएं खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश अरूप कुमार गोस्वामी और न्यायमूर्ति राजेंद्र चंद्र सिंह सामंत की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद संबंधित याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि परियोजना की मंजूरी रद्द किये जाने के लिए कोई ठोस वजह प्रतीत नहीं होती। युगलपीठ के इस फैसले से राजस्थान राज्य वद्यिुत उत्पादन निगम को आवंटित परसा कोल ब्लॉक में खनन का मार्ग प्रशस्त हो गया।
राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के ओर से अधिवक्ता डॉ. निर्मल शुक्ला और शैलेंद्र शुक्ला, राजस्थान कोलियरीज के ओर से अधिवक्ता नमन नागरथ तथा अर्जित तिवारी, सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता हरप्रीत सिंह अहलूवालिया ने दलीलें दीं। वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता राजीव श्रीवास्तव, सुदीप श्रीवास्तव, रोहित शर्मा, रजनी सोरेन और सौरभ साहू ने पक्ष रखा। उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता सुदीप श्रीवास्तव और अन्य ने परसा कोल ब्लॉक को अवैध बताते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने इस खदान को पर्यावरण के लिए प्रतिकूल बताने के साथ ही इस पर एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के आरोप लगाये थे।
वहीं, विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ ही आम आदमी पार्टी ने भी इस परियोजना के विरोध में प्रदर्शन किये थे। इस बीच वनों की कटाई की सूचना मिलने के बाद परियोजना से प्रभावित होने वाले साल्ही, फतेहपुर और हरिहरपुर गांव निवासियों ने मौके पर पहुंचकर विरोधप्रदर्शन किया। ग्रामीणों का कहना है कि वे लंबे समय से इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं तथा ग्राम सभा के उन दस्तावेजों की जांच किये जाने की मांग की है, जिसके आधार पर खनन को मंजूरी दी गई है।छत्तीसगढ़ सरकार ने गत छह अप्रैल को राज्य के उत्तरी भाग में सरगुजा और सूरजपुर जिलों में फैली परसा कोयला खदान के लिए 841.538 हेक्टेयर वन भूमि के गैर-वानिकी उपयोग के लिए अंतिम स्वीकृति दी थी। खदान का आवंटन राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को किया गया है।