अभिषेक उपाध्याय। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ सरकार का सख्त एक्शन सामने आ रहा है। छत्तीसगढ़ खासकर इसका बस्तर, बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, कांकेर, गरियाबंद, नारायणपुर, बस्तर, कोंडागांव, कोरबा और मुंगेली का क्षेत्र दशकों से नक्सलियों के आतंक से जूझ रहा है। घने जंगल, दुर्गम इलाके और कमजोर सामाजिक-आर्थिक स्थिति का फायदा उठाते हुए नक्सली ग्रामीणों को डराते-धमकाते हैं। ऐसी रिपोर्ट लगातार सामने आ रही है। वे उनसे कर वसूलते हैं और सरकारी योजनाओं में बाधा डालते हैं। यही नहीं कई बार ये हिंसक घटनाओं को अंजाम देते हैं, जिसमें मासूमों की जान चली जाती है। इन नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए हाल के वर्षों में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज किया है, जिसके परिणामस्वरूप कई नक्सली मारे जा रहे हैं। ये अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है। छत्तीसगढ़ में एक नही बल्कि अनेक जिले नक्सल प्रभावित हैं। छत्तीसगढ़ के बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, धमतरी, गारियाबंद, कांकेर, कोंडागांव, महासमुंद, नारायणपुर, राजनांदगांव, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी खैरागढ़-छुईखदान-गंडई, सुकमा, कबीरधाम और मुंगेली जिले नक्सलवाद से प्रभावित है। यहां सुरक्षा बल तेजी से नक्सलियों का प्रभुत्व कम करते जा रहे हैं।
हाल ही में छत्तीसगढ़ के बीजापुर में एक मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 12 नक्सली मार गिराए। कुछ समय पहले ही कांकेर में सुरक्षा बलों ने तीन नक्सलियों को मार गिराया था। सुरक्षा बलों का आपरेशन लगातार जारी है। नक्सलियों की गतिविधियों में भी तेजी से कमी आ रही है। वर्ष 2013 में नक्सलवाद से प्रभावित जिलों की संख्या 126 थी, जो अब घटकर 2024 में 38 रह गई है। छत्तीसगढ़ के 15 जिले अभी भी नक्सलवाद से प्रभावित हैं, लेकिन सुरक्षा बलों की निरंतर कार्रवाई और विकास योजनाओं के कारण इन क्षेत्रों में नक्सलवाद की गतिविधियों में कमी आई है। गृह मंत्रालय ने नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए 2015 में ‘राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना’ को अनुमोदित किया था। इस नीति में सुरक्षा संबंधी उपायों के साथ-साथ विकासपरक पहलों, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और हितों को सुनिश्चित करने के लिए बहुआयामी कार्य नीतियों का समावेश किया गया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के अनुसार, सरकार नक्सलवाद की समस्या को समाप्त करने की दिशा में लगातार कोशिश कर रही है। इस साल 2024 में छत्तीसगढ़ के नक्सल क्षेत्रों में अब तक सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों में 103 नक्सली मारे जा चुके हैं। नक्सलियों के लिए राह लगातार मुश्किल होती जा रही है।